एमसीबी : आजादी से पहले ब्रिटिश एयरक्रॉफ्ट हुआ था क्रैश , याद में परिजनों ने बनाए थे स्कूल, अब जर्जर स्थिति में

जानकारी के अनुसार 15 जुलाई 1944 में जनकपुर से लगभग 30 किलोमीटर दूर कुंवारपुर के घनाघोर जंगल में एक ब्रिटिश एयरक्रॉफ्ट दुर्घटनाग्रस्त होकर गिरा था. उसके बाद जंगल में आग लग गई थी.

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छत्तीसगढ़ के एमसीबी जिले वनांचल तहसील भरतपुर के ग्राम पंचायत कुंवारपुर की छोटा पहाड़ी हवाईडोंगरी, जिसे लोग नहीं जानते हैं. लेकिन ब्रिटिश हाई कमीशन के अफसर जानते-पहचानते हैं. इतना ही नहीं कुंवारपुर में उनके द्वारा स्कूल में एक कक्ष का निर्माण भी कराया गया है.

जानकारी के अनुसार 15 जुलाई 1944 में जनकपुर से लगभग 30 किलोमीटर दूर कुंवारपुर के घनाघोर जंगल में एक ब्रिटिश एयरक्रॉफ्ट दुर्घटनाग्रस्त होकर गिरा था. उसके बाद जंगल में आग लग गई थी. दुर्घटना में ब्रिटिश सेना के दो अफसर एच टटचेल और आर ब्लेयर की मौत हो गई थी. मामले में 54 साल बाद वर्ष 1998 में ब्रिटिश शासन को एयरक्रॉफ्ट दुर्घनाग्रस्त होने की जानकारी मिली थी. जिससे 14 सितंबर 1999 में ब्रिटिश हाई कमीशन के ग्रुप कैप्टन ई बिज और मृतक सैन्य अफसरों के परिजन घटना स्थल पर पहुंचे थे.

उसी समय यहा के ग्रामीणों से मुलाकात कर एयरक्रॉफ्ट दुर्घाटना को साझा किया था. उनकी टीम ने ग्रामीणों के साथ घटना स्थल का निरीक्षण किया था. दुर्घटना स्थल पर एयरक्रॉफ्ट के कुछ छोटे-बड़े पार्ट्स भी नजर आए थे. हालाकि बड़े पार्ट्स को गांव के लाल बहादुर सिंह के घर पर आज भी सुरक्षित रखा गया है.

इस दुर्घटना के संबंध में कोई अधिकृत दस्तावेज नहीं है. वहीं वर्ष 2001 में दोबारा मृतक ब्रिटिश सैन्य अफसरों के परिजन कुंवारपुर पहुंचे. फिर मृतकों की याद में कुंवारपुर प्राइमरी स्कूल में एक अतिरिक्त कमरा निर्माण कराया गया था और उसके बाद ब्रिटिश हाई कमीशन के ग्रुप कैप्टन आरई बिज की मौजूदगी में 22 मई 2001 को लोकार्पण कराया गया था. इस अवसर पर स्कूली बच्चों को पुस्तक-कापी, पेन वितरण किया गया था.

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 *जर्जर हो रहा है इतिहास* 

स्थानीय व जिला प्रशासन की उदासीनता व समुचित रखरखाव नहीं होने के कारण ब्रिटिश सैन्य अफसरों की याद में बनाए गए अतिरिक्त कमरा जर्जर हो चुका है। खपरा व लकड़ी टूट चुकी है। वहीं देखरेख के अभाव में स्मारक कमरा पूरी तरह खंडहर हो चुका है। यहां के ग्रामीणों का कहना है कि वर्ष 1944 में जंगल में ब्रिटिश एयरक्रॉफ्ट का दुर्घटना हुआ था। उस जगह पर आज भी कुछ पार्ट्स मिल जाते हैं। कई ग्रामीण एयरक्रॉफ्ट के पार्ट्स को स्मृति के तौर पर संजोए रखे हैं। गांव के बुजुर्ग एयरक्रॉफ्ट के पार्ट्स को दिखाकर घटना की विस्तार से जानकारी बताते हैं।

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