आत्मनिर्भरता की राह पर नक्सली! सीख रहे पुनर्वास के गुर, बीएसएफ कैंप में हो रही ट्रेनिंग

छत्तीसगढ़ के उत्तर बस्तर में आत्मसमर्पित नक्सली अब Naxalite rehabilitation के तहत नया जीवन शुरू कर रहे हैं. पुराने BSF कैंप को पुनर्वास केंद्र बनाकर यहां Skill development training, Wood Craft, Mason training और Electrification skills दी जा रही हैं.

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Surrendered Naxal Training: उत्तर बस्तर के जंगलों में कभी बंदूकें गूंजती थीं, वहां आज बदलते समय की एक नई तस्वीर बन रही है. हथियार उठाने वाले कदम अब आत्मनिर्भरता की राह पर चल रहे हैं. आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली न सिर्फ नया जीवन सीख रहे हैं, बल्कि समाज में अपनी पहचान भी दोबारा बना रहे हैं. यह बदलाव उस जगह पर हो रहा है, जहां कभी नक्सल गतिविधियों की योजनाएं तैयार होती थीं.

नक्सलवाद का गढ़ अब बदल रहा रास्ता

छत्तीसगढ़ का उत्तर बस्तर कांकेर वर्षों तक नक्सलवाद का मजबूत ठिकाना माना जाता रहा है. अबूझमाड़ और महाराष्ट्र सीमा से लगे इस इलाके को नक्सली हमेशा सुरक्षित क्षेत्र के रूप में इस्तेमाल करते थे. लेकिन अब हालात तेजी से बदल रहे हैं. बीते महीनों में 80 से अधिक नक्सलियों ने हथियार डाल दिए हैं और समाज की मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया है.

बीएसएफ कैंप बना पुनर्वास केंद्र

भानुप्रतापपुर ब्लॉक के मुल्ला में स्थित एक पुराना बीएसएफ कैंप, जो पहले नक्सल उन्मूलन की रणनीति का केंद्र हुआ करता था, आज पुनर्वास का ठिकाना बन गया है. नक्सलवाद कमजोर होने के बाद कैंप खाली हो गया था, लेकिन अब यही परिसर आत्मसमर्पित नक्सलियों के जीवन पुनर्निर्माण का केंद्र बन गया है.

दस्तावेज और पहचान बहाली का काम जारी

यहां रहने वाले नक्सलियों के आधार कार्ड, पहचान-पत्र और जरूरी सरकारी दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं. जो लोग सालों से जंगलों में थे, वे पहली बार अपने दस्तावेज़ बनवाते देख रहे हैं—यह बदलाव उनके लिए एक नई शुरुआत जैसा है.

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कौशल प्रशिक्षण से आत्मनिर्भरता की ओर

पुनर्वास केंद्र में 66 आत्मसमर्पित नक्सली विभिन्न trades का प्रशिक्षण ले रहे हैं.

  • काष्ठ शिल्प (Wood Craft): 36 प्रशिक्षु
  • राज मिस्त्री (Mason): 15 प्रशिक्षु
  • इलेक्ट्रिशियन (Advanced Trade): 15 प्रशिक्षु

इनका उद्देश्य यह है कि वे अपने पैरों पर खड़े होकर परिवार और समाज के आर्थिक विकास में योगदान दे सकें.

सरकार का प्रयास दे रहा नई दिशा

सरकारी पहल न सिर्फ इनके जीवन का नया अध्याय खोल रही है, बल्कि उन्हें जीने की कला भी सीखा रही है. यह बदलाव आने वाले समय में समाज के माहौल को नई दिशा देगा. जहां डर और हिंसा की जगह विकास और विश्वास की सोच जन्म लेगी.

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