महिला बाल विकास भर्ती में बड़ा घोटाला, फर्जी प्रमाण-पत्र और अंक छेड़छाड़ का आरोप

छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में महिला बाल विकास विभाग की भर्ती प्रक्रिया पर गंभीर आरोप लगे हैं. पूर्व विधायक गुलाब कमरो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि भर्ती में अनियमितताएं हुई हैं.

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छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में महिला बाल विकास विभाग की भर्ती प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. भरतपुर–सोनहत के पूर्व विधायक गुलाब कमरो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि तत्कालीन महिला बाल विकास अधिकारी शुभम बंसल की कार्यशैली में कई अनियमितताएं हुई हैं. कमरो ने आरोप लगाया कि भर्ती में फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र का इस्तेमाल किया गया, अंकसूची में छेड़छाड़ की गई और लिखित परीक्षा इंटरव्यू में पारदर्शिता नहीं रखी गई.

उन्होंने कहा कि अधिक अंक पाने वाले उम्मीदवारों को पीछे रखा गया और कम अंक वालों को आगे कर चयनित किया गया. इसके अलावा बाहरी जिलों जैसे कवर्धा, बिलासपुर, सूरजपुर और लखनपुर से आए उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी गई जबकि जिले के बेरोजगार युवाओं का हक छीना गया. कमरो ने यह भी चौंकाने वाला आरोप लगाया कि एक ही परिवार के पति और पत्नी दोनों को नौकरी दी गई, जबकि सामान्यत प्रदेश में किसी एक घर से केवल एक ही चयन होता है.

उन्होंने मांग की कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो. पूर्व विधायक की बात का समर्थन करते हुए जिला पंचायत उपाध्यक्ष राजेश साहू ने कहा कि आने वाली जिला पंचायत बैठक में यह मुद्दा उठाया जाएगा. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की तो वे सड़क पर उतरकर विरोध करेंगे.

इसी तरह जिला कांग्रेस प्रवक्ता सौरभ मिश्रा ने कहा कि यदि जल्द जांच नहीं की गई तो कांग्रेस पार्टी बेरोजगार युवाओं के साथ मिलकर कलेक्टर कार्यालय का घेराव करेगी. उन्होंने जोर देकर कहा कि जिले के बेरोजगारों का अधिकार छीना गया है और कांग्रेस इस लड़ाई को हर स्तर पर लड़ेगी. इस खुलासे के बाद जिले में हलचल मच गई है.

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युवाओं में गहरा आक्रोश है और अब सभी की नजरें प्रशासनिक कार्रवाई पर टिकी हैं. मामले की निष्पक्ष जांच दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग जोर पकड़ रही है. ऐसे आरोप और विवाद जिले की प्रशासनिक और राजनीतिक परिस्थितियों को भी प्रभावित कर सकते हैं क्योंकि यह मुद्दा न केवल रोजगार से जुड़ा है, बल्कि युवाओं में विश्वास और सरकारी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है. बेरोजगार युवाओं की नाराजगी और राजनीतिक दलों की सक्रियता इस मामले को और संवेदनशील बना रही है.