नक्सलियों के 'काल' IG सुंदरराज को अब भी पसंद है खेती करना! NDTV से बताया- किस चीज का है मलाल?

Bastar IG Sundarraj P Exclusive Interview: छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का काल बने बस्तर के आईजी सुंदरराज पी ने NDTV की सीनियर सब एडिटर अंबु शर्मा से खास बातचीत की. उन्होंने अपने जीवन के कई किस्सों को साझा किया. पढ़िए स्पेशल इंटरव्यू...

विज्ञापन
Read Time: 7 mins

Police officer Bastar IG Sundarraj P special Interview: देश में घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में से एक इलाका बस्तर...जहां कुछ सालों पहले तक बाहरी दुनिया के लोग जाने से भी डरते थे वहां प्रशासन ने एक ऐसे पुलिस अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी जो आपको कहीं से भी कड़क नहीं लगेगा...उनका स्वभाव बिल्कुल सौम्य है लेकिन नक्सली उसके नाम से ही खौफ खाते हैं. पूरे बस्तर रेंज में  कहीं भी नक्सलियों के खिलाफ मुठभेड़ हो तो आपको वहां वो अधिकारी खड़ा जरूर मिलेगा...हम बात कर रहे हैं बस्तर रेंज के आईजी पी सुंदरराज. NDTV की विशेष पेशकश 'शख्सियत डायरेक्ट दिल' से में हमने बात की है आईजी पी सुंदरराज से. जिसमें हमने उनकी जिंदगी के उन पन्नों को पढ़ने की कोशिश की है जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं...

सवाल: आपका बचपन कैसा था और आप कहां के रहने वाले हैं , इस बारे में आप हमारे दर्शकों को बताएंगे..

Advertisement

जवाब: मैं सुंदरराज पी तमिलनाडु के कोयंबटूर के एक गांव का रहने वाला हूं. मैं एक किसान परिवार से हूं. साल 2003 में IPS बना. मेरा पहले ही अटेम्पट में सलेक्शन हो गया था. इसके बाद छत्तीसगढ़ कैडर मिला और मैं 22 सालों से यहां सेवाएं दे रहा हूं. 

Advertisement

सवाल: आप जिस इलाके से हैं वहां सरकारी नौकरी का कोई खास माहौल नहीं था, फिर आपके मन में अफसर बनने का ख्याल कहां से आया?

Advertisement

जवाब: हमारे परिवार के लोग किसान हैं.सभी खेती-किसानी करते हैं. BSC एग्रीकल्चर साइंस कोयंबटूर से की है.सरकारी नौकरी के बारे में आइडिया नहीं था.पहले ऐसा सोचते थे कि सरकारी नौकरी में वही आ सकते हैं जिनके परिवार के लोग सरकारी नौकरी में हैं. इसलिए सोचा नहीं था कभी सोचा नहीं था. लेकिन कॉलेज के कुछ सीनियर्स जो आईएएस और आईपीएस बने हैं उन्होंने प्रेरित किया. सीनियर क्लासेस लेते थे.तैयारी कैसे करना है ये बताते थे.

सवाल: IPS ही क्यों ? इसके बाद आपने IAS की तैयारी नहीं की? 

जवाब: मेरी इच्छा थी कि वर्दी पहनकर देश की सेवा करूं.पहले अटेम्ट में सलेक्शन हुआ.सभी ने मोटिवेट किया. इसलिए मैंने ज्यादा कुछ सोचा नहीं. 

सवाल: तमिलनाडु से हैं और छत्तीसगढ़ में आपकी पोस्टिंग हुई तो भाषा की दिक्कत नहीं हुई? 

जवाब: मुझे हिंदी नहीं आती थी. पढ़ाई के वक्त हिंदी का सब्जेक्य नहीं था. आईपीएस  की ट्रेनिंग के दौरान हिंदी सीखी.अब हिंदी पढ़ने-लिखने, बोलने में किसी भी तरह की समस्या नहीं होती है. 

IG सुंदरराज की छवि एक ऐसे पुलिस अफसर की रही है जो आम लोगों से आसानी से कनेक्ट कर लेते हैं.

सवाल: अपने परिवार के बारे में बताएंगे कि कौन-कौन हैं

जवाब: मैं माता-पिता का इकलौता हूं. चाचा-मामा पूरा परिवार है. गांव में सभी खेती किसानी कर रहे हैं .

सवाल: आप नक्सल इलाके में सेवाएं दे रहे हैं, यहां नक्सलवाद है तो घर वालों को डर बना रहता होगा, उन्हें कैसे समझाते हैं

जवाब:  मेरी पत्नी 18 साल तक मेरे साथ यहां थी. जब मैं नारायणपुर का एसपी था तब पत्नी भी साथ में थी.उन्होंने यहां के हालात, माहौल देखा है. पिताजी के निधन के बाद वे गांव में रहती हैं. खेती किसानी का काम देखती हैं. सबको समझाती हैं.सिक्योरिटी को लेकर चिंता नहीं रहती है. माताजी को चिंता रहती है. लेकिन सभी मोटिवेट करते हैं.

सवाल: कभी परिवार ने नहीं कहा कि अब यहां बहुत हो चुका है ट्रांसफर करवा लो?

जवाब: परिवार की इच्छा होती है कि पास में रहकर काम करें.लेकिन अब सब समझते हैं. पिताजी का पिछले साल ही निधन हुआ है. लेकिन जब वो थे तब बहुत मोटिवेट करते थे. वे अक्सर कहते थे कि ईश्वर ने आपको जनता की सेवा का मौका दिया है. आप इस अवसर को पूरी तरह से इस्तेमाल करें. जनसेवा में मन लगाकर काम करें. 

सवाल: आप घर जाते हैं तो खेती-किसानी करते हैं? 

जवाब: मेरा पूरा-परिवार खेती-किसानी से जुड़ा हुआ है. मैंने पढ़ाई भी बीएससी एग्रीकल्चर से की है. माताजी और पत्नी खेती-किसानी के काम को संभालते हैं. गांव में मेरा घर खेत के बीच में ही है. मैं जब भी घर जाता हूं तो इस काम में हाथ बंटाता हूं. 

सवाल: सामान्यत: पुलिस अफसर को सख्त होना होता है, लेकिन इस सख्त वर्दी के पीछे सरल व्यक्ति हैं. ये कैसे कर पाते हैं आप ?  

जवाब: ईश्वर ने हर व्यक्ति को एक अलग पर्सनैलिटी दी है. जिसे जैसा संस्कार मिलता है वैसा होता है. सभी मुझे सरल व्यक्तित्व के रूप में देखते हैं. पुलिस ऑफिसर कड़क हो लेकिन बेसिक पर्सनैलिटी में परिवर्तन नहीं कर सकते हैं. नियत साफ है तो लोग आदर भी करते हैं. इसलिए मुझे अपनी बात को जवानों या आम लोगों तक पहुंचाने में ज्यादा दिक्कत नहीं होती है.आज भी कई लोग मुझे बोलते हैं कि आप पुलिस अफसर कम और कॉलेज के प्रोफेसर ज्यादा लगते हो.खासतौर पर ससुराल में बोलते हैं. गांव और परिवार में कुछ लोगों को यकीन नहीं हुआ कि मैं पुलिस अफसर हूं, कुछ लोग तो ये देखने आए थे कि ये किसी कॉलेज का प्रोफेसर तो नहीं.

बस्तर रेंज में होने वाले हर नक्सल मुठभेड़ में IG सुंदरराज की भूमिका अहम रहती है

आपने जवानों को शहीद होते और नक्सलियों के शवों को भी देखा है. ऐसे हालात में आप खुद को कैसे संभालते हैं ? 

जवाब: बाकी जगह की पुलिसिंग की तुलना में यहां थोड़ा कठिन होता है. क्येोंकि जिनके साथ काम करते हैं उनकी शहादत और अंतिम विदाई बहुत पीड़ादायक होती है. 200 से ज्यादा जवानों की शहादत के बाद उनकी अंतिम विदाई में जाना हुआ. 76 जवानों की शहादत हुई थी तब मैं बस्तर का एसपी था, तब भी जाना हुआ था. काफी पीड़ा होती है. लेकिन उन्होंने देश और समाज के प्रति बलिदान दिया है उससे प्रेरणा मिलती है. हम सभी इसी प्रेरणा के रुप में काम कर रहे हैं. 

बस्तर द नक्सल स्टोरी फिल्म आई थी, इसमें रील और रीयल में क्या फर्क देखते हैं आप? 

जवाब: नक्सलवाद हो या आतंक ऐसे विषयों को लेकर कई मूवी, शॉर्ट फिल्म बनते हैं. ये लेखक के अपने एक दृष्टिकोण होते हैं. कई बार सही होते हैं और कई चीजें रोमांचक बनाने के लिए प्रस्तुतीकरण की जाती है. नक्सल घटना के कारण कई बड़े नुकसान हुआ. नक्सल का चेहरा विकास और जन विरोधी है इसे देश ने जान लिया. 

सवाल:काम के तनाव के बीच मानसिक शांति के लिए क्या करते हैं?

जवाब: मेरी बहुत अच्छी टीम है.इसलिए स्ट्रेसफुल मूवमेंट फील नहीं किया. इमोशनल मूवमेंट जरूर आते हैं तब मन भारी हो जाता है. वैसे तो काम प्राथमिकता है. समय तो बहुत कम ही मिलता है और अगर मिलता है तो कभी-कभी तमिल मूवी और OTT पर कुछ और अच्छी मूवी देख लेता हूं. बुक्स पढ़ लेता हूं. पत्नी और बेटी बहुत अच्छे पेंटिंग्स बनाती हैं. उनसे सीखने का प्रयास करता हूं लेकिन अब तक सीख नहीं पाया हूं. 

सवाल: नक्सल-क्राइम ये सभी बातें सुन-सुनकर कभी आपकी फैमिली परेशान नहीं होती? इसे लेकर आपकी और पत्नी के बीच कभी-नोंक-झोंक नहीं होती?

जवाब: हर परिवार चाहता है साथ में समय बीताए.लेकिन ऐसा नहीं हो पाता है, अचानक कई बार काम आने से योजनाएं कैंसल करना पड़ता है.लेकिन परिवार का सपोर्ट मिलता है. क्योंकि सब समझ चुके हैं. इसलिए ऐसी नौबत नहीं आती है. 

सवाल: अमित शाह ने ऐलान कर दिया है मार्च 2026 तक नक्सलियों का खात्मा, जिम्मेदारी आपके कंधों पर है, अब समय कम है तो क्या ये चुनौती पूरी कर लेंगे? 
जवाब :
केंद्र और राज्य सरकार की स्पष्ट मंशा है.आने वाला समय अच्छा होगा. नक्सलियों का अंत निकट और तय है. बस्तर में शांति खुशहाली आएगी. इसके लिए बस्तर पुलिस के अलावा यहां तैनात सुरक्षाबलों की पूरी टीम काम कर रही है. 

ये भी पढ़ें: Putu Vegetables: मटन, चिकन और पनीर पड़ गया फीका! जानें, क्यों इतनी डिमांड में है 800 रुपए किलो का 'पुटू'