Naxalites Love Story: घने जंगल में बन्दूक के साए में हुई मोहब्बत, लव लेटर देने पर ही महिला नक्सली ने स्वीकार किया प्रपोजल

Naxaites News: रेसिंग कमेटी उर्फ रतन सिंग कंपनी नबंर 5 के पीपीसी कमांडर और कमेटी के पुनाय आचला उर्फ हिरोंदा के बीच संगठन के कार्यक्रम के दौरान आंखें लड़ीं, लेकिन बात नहीं बनी. जब  कंपनी कमांडर ने पत्र के जरिए अपने प्रेम का इजहार किया, तब पुनाय ने प्रेम के प्रस्ताव को स्वीकार किया.

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Naxalites Love Story News: प्यार एक ऐसा शब्द है, जो पत्थर को भी पिघला देता है. फिर इंसान की बात ही क्या. चाहे मां का प्यार हो, या परिवार का प्यार. आदमी इसके लिए कुछ भी कर गुजर जाता है. ये कहावत नहीं. ऐसा ही कुछ देखने को मिला नक्सल संगठन (Naxal Organization) में, जहां प्यार ने समाज से विद्रोह कर नक्सली बने दो खूंखारों को वापस समाज की मुख्य धारा में वापस ले आया. सुनने में भले ही ये एक कहानी सी लगती हो, पर यह हकीकत है.

अभी तक आपने सुनहरे पर्दे पर शीरीं-फरहाद, लैला-मजनू, हीर-रांझा, रोमियो-जूलियट और सोहनी-महिवाल के किस्सों को देखा है. लेकिन हम आपको बताने जा रहे हैं घने जंगल की वो प्यार की कहानी, जो लाल आतंक के साए में परवान चढ़ी लाखों रुपये के इनामी दो नक्सलियों के कंपनी कमांडर और कंपनी सदस्य की कहानी है. 

नक्सल संगठन में ही हुआ प्यार

रेसिंग कमेटी उर्फ रतन सिंग कंपनी नबंर 5 के पीपीसी कमांडर और कमेटी के पुनाय आचला उर्फ हिरोंदा के बीच संगठन के कार्यक्रम के दौरान आंखें लड़ीं, लेकिन बात नहीं बनी. जब  कंपनी कमांडर ने पत्र के जरिए अपने प्रेम का इजहार किया, तब पुनाय ने प्रेम के प्रस्ताव को स्वीकार किया. शादी तो हुई पर संगठन की ओर से परिवार नियोजन का  दबाव भी था. 21 साल तक संगठन में रहे. लेकिन दो साल पहले संगठन से बचते हुए पुलिस के सामने समर्पण कर दिया. अब वे अपनी बच्ची का भविष्य संवारने में लगे हैं. 

इन वारदातों में थे शामिल

आत्मसमर्पित नक्सली रेसिंग उर्फ रतन सिंह वर्ष 2002 से 2023 तक और पुनाय उर्फ हिरोंदा वर्ष 2005 से 2023 तक माओवादी संगठन में सक्रिय थे. इस दौरान ये दोनों नक्सली जिला कोण्डागांव, कांकेर, राजनांदगांव, गरियाबंद, धमतरी और नारायणपुर के क्षेत्रों में विभिन्न गंभीर नक्सली घटनाओं में शामिल रहे. वर्ष  2009 में जिला राजनांदगांव के मदनवाड़ा कोरकोट्टी के पास हुए नक्सली घटना में भी शामिल थे. इस घटना में पुलिस अधीक्षक राजनांदगांव सहित कुल 29 जवान हो गए थे. वर्ष 2011 में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश पवार पर हमला करने की घटना में भी इनका हाथ था, जिसमें जिसमें अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सहित कुल 9 जवान शहीद हो गए थे.

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