Rain in Chhattisgarh: जशपुर के छतासराई गांव में आंधी-तूफान और ओलावृष्टि, फसलें चौपट

Rain in Chhattisgarh:  जशपुर जिले के छतासराई गांव में तेज आंधी और ओलावृष्टि ने धान, मक्का, टमाटर और अरहर की फसलें बर्बाद कर दी हैं. किसानों ने बताया कि उनकी मेहनत और कर्ज दोनों खतरे में हैं. कृषि विभाग मौके पर जाकर नुकसान का आंकलन करेगा.

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Rain in Chhattisgarh: मानसून 2025 अभी भी देश से विदाई लेने का नाम नहीं ले रहा है और छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में इसका असर जमकर दिखाई दे रहा है. जिले के पत्थलगांव विकासखंड की ग्राम पंचायत छतासराई में बीती रात आए तेज आंधी-तूफान और ओलावृष्टि ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया.

स्थानीय किसानों ने बताया कि रातभर तेज गर्जना और ओलावृष्टि के साथ आई बारिश ने करीब 40-50 से अधिक किसानों की फसलों को पूरी तरह प्रभावित किया. खेतों में खड़ी धान, मक्का, टमाटर और अरहर की फसलें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं. कई स्थानों पर बड़े-बड़े पेड़ भी गिर गए, जिससे फसलें दबकर नष्ट हो गई.

किसान दनार्दन यादव, हरिशंकर यादव और आनंद राम नाग ने बताया कि उन्होंने कर्ज लेकर खेती की थी और धान की फसल पककर तैयार थी, लेकिन कटाई से पहले ही बारिश और ओलावृष्टि ने सब कुछ बर्बाद कर दिया. किसानों का कहना है कि अब उन्हें भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है और वे नुकसान की भरपाई को लेकर चिंतित हैं.

कृषि विस्तार अधिकारी जीवन एक्का ने कहा कि बीती रात की बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को काफी नुकसान हुआ है. उन्होंने यह भी बताया कि कृषि एवं राजस्व विभाग की टीम मौके पर भेजी जाएगी, जो नुकसान का मूल्यांकन करेगी. इस मूल्यांकन की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी, ताकि प्रभावित किसानों को उचित मदद प्रदान की जा सके.

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इस घटना ने गांव के किसानों में निराशा का माहौल बना दिया है और मानसून की अप्रत्याशित तबाही ने उनकी मेहनत पर संकट मोल लिया है. क‍िसानों ने कहा क‍ि इस बार जरूरत से अध‍िक बार‍िश होने के कारण खेतों से खरीफ फसलों की बुवाई का खर्च न‍िकलना भी हो गया है. ऐसे में क‍िसानों के सामने कर्ज चुकाने की परेशानी आ गई है. सरकार को नुकसान का जायजा करवाकर क‍िसानों को आर्थिक मदद देनी चाह‍िए. 

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इधर, गरियाबंद में भी अचानक मौसम का मिज़ाज बदल गया. भागवत कथा शुरू होने से पहले पंडाल पर आंधी तूफान का कहर बरपा. छुरा के प्रसिद्ध वॉटरफॉल झरझरा मंदिर में भागवत कथा होनी थी. प्रसिद्ध कथावाचक पं. युवराज पाण्डेय कथावाचन करने आए थे. तूफान आते ही श्रद्धालुओं को काफी द‍िक्‍कतों का सामना करना पड़ा. 

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