Chhattisagrh News: छत्तीसगढ़ के कोरिया में सरकारी ज़मीन को निजी करने का बड़ा खेल हुआ है. सागरपुर ग्राम पंचायत की जो जमीन 1975 में जल संसाधन के नाम दर्ज थी.जमीन वर्ष 2021 में तहसील के आदेश से ग्रामीण के नाम पर दर्ज कर दी गई. मामले का खुलासा होते ही कोरिया कलेक्टर विनय कुमार लंगेह ने तत्कालीन तहसीलदार समेत जल संसाधन विभाग के तीन रिटायर्ड अफसरों पर 15 दिनों के अंदर FIR दर्ज करने के निर्देश जल संसाधन विभाग के ईई को दिए हैं.
ये है पूरा मामला
दरअसल कोरिया जिले के बैकुंठपुर ब्लॉक के सागरपुर पंचायत में स्थित खसरा नंबर 442/2 रकबा 0.097 हेक्टेयर भूमि पूर्व में सिंचाई विभाग के नाम पर दर्ज रही. तत्कालीन तहसीलदार ऋचा सिंह के न्यायालय ने राजस्व प्रकरण में किशुन राम पिता हीरासाय रजवार के नाम दर्ज करने का आदेश साल 2021 में दिया था. सागरपुर के ग्रामीणों ने वर्तमान तहसीलदार के आदेश के तहत रिकॉर्ड दुरुस्त कराया था.
विनय कुमार लंगेह, कलेक्टर कोरिया
भूमि अधिग्रहण का रिकार्ड अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय गेज स्पिल-वे, बैकुंठपुर से मंगवाने पर पता चला कि खसरा क्रमांक 515 व 442/2 का अधिग्रहण कर मुआवजा संबंधित भूमि मालिक किशुन सहित अन्य को 23 दिसंबर 1977 को किया जा चुका है. इसके बाद कोरिया कलेक्टर ने बैकुंठपुर की पूर्व तहसीलदार ऋचा सिंह सहित जल संसाधन विभाग के तीन अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश जल संसाधन विभाग के ईई को दिए.
भूमि पर बना है ग्राम पंचायत भवन
ग्रामीणों ने 2022 में की गई शिकायत में बताया कि वह भूमि वर्ष 1975 से सिंचाई विभाग के नाम पर दर्ज है. इस भूमि पर पंचायत भवन बना है, जबकि राजस्व रिकार्ड में वह भूमि पंचायत भवन व खेल का मैदान के रूप में दर्ज है। तहसीलदार बैकुंठपुर मनहरण सिंह राठिया ने 22 फरवरी 2022 को राजस्व रिकार्ड दुरुस्त करने का आदेश दिया तो वह भूमि किशुन राम रजवार के नाम पर दर्ज हो गई। शासन द्वारा सागरपुर की भूमि 442/2 को किशुन राम के नाम दर्ज करने का आदेश 2 मार्च 2021 को जारी हुआ, तब ऋचा सिंह बैकुंठपुर तहसीलदार रही थी. प्रकरण में किशुनराम व सुखलाल ने शपथ-पत्र देकर बताया था कि उक्त भूमि का अधिग्रहण जल संसाधन विभाग द्वारा कभी नहीं किया गया. त्रुटिवश अभिलेख में जल संसाधन विभाग का नाम दर्ज हो गया है. मामले में न्यायालय ने दस्तावेजों के आधार पर आदेश जारी कर दिया.
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