जज्बे को सलाम: प्रशासन ने नहीं सुनी, तो गांव वालों ने चंदा कर खुद ही बनानी शुरू कर दी 5 KM लंबी सड़क

Road made with donations : चंदे की सड़क बन रही है. सरकार से जब ग्रामीण सड़क की मांग करते-करते थक गए. तब खुद से सड़क बनाने का फैसला लिया. अब गांव के बच्चे, नौजवान और बुजुर्ग सब जुटे हुए हैं. सिस्टम और समाज के लिए ये किसी नजीर से कम नहीं है.पढ़िए कुछ कर गुजरने वाली कहानी...

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CG News : कांकेर के पुसाझर गांव के लोग खुद चंदा जुटा के बना रहे 5KM की सड़क.

Motivational Story : छत्तीसगढ़ में चंदे से 5 KM की सड़क बनाने का ग्रामीणों ने फैसला लिया है. हालांकि, सरकार से कई बार मांग कर चुके लेकिन मांग जब सालों बाद सिर्फ मांग ही रह गई, तो ग्रामीणों ने एक कदम आगे बढ़ाया. समाज के लिए नजीर पेश की. अब ग्रामीणों की इस पहल की तारीफ हो रही है. 

 वर्षों से सरकारी तंत्र को ग्रामीणों की समस्या सुनाई नहीं देती. यही वजह है कि फरियादी, फरियाद लगाते थक चुका है. अब हाथों में फावड़ा है. गांव के बुजुर्ग, युवा, महिला इस समस्या को दूर करने 5 किलोमीटर की सड़क बना रहे हैं. बच्चों को अपने माता, पिता और भाई का दर्द दिखाई दिया. वह भी कंधे से कंधा मिला रहे है. 

पुसाझर गांव पहुंचा किसी चुनौती से कम नहीं 

कांकेर जिला मुख्यालय से लगभग 30 से 35 किलोमीटर की दूरी पर बसा गांव है पुसाझर. गांव की जनसंख्या 200 के आसपास है. इस गांव में पहुंचना किसी चुनौती से कम नहीं है. गांव तक पहुंचने सड़क नहीं है. ग्रामीण सड़क की मांग को लेकर लंबे समय से शासन प्रशासन को अवगत कराते आए हैं.

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मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक, कलेक्टर से कर चुके हैं मांग 

मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक, कलेक्टर सभी से मिलकर सड़क बनवाने की मांग कर चुके हैं. लेकिन इनकी किसी ने नहीं सुनी. बारिश आने वाली है, ऐसे में इस गांव के लोगों को सड़क कट जाने का डर सता रहा है. इसलिए ग्रामीणों ने सड़क बनानी शुरू कर दी है. सप्ताह भर से ग्रामीण सड़क बना रहे है. लगभग 5 किलोमीटर सड़क बनाने के लिए गांव के सभी ग्रामीण सुबह से जुट जाते हैं. यह कोई इस वर्ष की बात नही है.

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हर घर से 2000 रुपये चंदा किया

हर वर्ष ग्रामीण इसी तरह अपने गांव तक पहुंचने 5 किलोमीटर की कच्ची सड़क को तैयार करते है. पथरीले इस रास्ते में कठिनाई बहुत है. लेकिन ग्रामीणों की हिम्मत ने इसे आसान बना दिया. हर घर से 2000 रुपये चंदा किया. ताकि पत्थरों को हटाने जेसीबी मशीन का भी सहारा लिया जा सके. सप्ताह भर बाद मशीन मिली थोड़ा कार्य आसान हुआ. 

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ग्रामीणों ने आगे बताया कि गांव के सभी लोग सड़क बनाने के कार्य में लगे हुए है. किसी के घर से अगर कोई नहीं आएगा तो उसे प्रतिदिन 200 रुपये का जुर्माना लगाने का निर्णय भी लिया. अब सब मिलकर काम कर रहे है. जिसमे बच्चे, बूढ़े, युवा, महिला सभी है.

बहुत सी तकलीफे उठा रहे ग्रामीण 

ग्रामीणों ने आगे बताया कि सड़क नहीं होने के कारण उन्होंने राशन लाने, शासकीय योजनाओं का लाभ मिलने, बीमार व्यक्ति को अस्पताल लेजाने, बच्चों को पढ़ने जाने सहित अन्य बहुत सी तकलीफे होती है. राशन लेने 10 किलोमीटर दूर पीढ़ापाल जाना पड़ता है.

कोई चार पहिया गाड़ी नहीं आ पाती

आवास योजना का लाभ लेना चाहते हैं तो सड़क की वजह से कोई चार पहिया गाड़ी नहीं आ पाती. किसी के बीमार होने पर बीमार व्यक्ति को लकड़ी के सहारे कांवर में उठा कर 5 किलोमीटर दूर लाना पड़ता है. तब कहीं जाकर एम्बुलेंस की सुविधा मिल पाती है. सड़क नहीं होने के कारण बच्चों को 5 वीं कक्षा के बाद आगे पढ़ने के लिए लंबी दूरी पैदल तय करनी पड़ती है. इसलिए बच्चे भी कक्षा 5 वीं के बाद पढ़ाई छोड़ रहे हैं.

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