छत्तीसगढ़ में बच्चों ने पेड़-पौधों को लगाए गुलाल, कहा - होली पर न लगाएं केमिकल वाले रंग

Holi 2025 : छत्तीसगढ़ में अपील की गई कि कैमिकल युक्त रंगों से बचें और पेड़ों को नुकसान पहुंचाने की बजाय फूलों से होली खेलें. इसलिए सूखी लकड़ियों और कंडों का इस्तेमाल करना चाहिए.

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छत्तीसगढ़ में बच्चों ने पेड़-पौधों को लगाए गुलाल, कहा - होली पर न लगाएं केमिकल वाले रंग

Chhattisgarh : देश भर में रंगों के त्योहार होली की धूम मची हुई है. हर जगह लोग रंग और गुलाल लगाकर एक-दूसरे संग आपसी प्रेम का संदेश दे रहे हैं और होली के जश्न में डूबे हुए हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों में लठमार होली खेली जा रही है तो कहीं कुर्ता फाड़ होली की धूम है. इसी बीच, बालोद जिले से आई दो अनोखी तस्वीरें एक मिसाल पेश कर रही हैं. बालोद जिले के दो पर्यावरण प्रेमी भोज साहू और वीरेंद्र सिंह ने पेड़ों के साथ होली मनाने की एक नई पहल की है. इस पहल में वृक्षों पर रंग-गुलाल लगाकर होली का त्योहार मनाया गया.

पेड़ों के साथ अनोखी होली

पहली तस्वीर में पर्यावरण प्रेमी भोज साहू और उनके छह वर्षीय पुत्र वृक्षांश साहू ने नीम के पेड़ों के साथ होली मनाई. उन्होंने हल्दी, चंदन, कुमकुम और विभिन्न फूलों के रंगों से पेड़ों को सजाया. उनके साथियों ने भी पेड़-पौधों के साथ होली मनाकर प्रकृति के प्रति आभार जताया.

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दूसरी तस्वीर दल्लीराजहरा से आई है, जहां ग्रीन कमांडो के नाम से मशहूर पर्यावरण प्रेमी वीरेंद्र सिंह ने स्कूलों में जाकर बच्चों को पर्यावरण की सुरक्षा का संदेश दिया. उन्होंने पेड़ काटने से रोकने की अपील की और पेड़ों पर तिलक लगाकर होली का संदेश दिया.

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पर्यावरण के लिए करें ये काम

पर्यावरण प्रेमी भोज साहू ने इस तरह होली मनाने के पीछे का कारण बताया. उन्होंने कहा कि लोगों को पर्यावरण से जोड़ने और उसकी सुरक्षा के लिए आगे आना जरूरी है. आजकल होली के नाम पर हरे-भरे पेड़ों को काटकर होलिका दहन किया जाता है जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है.

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उन्होंने अपील की कि कैमिकल युक्त रंगों से बचें और पेड़ों को नुकसान पहुंचाने की बजाय फूलों से होली खेलें. इसलिए सूखी लकड़ियों और कंडों का इस्तेमाल करना चाहिए. भोज साहू ने पलाश, गुलाब और गेंदा जैसे प्राकृतिक फूलों से होली खेलने का आग्रह किया ताकि पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सके. 

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