छत्तीसगढ़ का अनोखा मंदिर, साल में 1 बार खुलते हैं पट; 5 KM तक लगी श्रद्धालुओं की लाइन; जानिए क्या है मान्यता

Lingeshwari Mata Temple: छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में स्थित लिंगेश्वरी माता मंदिर अपनी अनोखी परंपरा और गहरी आस्था के लिए प्रसिद्ध है. यह मंदिर साल में केवल एक बार भाद्रपद नवमी के बाद आने वाले पहले बुधवार को खुलता है, जिसे 'एक दिन का मंदिर' भी कहा जाता है.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins

Chhattisgarh Hindi News: फरसगांव के आलोर में विराजी मां लिंगेश्वरी (Mata Lingeshwari Cave) की गुफा का पट बुधवार को जैसे ही खुला, वैसे ही श्रद्धालुओं की लंबी लाइनें लग गईं. ये लाइन लगभग 5 किमी तक लंबी हैं और 50 हजार से ज्यादा की संख्या में श्रद्धालु मौजूद हैं. मां लिंगेश्वरी की गुफा का पट हर वर्ष भाद्रपद (भादौ) की नवमी तिथि के पहले बुधवार की सुबह 5 खुलता है, लेकिन इससे पहले पुजारी विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं. यह मंदिर छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में स्थित है.

बता दें कि मां लिंगेश्वरी का मंदिर वर्ष में सिर्फ एक ही दिन खुलता है. यहां के लोगों का मानना है कि इस अनोखे मंदिर में पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है.

मंदिर समिति ने बताया कि आलोर की गुफा का पट खुला तो अंदर बिल्ली के पद चिह्न मिले. उनका मानना है कि बिल्ली के पैरों के निशान भय और आतंक को दर्शाते हैं. जानकारी रामलाल कोर्राम ने कहा कि देश में लड़ाई-झगड़े और राजनीतिक उथल-पुथल की संभावना है.

माता को चढ़ाना होता है खीरा

मंदिर में संतान की प्राप्ति के लिए आए हुए पति-पत्नी को एक खीरा माता को चढ़ाकर उसे नाखून से चीरकर खाना होता है. भिलाई के दंपती की शादी सात साल पहले हुई थी. सब जगह से निराश दंपती आलोर पहुंचे और भूलवश दो खीरे चढ़ा दिए, आज उनके दो जुड़वा बेटे हैं.

Advertisement

ये भी पढ़ें- मुफ्त बिजली देने की ओर तेजी से बढ़ रहा छत्तीसगढ़, CM बोले- एक छत के नीचे होंगे पावर कंपनियों के मुख्यालय