Indian Railways: इस वजह से अगर मिस हो गई है आपकी ट्रेन, तो करें ये काम और पाएं इतने हजार रुपये का मुआवजा

Indian Railways News: रेल मार्गों की मरम्मत, बारिश, धरना- प्रदर्शन आंदोलन की वजह से अक्सर सुनने में आता है कि ट्रेनों के रूट बदल दिए गए हैं. जिससे यात्रियों को कई बार अप्रत्याशित समस्याओं का सामना करना पड़ता है. टिकट के पैसे भी बेकार होने का डर रहता है. लेकिन कोई बात नहीं यदि आप अपने अधिकारों को लेकर जागरूक हैं, तो भारतीय रेल और आईआरसीटीसी को ऐसी स्थिति में मुआवजा दे सकता है.

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Indian Railways: रूट डायवर्जन की वजह से यदि मिस हो गई है आपकी ट्रेन तो करें ये काम, पा सकते हैं मुआवजा!

Railway Route Diversion: अक्सर सुनते हैं कि ट्रेन का टिकट कंफर्म होने के बाद ट्रेनों के रूट में बदलाव कर दिया गया है. ऐसी स्थिति में रेल यात्रियों की ट्रिप अक्सर प्रभावित हो जाती है. यदि आप अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं, तो इसके लिए भारतीय रेल और आईआरसीटीसी को मुआवजा देना पड़ सकता है. 

दरअसल, एक ऐसा ही मामला चंडीगढ़ से सामने आया आया है . जहां जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम को एक ऐसे ही मामले पर मुआवजा देने के लिए कहा है.  इस केस में दो टिकटों पर कुल 477.70 रुपये वापस करने के साथ आयोग ने 10 हजार रुपये का मुआवजा देने को कहा है. ताकि, उनके टिकट के पैसे वापस किए जा सकें. यह निर्देश तकनीकी कारणों से डायवर्ट की गई ट्रेन के गुड़गांव में उनके बोर्डिंग स्टेशन पर नहीं पहुंचने के बाद आया है.

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29 नवंबर 2022 को बुक की थी टिकट

जानकारी के अनुसार जिन रेल यात्रियों के मामले में आयोग ने रेलवे को मुआवजा देने को कहा है, उनका नाम भारतेंदु सूद और उनकी पत्नी का नाम नीला सूद हैं. ये दोनों चंडीगढ़ के रहने वाले हैं. इन्होंने गुड़गांव से चंडीगढ़ की यात्रा के लिए 29 नवंबर 2022 को दो रेलवे टिकट बुक किए थे. टिकटों की कीमत 477.70 रुपये थी. जब सूद रेलवे स्टेशन पहुंचे, तो उनके पास मोबाइल पर मैसेज आता है कि तकनीकी कारणों से ट्रेन गुड़गांव नहीं आएगी. जिसकी वजह से इस जोड़े को ट्रेन की जगह बस से सफर करना पड़ा.

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ई मेल कर रिफ़ंड का किया था अनुरोध

करीब एक सप्ताह बाद, सूद ने आईआरसीटीसी को ईमेल कर रिफ़ंड का अनुरोध किया. हालांकि, उन्हें सूचित किया गया कि रिफंड नहीं हो पाएगा, क्योंकि उन्होंने बोर्डिंग स्टेशन पर 72 घंटों के भीतर आवेदन नहीं किया था. फरियादी ने तर्क दिया कि वरिष्ठ नागरिक होने के नाते, उनके लिए गुड़गांव स्टेशन पर रिफंड के लिए आवेदन करना संभव नहीं था, खासकर जब उन्हें तुरंत बस से चंडीगढ़ जाना था.

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आईआरसीटीसी ने दिया ये तर्क

इस मामले में आईआरसीटीसी ने दावा किया कि उसकी भूमिका रेलवे यात्री आरक्षण प्रणाली तक पहुंच प्रदान करने तक सीमित थी और ट्रेन डायवर्जन में उसकी कोई भागीदारी नहीं थी, जिसका प्रबंधन भारतीय रेलवे द्वारा किया जाता है. बदले में, भारतीय रेलवे ने कहा कि उसे शिकायत से कोई सरोकार नहीं है.

 इन टिकटों पर लिया था सुविधा शुल्क 

जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग चंडीगढ़ ने पाया कि इलेक्ट्रॉनिक आरक्षण पर्ची से संकेत मिलता है कि आईआरसीटीसी ने टिकटों के लिए 17.70 रुपये का सुविधा शुल्क लिया था, जबकि भारतीय रेलवे ने 460 रुपये का शुल्क लिया था. इससे ये पता चलता है कि तय डेट पर ट्रेन निर्धारित स्थान पर नहीं रुकी, जिससे फरियादी को परेशानी का सामना करना पड़ा था.

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आयोग ने इसके लिए दोनों को माना जिम्मेदार

इस पूरे मामले में आयोग ने माना कि सेवा में कमी के लिए आईआरसीटीसी और भारतीय रेलवे दोनों जिम्मेदार थे. नतीजतन, आयोग ने आईआरसीटीसी, चंडीगढ़ और भारतीय रेलवे को चंडीगढ़ में रेलवे स्टेशन प्रबंधक के माध्यम से शिकायतकर्ताओं को 13 दिसंबर, 2022 से 9 % प्रति वर्ष ब्याज के साथ किराए के 477.70 रुपये के अलावा 10 हजार रुपये और वापस करने का निर्देश दिया. इसमें मानसिक पीड़ा, उत्पीड़न और मुकदमेबाजी की लागत भी शामिल है. यदि आपके साथ भी ऐसा हुआ है, तो आप भी अपने अधिकारों को लेकर अपने नजदीकी उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग की मदद ले सकते हैं.

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