छत्तीसगढ़ में गजब है 'जल जीवन मिशन' का हाल ! स्ट्रक्चर दो साल से तैयार, टंकी का इंतजार

भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन के तहत छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के रुदा गांव में बना टंकी का स्ट्रक्चर इन दिनों खूब चर्चा में हैं. टंकी का स्ट्रक्चर तैयार हो गया है,लेकिन टंकी अब तक नहीं लगी है. कहा जा रहा है कि यह सिर्फ तस्वीरें नहीं बल्कि जल जीवन मिशन के तहत हो रहे काम की हकीकत है.

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Jal Jeevan Mission News: भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन के तहत छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के रुदा गांव में बना टंकी का स्ट्रक्चर इन दिनों खूब चर्चा में हैं. टंकी का स्ट्रक्चर तैयार हो गया है,लेकिन टंकी अब तक नहीं लगी है. कहा जा रहा है कि यह सिर्फ तस्वीरें नहीं बल्कि जल जीवन मिशन के तहत हो रहे काम की हकीकत है. टंकी के स्ट्रक्चर की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रही हैं. 

दरअसल टंकी नाम सुनते ही मन में पानी की शांति और व्यवस्था का भाव आता है लेकिन रुदा गांव की ये टंकी सिर्फ एक जल संरचना नहीं, विकास के उधार दिए गए सपनों की पतंग है, जो उड़ती तो है, मगर डोर सरकारी फाइलों में उलझी पड़ी है.इसी उलझन की कड़ियां समझने के लिए एनडीटीवी की टीम रुदा गांव पहुंची. जब हम ग्राउंड पर पहुंचे तो पता चला कि इस टंकी को बनाने का आदेश 12 दिसंबर 2022 को जारी हुई था.

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दुर्ग के रुदा गांव में बना ये पानी का टंकी अब सेल्फी प्वाइंट बन गया है. यहां खड़ा स्ट्रक्चर दो सालों टंकी का इंतजार कर रहा है.

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इस काम को नौ महीने में यानी अगस्त 2023 तक पूरा होना था लेकिन जुलाई 2025 तक क्या स्थिति है ये तस्वीर खुद बता रही है. टंकी का ढांचा अब गांव वालों के बीच कौतूहल का विषय बना हुआ है.  बता दें कि गांव में टंकी बनने का काम शुरू हुआ तो गांव पाइप लाइन भी बिछाई गई. लोगों में आशा जगी कि टंकी बनेगा, पाइप से उनके घरों तक पानी पहुंचेगा लेकिन हुआ इसका उल्टा. अब तो यहां जो पाइप लाइन बिछाई गई थी उसके ऊपर सड़क बना दी गई है. एक ग्रामीण ऐश्वर्या देशमुख का तंज दिलचस्प है- हम ऑनलाइन ऑर्डर करते हैं तो समान पहुंचाने वाले जब हमसे एड्रेस पूछते हैं तब  हम बताते हैं जो गांव में बिना टंकी वाला स्ट्रक्चर है, वहां आ जाओ, वो आसानी से पहुंच जाते हैं. 

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अधिकारियों का दावा- कार्य अभी प्रगति पर है

इस मसले पर जब हमने कार्यपालन अभियंता उत्कर्ष पांडे से बात की तो उन्होंने कहा- कार्य प्रगति पर है. उनके मुताबिक ग्राम रूदा में जल जीवन मिशन के लिए अनुबंधित राशि 65.389 लाख है. इस योजना के तहत 35 किलो लीटर क्षमता, 12 मी. स्टेजिंग की जिंक एल्यूमिनियम एलॉय टैंक का निर्माण किया जाना है.टंकी निर्माण कार्य की लागत 10.98 लाख रूपए है, इसके अलावा घरों में कनेक्शन और पाइप लाइन को भी बिछाया जाना है.  वर्तमान में उपरोक्त अनुबंध में कार्य के लिए कोई भुगतान नहीं किया गया है. ठेकेदार को पूर्ण भुगतान तभी किया जायेगा, जब योजना से शत-प्रतिशत घरों में पेयजल सप्लाई होगी. हालांकि इसका जवाब उनके पास नहीं था कि जब काम 9 महीने में पूरा होना था तब इतना वक्त क्यों लग रहा है? बहरहाल हम आपको बता दें कि रूदा गांव का मामला तो एक बानगी है राज्य में कई जगहों पर जल जीवन मिशन का यही हाल है...आगे बढ़ने से पहले आंकड़ों से हालात को समझते हैं.  

नल तो लग गए लेकिन पानी नहीं आता

दरअसल जल जीवन मिशन का सपना था कि गांव-गांव में नल से पानी बहेगा लेकिन हकीकत ये है कि कहीं नल मवेशी बांधने की जगह बन गए हैं, कहीं टंकी बच्चों का स्लाइड बन गई है. इसके अलावा कहीं टंकी का ढांचा “गांव का वॉच टॉवर” बनकर खड़ा है. अब आप चलिए मनेंद्रगढ़ के नारायणपुर गांव चलिए.यहां 1.19 करोड़ खर्च करके नल तो लगा दिए गए, टंकी भी बना दी गई, लेकिन एक साल से पानी का ‘लोकार्पण' नहीं हुआ. हालत ये कि महिलाएं रोज़ बच्चों को घर पर छोड़कर दूर-दूर से पानी लाने जाती हैं. गांव वाले नलों का इस्तेमाल मवेशी बांधने के लिए कर रहे हैं. मानो सरकार ने नल-जल नहीं, ‘नल-गाय' मिशन चला रखा हो. 

नल के पास पालतू कुत्ता बांध दिया

कुछ ऐसा ही हाल राजनांदगांव में भी है. यहां जल जीवन मिशन की रफ्तार कछुए जैसी है.कहीं पाइपलाइन बिछ गई तो टंकी अधूरी, कहीं टंकी बनी तो पानी ग़ायब. ठेकेदार काम छोड़कर ऐसे गायब हैं जैसे गर्मी में हैंडपंप का पानी.अब कलेक्टर डॉ सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे कह रहे हैं कि अनुबंध रद्द होंगे, नए टेंडर आएंगे… यानी पानी अभी भी कागज़ पर ही बह रहा है. कोरिया जिले के महुआपारा में हालात और ‘रोमांचक' हैं .

विधायक निवास के पास बने नलों से पानी नहीं आ रहा तो गांववालों ने नल के पास पालतू कुत्ता बांध दिया है. पूछने पर बोले-पानी न सही, रखवाली तो हो जाएगी. वहीं स्कूल और आंगनबाड़ी के भीतर अधूरी टंकी बिना बैरिकेड के पड़ी है .बच्चे उस पर ऐसे चढ़ते हैं जैसे मेला लगा हो.

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि इस सरकार ने दो साल में सिर्फ 10 लाख कनेक्शन ही दिए हैं. इसका मतलब है कि ये जो डबल इंजन की सरकार है वो आपस में एक-दूसरे को खींच रही है. PHE विभाग अरुण साव से संभल नहीं रहा है. बड़ी-बड़ी बातों की जगह काम करना चाहिए. 

कांग्रेस सरकार के दौरान गलत आंकड़े दिए गए: अरुण साव

दूसरी तरफ राज्य के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने दूसरी ही बातें सामने रखीं. उनका कहना है- पिछली कांग्रेस सरकार की अव्यवस्था के कारण 2 साल विलंब से काम आरंभ हुआ. 2023 में जब  हमारी सरकार बनी तो पोर्टल पर 36 लाख घरों में नल के कनेक्शन लगाने का आंकड़ा दर्ज था .  जिसकी हमने समीक्षा की तो पता चला कि  जून 2024 तक सिर्फ 21 लाख घरों में पानी आ रहा है. इसका मतलब यह हुआ कि कांग्रेस की सरकार के समय केवल पोस्ट खड़ा करके नल लगा कर टोटी लगाकर एंट्री कर दी गई, पानी की चिंता नहीं की गई. हमारी सरकार बनने के बाद योजना को आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है. वैसे आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में जल जीवन मिशन के लिए 26,465 करोड़ का प्रावधान है. योजना में गड़बड़ी के आरोप में अब तक 4,986 ठेकेदारों पर जुर्माना लगा जा चुका है जबकि दो ठेकेदार फर्मों पर FIR भी दर्ज हुई है. इस दौरान 3 अधिकारी सस्पेंड भी हुए हैं.

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