तमनार खदान हिंसा: CM साय ने दिए जांच के आदेश, परियोजना के लिए जन सुनवाई भी रद्द

Chhattisgarh: तमनार खदान के मामले में हुआ हिंसा के मामले की जांच होगी. सीएम साय ने इसके निर्देश दे दिए हैं. साथ ही परियोजना के लिए जन सुनवाई को भी रद्द कर दिया गया है. 

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Tamanar mine violence: छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के तमनार में कोयला खनन परियोजना के विरोध प्रदर्शन के मामले की जांच होगी. इस प्रदर्शन में कई पुलिसकर्मी घायल हुए थे और वाहनों में आग लगाई गई थी. घटना के एक दिन बाद मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि मामले की जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

इस बीच, स्थानीय प्रशासन ने बताया कि परियोजना के लिए आयोजित जन सुनवाई को रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.पिछले दो सप्ताह से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे स्थानीय ग्रामीणों की यह प्रमुख मांग थी.

सीएम साय ने रायपुर में पत्रकारों से कहा कि तमनार में हुई घटना (हिंसा और आगजनी) की जांच की जाएगी और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.''अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने हिंसा और आगजनी के संबंध में कई प्राथमिकियां दर्ज की हैं.घरघोड़ा के एसडीएम दुर्गा प्रसाद अधिकारी ने बताया कि शनिवार की घटना के बाद ग्राम प्रतिनिधियों के साथ एक दौर की बातचीत हो चुकी है और प्रशासन ने उनकी मांगों के जवाब में सुनवाई रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

अधिकारी ने ग्रामीणों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए आश्वासन दिया कि प्रशासन उनकी मांगों का सम्मान करता है और उसी के अनुसार कार्रवाई कर रहा है.कोयला खनन परियोजना के विरोध में शनिवार को प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों और पुलिस के बीच झड़प के बाद तमनार क्षेत्र में तनाव फैल गया है. प्रदर्शनकारियों द्वारा कथित तौर पर पथराव किए जाने के बाद दो अधिकारियों सहित कई पुलिसकर्मी घायल हो गए.

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14 प्रभावित गांवों के लोग कर रहे थे प्रदर्शन

तमनार क्षेत्र में जिंदल पावर लिमिटेड को आवंटित गैरे पेलमा सेक्टर-एक कोयला ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले 14 प्रभावित गांवों के ग्रामीण आठ दिसंबर को परियोजना के लिए आयोजित जन सुनवाई के विरोध में 12 दिसंबर से लिब्रा गांव के सीएचपी चौक पर धरना दे रहे हैं.ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को प्रदर्शन स्थल से हटाने के प्रयास और लाठीचार्ज के बाद स्थिति बिगड़ गई.वे प्रस्तावित खनन परियोजना और इसकी मंजूरी के लिए आयोजित ‘अवैध' जन सुनवाई को रद्द करने की मांग कर रहे थे.

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