Naxal Encounter: डेढ़ करोड़ के इनामी नक्सली बसवराज की मौत पर नक्सलियों ने बताई थी ये कहानी, पुलिस ने बताया भ्रामक

Naxal Encounter News: पुलिस महानिरीक्षक ने कहा कि यह प्रेस वक्तव्य माओवादी कैडरों के गिरते मनोबल को संबल देने की विफल कोशिश है. लगातार चलाए जा रहे खुफिया आधारित अभियानों के कारण संगठन टुकड़ों में बिखर चुका है और अब मूलभूत समन्वय बनाए रखने में भी असमर्थ दिख रहा है.

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Chhattisgarh Naxal Encounter Updates: भाकपा (माओवादी) दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता की ओर से 25 मई को एक पत्र जारी कर 21 मई 2025 को अबूझमाड़ क्षेत्र में हुई मुठभेड़ पूरी कहानी बताई गई थी. इस पत्र में भाकपा (माओवादी) के महासचिव बसवराजु उर्फ बीआर दादा उर्फ गंगन्ना सहित कुल 28 माओवादी कैडरों के मारे जाने की पुष्टि की गई थी. माओवादियों ने दावा किया था कि सुरक्षाबलों ने बसवराजू को जिंदा पकड़ने के बाद मारा था. हालांकि, पुलिस ने माओवादियों के इस दावे को अधकचरा, भ्रामक और साजिशपूर्ण करार दिया है. 

इस संबंध में बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (IG) सुंदरराज पी. ने मंगलवार को कहा कि यह ऐतिहासिक अभियान सुरक्षा बलों के जवानों ने सफलतापूर्वक संपन्न किया गया था. उन्होंने  माओवादी संगठन के इस बयान को तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करने और जनभावनाओं को भटकाने का निराशाजनक प्रयास बताया. उन्होंने इस प्रेस नोट को अधकचरा, भ्रामक और साजिशपूर्ण बताते हुए कहा कि यह एक नेतृत्वविहीन और बिखरती हुई संगठन की प्रासंगिकता बनाए रखने की अंतिम कोशिश है.

माओवादियों को मनोवैज्ञानिक रूप से पहुंचा गहरा आघात 

आईजी सुंदरराज पी. ने स्पष्ट किया कि 21 मई 2025 भारत के वामपंथी उग्रवाद विरोधी इतिहास में एक निर्णायक दिन के रूप में याद किया जाएगा. मारे गए बसवराजु, जो कि माओवादी संगठन के सर्वोच्च नेता थे. उसकी मौत से संगठन को केवल सैन्य स्तर पर ही नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक रूप से भी गहरा आघात पहुंचा है. उन्होंने कहा कि माओवादी आंदोलन के मुख्य गढ़ में 27 सशस्त्र उग्रवादियों का खात्मा सुरक्षा बलों की दृढ़ता और प्रभावशीलता का प्रत्यक्ष प्रमाण है.

शहीद नहीं, आतंकी था बसवराजु

माओवादी बयान में बसवराजु की मौत को "बलिदान" के रूप में प्रस्तुत करने के प्रयास की कड़ी आलोचना करते हुए पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. ने कहा कि यह दशकों की हिंसा को महिमामंडित करने वाला झूठा प्रचार है. बसवराजु कोई शहीद नहीं था, बल्कि वह आतंक और हिंसा के युग का मुख्य सूत्रधार था, जिसने हजारों निर्दोष आदिवासियों, महिलाओं और बच्चों की हत्या करवाई और सैकड़ों सुरक्षाबलों को आईईडी धमाकों और घात लगाकर किए गए हमलों में मौत के घाट उतारा. ऐसे व्यक्ति को "जननायक" के रूप में चित्रित करना न केवल भ्रामक है, बल्कि उन वीरों और नागरिकों का घोर अपमान है, जिन्होंने बस्तर की शांति और समृद्धि के लिए अपने प्राणों की आहुति दी.

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'गिरते मनोबल को संबल देने की विफल कोशिश'

पुलिस महानिरीक्षक ने कहा कि यह प्रेस वक्तव्य माओवादी कैडरों के गिरते मनोबल को संबल देने की विफल कोशिश है. लगातार चलाए जा रहे खुफिया आधारित अभियानों के कारण संगठन टुकड़ों में बिखर चुका है और अब मूलभूत समन्वय बनाए रखने में भी असमर्थ दिख रहा है.

 आत्मसमर्पण करें वरना सब मारे जाएंगे

एक महत्वपूर्ण संदेश देते हुए आईजीपी सुंदरराज ने कहा कि अब माओवादी कैडरों के पास एकमात्र सम्मानजनक विकल्प यह है कि वे आत्मसमर्पण करें. हिंसा का रास्ता छोड़ें और समाज की मुख्यधारा में लौटें. सरकार लगातार पुनर्वास और शांतिपूर्ण जीवन की पेशकश कर रही है. परंतु कुछ तत्व अब भी इस अवसर को नजरअंदाज कर रहे हैं, तो उनका अंत निकट और निश्चित है.

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बताया बिखरता संगठन

पुलिस महानिरीक्षक ने आगे कहा कि भाकपा (माओवादी) संगठन इस वक्त पूर्णतः विघटन की कगार पर है. जहां न तो कोई सक्षम नेतृत्व बचा है और न ही कोई रणनीतिक दिशा. बसवराजु के बाद उनके उत्तराधिकारी को लेकर चर्चाएं अब बेमानी हैं. उनकी मौत के साथ ही यह आंदोलन अपनी वैचारिक और संचालन क्षमता भी खो चुका है. यह माना जा सकता है कि बसवराजु ही इस अवैध संगठन का अंतिम महासचिव था.

पुलिस महानिरीक्षक ने दोहराया कि 'संकल्प: नक्सल मुक्त बस्तर मिशन' अब केवल एक सपना नहीं, बल्कि तेजी से साकार होती हुई हकीकत है. एक समय आतंक और हिंसा का प्रतीक रहा माओवादी आंदोलन अब अपने अंतिम दौर में पहुंच चुका है, जबकि शांति और विकास की नई सुबह बस्तर में दस्तक दे चुकी है.

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