कुल्हाड़ीघाट को पूर्व पीएम राजीव गांधी ने लिया था गोद, इलाका कैसे बन गया नक्सलियों का सेफ जोन? 

Gariaband Naxalites Encounter: छत्तीसगढ़ का कुल्हाड़ीघाट गांव को प्रधानमंत्री रहते हुए राजीव गांधी ने गोद लिया था, आज वो गांव नक्सलियों का सेफ जोन बन गया है. एक करोड़ रुपए के इनामी सहित नक्सलियों के कमांडर्स का यहां डेरा होता था.आइए जानते हैं ये इलाका आखिर नक्सलियों का सेफ जोन कैसे बन गया?  

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साल 1985 को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी अपनी पत्नी सोनिया गांधी के साथ कुल्हाड़ीघाट पहुंचे थे.

Naxalites Safe Zone Kulhadighat: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले का कुल्हाड़ी घाट गांव और इसके आस-पास का इलाका राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अचानक चर्चा में है. छत्तीसगढ़-ओडिशा की सीमा पर बसे इस गांव में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा बलों ने बड़ा ऑपरेशन किया है. 19 जनवरी 2025 को लांच किया गया यह ऑपरेशन 22 जनवरी तक जारी है.संयुक्त ऑपरेशन में घेर लिया. जिन नक्सलियों को मारा गया, उनमें एक नाम जयराम उर्फ चलपति का भी लिया जा रहा है.नक्सलियों के केंद्रीय समिति के सदस्य चलपति को मार गिराने को बड़ी कामयाबी के रूप में देखा जा रहा है.इस मुठभेड़ की वजह से रायपुर संभाग के गरियाबंद जिले का कुल्हाड़ी घाट गांव व आस-पास का इलाका खूब चर्चा में है.

पत्नी सोनिया संग रुके थे रात 

प्राकृतिक सौंदर्यता, खूबसूरत वादियों और घने जंगलों से घिरा कुल्हाड़ी घाट गांव ऐतिहासिक महत्व रखता है. कुल्हाड़ीघाट गांव साल 1985 को खूब चर्चा में था. क्योंकि 14 जुलाई 1985 को प्रधानमंत्री रहते हुए राजीव गांधी अपनी पत्नी सोनिया गांधी के साथ इस गांव पहुंचे थे.तब रायपुर जिले में आने वाला गरियाबंद का ये गांव राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में था.कमार जनजाति बाहुल्य वाले इस गांव में राजीव गांधी ने पत्नी सोनिया संग रात गुजारी थी.उन्होंने इस गांव को गोद भी लिया था. 

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राजीव व सोनिया गांधी की कमार जाति के बच्चों के साथ ली गई तस्वीर सरकारी दस्तावेजों में भी उपलब्ध है. कुल्हाड़ी घाट गांव के लोगों में आज भी राजीव गांधी को लेकर विशेष आस्था है.

ग्राम पंचायत क्षेत्र में राजीव गांधी की एक प्रतिमा भी लगाई है.राजीव गांधी के गांव आने के 39 साल बाद फिर से ये गांव चर्चा में है.इस बार चर्चा नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन को लेकर हो रही है.  

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ऐसे बना नक्सलियों का सेफ जोन

ओडिशा की सीमा पर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से महज 160 किलोमीटर दूर गरियाबंद का कुल्हाड़ी घाट गांव व आस-पास का इलाका नक्सलियों का सेफ जोन कैसे बन गया, यह बड़ा सवाल है. नक्सल मामलों के जानकार बताते हैं कि राज्य की सीमावर्ती इस इलाके को नक्सली अपना सेफ जोन मानते थे. इस क्षेत्र का उपयोग नक्सली रेस्ट जोन यानी कि आराम करने की जगह के रूप में करते थे. बताया जा रहा है कि इस इलाके में जान-बूझकर नक्सली किसी बड़ी वारदात को अंजाम नहीं देते थे, ताकि सुरक्षा बल यहां कोई बड़ा ऑपरेशन लॉंच न करें. 

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छत्तीसगढ़ में अबूझमाड़, कांकेर होते हुए नक्सली ओडिशा में प्रवेश के लिए कुल्हाड़ी घाट होते हुए जाते और इस इलाके में आराम करते हैं.

बताया जा रहा है कि इस इलाके में नक्सलियों द्वारा बड़ी वारदातों को अंजाम न देने की वजह से सुरक्षा बल के जवान भी शुरुआती दौर में बहुत ज्यादा सर्चिंग नहीं करते थे. यही कारण है कि इस इलाके को सेफ व रेस्ट जोन के रूप में नक्सली उपयोग करते रहे. ओडिशा के नुआपाड़ से लगे इस गांव में पहाड़ व जंगलों का फायदा भी नक्सली उठाते रहे हैं. 

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अबूझमाड़ इलाके में सक्रिय था चलपति

पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नक्सलियों के केन्द्रीय समिति का सदस्य चलपति लंबे समय से छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ इलाके में सक्रिय था. चलपति को सैद्धांतिक व नक्सल के नए कैडर को लड़ाकू बनाने में महारत थी. नए लड़ाकूओं को ट्रेनिंग देने का काम भी चलपति के पास था. बताया जा रहा है कि बस्तर में सुरक्षा बलों के बढ़ते दबाव के बाद चलपति को ओडिशा राज्य का नक्सलियों ने संगठन प्रमुख बनाया और अबूझमाड़ से ट्रांसफर किया.

अबूझमाड़ से ओडिशा प्रवेश के दौरान अपने सेफ जोन या यूं कहें कि रेस्ट जोन कुल्हाड़ी घाट के आस-पास के इलाके में चलपति अपनी टीम के साथ था, इसी दौरान पुख्ता इनपुट पर सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन लांच किया और सफलता मिली.

21 जनवरी की शाम तक 14 नक्सलियों के शव व बड़ी संख्या में अत्याधुनिक हथियार बरामद किए गए. हालांकि दावा किया जा रहा है कि मुठभेड़ में अब तक 27 नक्सलियों को मार गिराया गया है. नक्सलियों के एक बड़े समूह को अलग-अलग इलाकों में सीआरपीएफ, ओडिशा पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप और छत्तीसगढ़ पुलिस ने ये कार्रवाई की है. 

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