Maa Angar Moti Temple Madai Mela: छत्तीसगढ़ के धमतरी शहर से लगभग 14 किलोमीटर दूर गंगरेल बांध के किनारे वनों के बीचो बीच मां अंगार मोती मंदिर में मड़ई मेला का आयोजन किया गया. इस खास मौके पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. वहीं 1100 से अधिक सुहागिन महिलाओं ने संतान की कामना के लिए मां अंगार मोती परिसर में जमीन पर लेटकर मन्नत मांगी.
मां अंगार मोती मंदिर में जमीन पर लेटी महिलाएं
दरअसल, दीपावली के बाद पहले शुक्रवार को अंगार मोती मंदिर में मड़ई लगता है. इसे गंगरेल मड़ई भी कहते हैं. मां अंगार मोती परिसर में काफी संख्या में महिलाओं पहुंची. ये वो महिलाएं है जिन्हें शादी के कई सालों बाद भी संतान की प्राप्ति नहीं हुई. अपनी सूनी गोद हरी करने ये महिलाएं एक नारियल और नींबू, अगरबत्ती और फूल लेकर अंगार मोती मां के पास पहुंचती है.
लेटी हुई महिलाओं के ऊपर से गुजरे बैगा
52 गांव के देव विग्रह इस दरबार में शामिल हुए. इस दौरान जमीन पर लेटी हुई महिलाओं के ऊपर से मंदिर के पुजारी और बैगा गुजरते हुए महिलाओं को आशीर्वाद देते हुए आगे बढ़े. ऐसा कहा जाता है कि जमीन पर लेटी हुई महिलाओं के ऊपर बैगाओं के गुजरने से माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और मां अंगार मोती से मांगी गई मन्नत जल्द पूरी होती है.
49 सालों से चली आ रही ये परंपरा
वहीं महिलाएं संतान प्राप्ति की इच्छा से मंदिर परिसर के रास्ते में लेटती हैं और मां अंगार मोती अपना आशीर्वाद देकर सुहागिन महिलाओं की सुनी कोख भर देती है. यह मड़ई मेले का आयोजन 1976 से लेकर अब तक चला आ रहा है. गंगरेल मड़ई कि यह परंपरा पिछले 49 सालों से चली आ रही है. पहले यह मड़ई चंवर गांव में आयोजित होती थी, लेकिन गंगरेल बांध बनने के बाद चंवर गांव डूब गया. इसके बाद से ही हर साल की तरह दीपावली के बाद का पहला शुक्रवार को मां अंगार मोती परिसर में मड़ई मेले का आयोजन किया जाता है.
निसंतान दंपति को संतान सुख की प्राप्ति की मान्यता
मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष जीव राखन लाल मरई ने बताया कि धमतरी जिले के अलावा अन्य जिलों से भी यहां श्रद्धालु शामिल होते हैं और जमीन पर लेट कर अपनी मन्नत भी मांगते हैं. और मां अंगार मोती अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हुए उनकी मनोकामना भी पूरी करती है.
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