Lok Sabha Election 2024 Issues: छत्तीसगढ़ में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) में बड़ी जीत दर्ज करने के बाद से उत्साहित भारतीय जनता पार्टी (BJP) अब राज्य की सभी 11 लोकसभा सीट पर कांग्रेस को पटखनी देने की कोशिश कर रही है. वहीं हार के बाद सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस जीत हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) तीन चरणों में 19 अप्रैल, 26 अप्रैल और सात मई को होंगे. वोटों की गिनती चार जून को होगी.
राज्य में सत्ताधारी दल भाजपा विधानसभा चुनाव के दौरान किसानों (Farmers), महिलाओं (Women) और युवाओं (Youth) से किए गए वादों को पूरा कर लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में जाना चाह रही है. पार्टी को इन वादों के साथ-साथ 'मोदी प्रभाव' (Modi Effect) पर भी भरोसा है. एक तरफ जहां भाजपा को उम्मीद है कि 2019 के लोकसभा चुनाव और 2023 के विधानसभा चुनाव की तरह ही वह इस लोकसभा चुनाव में भी जीत का क्रम जारी रखेगी. दूसरी तरफ, कुछ सीटों पर बढ़त से उत्साहित कांग्रेस किसानों, बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और जाति जनगणना जैसे मुद्दे के दम पर जीत की आस लगाए हुए है.
कांग्रेस के लिए हर बार कठिन रहा चुनाव
छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती रही है क्योंकि वर्ष 2000 में राज्य के गठन के बाद वह छत्तीसगढ़ में 2004, 2009, 2014 और 2019 के चार संसदीय चुनावों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पायी है. भाजपा ने तीन बार 2004, 2009 और 2014 में 11 में से 10 लोकसभा सीट जीती थीं. 2018 के विधानसभा चुनावों में गंभीर हार का सामना करने के बावजूद, भाजपा 2019 के लोकसभा चुनाव में 11 में से नौ सीट जीतने में कामयाब रही. छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए एक बार फिर कठिन होता दिख रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के 'अबकी बार 400 पार' के आह्वान से उत्साहित भाजपा ने राज्य की सभी 11 लोकसभा सीट के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. पार्टी ने चार मौजूदा सांसदों का टिकट काट दिया है. वहीं एक सांसद विधानसभा चुनाव में जीत के बाद राज्य में मंत्री बन गए हैं. भाजपा की सूची में एक पूर्व सांसद और एक पूर्व विधायक समेत तीन महिला नेता भी हैं. कांग्रेस ने अभी तक छह सीट के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है जिनमें से चार अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से हैं और एक अनुसूचित जाति (SC) से है.
कांग्रेस के उम्मीदवारों की सूची में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (राजनांदगांव सीट), पूर्व विधायक विकास उपाध्याय (रायपुर), पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू (महासमुंद), पूर्व मंत्री शिव डहरिया (जांजगीर-चांपा), मौजूदा सांसद ज्योत्सना महंत (कोरबा) और नए चेहरे राजेंद्र साहू (दुर्ग) शामिल हैं.
विधानसभा में BJP ने पलटी बाजी
राज्य में 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने दावा किया था कि वह अपनी लोकलुभावन योजनाओं और छत्तीसगढ़ियावाद के कारण एक बार फिर राज्य की सत्ता में काबिज हो जाएगी. लेकिन इस चुनाव में पूरा परिदृश्य बदल गया और तब 'कमजोर' दिख रही भाजपा को जनता का साथ मिला तथा उसने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया. भ्रष्टाचार, हिंदुत्व, किसानों, महिलाओं और युवाओं से किए गए वादों तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मजबूत छवि के दम पर इस विधानसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की 90 सदस्यीय विधानसभा में से 54 सीट पर कब्जा कर लिया. इस चुनाव में कांग्रेस 35 सीट जीतने में कामयाब रही, जो 2018 में मिली सीट से 33 कम है.
राज्य में 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 15 सीट पर जीत मिली थी और उसे 32.97 फीसदी वोट मिले थे. लेकिन 2023 के चुनाव में पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया और 54 सीट के साथ 46.27 फीसदी वोट भी हासिल किया. इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत 2018 में 43.04 फीसदी से घटकर 2023 में 42.23 फीसदी हो गया. इन चुनावों में कांग्रेस को क्रमश: 68 और 35 सीट मिली. विधानसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन से उत्साहित भाजपा ने आगामी लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी 11 लोकसभा सीट जीतने का लक्ष्य रखा है.
लोकसभा चुनाव के लिए छत्तीसगढ़ में प्रमुख मुद्दे
भ्रष्टाचार (Corruption) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi), केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा सहित भाजपा के शीर्ष नेताओं ने महादेव सट्टेबाजी ऐप (Mahadev App Scam), कोयला और शराब से संबंधित कथित घोटालों को लेकर विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य की पिछली बघेल सरकार पर निशाना साधा था. इन कथित घोटालों की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा किया जा रहा है. अपने वादे के मुताबिक नवनिर्वाचित भाजपा सरकार ने पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान उजागर हुए कथित घोटालों के कई मामलों में कार्रवाई शुरू कर दी है.
पिछले दो महीनों में, राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने कोयला परिवहन, शराब व्यापार, जिला खनिज फाउंडेशन और राज्य लोक सेवा आयोग भर्ती में कथित घोटालों में प्राथमिकियां दर्ज की हैं. राज्य सरकार ने कथित पीएससी घोटाले की सीबीआई जांच की भी घोषणा की है. नई सरकार के गठन के बाद भी भाजपा ने घोटालों को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधना जारी रखा है. हमलों का जवाब देते हुए, कांग्रेस ने भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र पर राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है.
कल्याणकारी योजनाएं (Welfare Schemes) : नवनिर्वाचित भाजपा सरकार दावा कर रही है कि उसने केवल तीन महीनों में 'मोदी की कई गारंटियों' (चुनाव पूर्व वादे) को पूरा किया है. भाजपा सरकार ने राज्य के किसानों को ‘इनपुट सब्सिडी' देने के लिए 'कृषक उन्नति योजना' और महिलाओं को मासिक वित्तीय सहायता देने के लिए महतारी वंदन योजना (Mahtari Vandan Yojana) की शुरुआत कर दी है. ये योजनाएं सत्ताधारी दल भाजपा को लोकसभा चुनाव में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद करेंगी.
अयोध्या में राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) : 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर छत्तीसगढ़ के सभी मंदिरों और विभिन्न स्थानों पर भव्य अनुष्ठान, प्रसाद वितरण और अन्य धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए. सत्ताधारी भाजपा ने राज्य में रामलला दर्शन योजना की शुरुआत की है जिसके तहत वह राज्य के लोगों को तीर्थ यात्रा में अयोध्या और वाराणसी लेकर जा रही है. यह यात्रा खासकर हिंदू धर्म के मतदाताओं को आकर्षित कर रही है.
विकास (Development) : भाजपा आरोप लगा रही है कि 2018 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद राज्य में ढांचागत विकास रुक गया था. पार्टी ने दावा किया है कि केवल ‘डबल इंजन' सरकार - केंद्र और राज्य में भाजपा सरकार, छत्तीसगढ़ में विकास कर सकती है. पार्टी ने नारा दिया है, 'भाजपा ने बनाया है, भाजपा ही संवारेगी.'
बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी (Inflation and Unemployment) : मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस राज्य में महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर भाजपा पर लगातार निशाना साध रही है.
वामपंथी उग्रवाद (Leftist Extremism) : राज्य में पिछले एक साल में संदिग्ध नक्सलियों ने कम से कम आठ भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी है. इनमें से दो घटनाएं इसी महीने (मार्च में) हुईं. भाजपा ने हत्याओं को 'लक्षित' हत्या करार दिया है. इन घटनाओं के बाद कुछ भाजपा नेताओं ने कांग्रेस और निचले स्तर के नक्सलियों के बीच सांठगांठ का भी दावा किया. विधानसभा चुनाव के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अगले पांच वर्षों में इस खतरे को खत्म करने का वादा किया था.
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