गुरु नानक देव 517 साल पहले पधारे थे इस आदर्श गांव में, जानिए नानक सागर गांव के बारे में...

नानक सागर गांव वही गांव है जहां आज से करीब 517 साल पहले सिखों के पहले गुरु नानक देव जी पधारे थे. गुरु नानक देव जी के आगमन ने नानक सागर गांव को अमर कर दिया है. इस गांव को स्वच्छता के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल चुका है.

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नानक सागर गांव के सभी घर गुलाबी रंग में रंगे गए हैं.
महासमुंद:

सिख धर्म की स्थापना करने वाले गुरु नानक देव जी का ज्योति जोत पर्व पूरे देशभर में आज मनाया जा रहा है. इस पर्व को छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में स्थित "नानक सागर" गांव में भी बड़े हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है. नानक सागर गांव वही गांव है जहां आज से करीब 517 साल पहले सिखों के पहले गुरु नानक देव जी पधारे थे. गुरु नानक देव जी के आगमन ने नानक सागर गांव को अमर कर दिया है. इस गांव को स्वच्छता के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल चुका है. इसके साथ ही यह गांव आदर्श ग्राम का दर्जा भी रखता है. अब इस गांव को छत्तीसगढ़ में सिखों के सबसे बड़े तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बनाई जा रही है.

कैसे पड़ा गांव का नाम

महासमुंद जिला मुख्यालय से लगभग 110 किमी दूर बसना विकासखंड में स्थित नानक सागर गांव में सन् 1506 में गुरु नानक देव जी का आगमन हुआ था. बताया जाता है कि गुरु नानक जी उस समय पुरी यात्रा पर थे, लेकिन भैना राजा के आग्रह पर गुरु नानक देव इस गांव में पधारे थे. गुरु नानक जी यहां पर दो दिन रुकने के बाद पुरी की यात्रा पर निकल गए थे. यहां सदियों से रहने वाले बंजारा समाज के लोग भी उस समय गुरु नानक देव जी के साथ पुरी की यात्रा पर गए थे. बताया जाता है कि इस गांव का नाम पहले रानी सागर था, लेकिन गुरु नानक जी के आगमन के बाद इस गांव का नाम बदलकर "नानक सागर" हो गया.

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इस गांव को सिखों के धर्मस्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है.

आदर्श ग्राम है "नानक सागर"

नानक सागर गांव के इतिहास से साथ ही वर्तमान को देखें तो यह एक मिसाल कायम करता है. एकता और अखंडता के प्रतीक इस गांव के सभी घर एक ही गुलाबी रंग में रंगे गए हैं. लगभग 800 लोगों की आबादी वाले इस गांव में कभी चुनाव नहीं होता. यहां सभी पद सर्वसम्मति से निर्विरोध चुने जाते हैं. नानक सागर का आजतक कोई भी मामला पुलिस थाने में दर्ज नहीं हुआ है. इस गांव से न तो कोई राजस्व का मामला है और ना ही कोई वन विभाग का मामला है. यहां रहने वाले हेमंत बंधु बड़े गर्व से बताते हैं कि गुरु नानक जी जिस स्थान पर विराजमान हुए थे, उस "नानक डेरा" चबूतरे पर सारे विवाद अपने-आप सुलझ जाते हैं.

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आस्था और श्रद्धा का बड़ा केंद्र है यह गांव

नानक सागर गांव का इतिहास सामने आने के बाद यहां सिख श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. पिथौरा के वरिष्ठ पत्रकार रजिंदर खनूजा ने बताया कि वो नानक सागर आते रहते हैं. उन्होंने नानक सागर पर कई खबरें बनाई हैं. पत्रकार खनूजा ने बताया दिल्ली के कैंसर मरीज अपने अंतिम समय में यहां दर्शन के लिए आए थे और पूरी तरह से स्वस्थ होकर गए थे. उन्होंने बताया कि दुर्ग के एक पैरालिसिस के मरीज भी यहां आने के बाद ठीक होकर गए. इन मामलों का मेडिकल प्रमाण है.

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यहां आने के बाद मरीज ठीक होकर जाते हैं.

सिख युवाओं ने खोजा इस गांव का इतिहास

रायपुर के कुछ सिख युवाओं को ग्राम नानक सागर के बारे में पता चला. उन्हें पता चला कि यहां के लोग गुरु नानक देव को मानते हैं. इसके बाद इन युवकों ने नानक सागर गांव को खोजना शुरू किया. यह सारी जानकारी लगभग दो साल पहले सामने आई. इतिहास पता करने वाले स्थानीय युवा हरजिंदर सिंह हरजू ने बताया कि गुरु नानक जी की याद में तत्कालीन भैना राजा ने 5 एकड़ जमीन लिख दी थी. आज भी सरकारी रिकॉर्ड में गुरु नानक जी के नाम से 5 एकड़ जमीन दर्ज है.

स्वच्छता के लिए मिला राष्ट्रपति पुरस्कार

महासमुंद जिले के बसना विकासखंड में स्थित "नानक सागर" गांव अब तक जिले का सबसे सुंदर और सबसे स्वच्छ गांव है. यहां गुलाबी घरों के सामने फूल और पौधों की सजावट के साथ ही गांव की गलियां भी गमलों, पौधों और पेड़ों से सजी हुई हैं. नानक सागर गांव को स्वच्छता के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार सहित अनेक पुरस्कार मिल चुके हैं.

नानक सागर गांव का कोई भी मामला आज तक पुलिस थाने में दर्ज नहीं हुआ है.

गांव को पर्यटन स्थल बनाने है योजना

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नानक सागर गांव को पर्यटन स्थल बनाने की घोषणा की है. इसके साथ ही नानक सागर को सिक्खों के बड़े तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने रायपुर और महासमुंद के 10 से अधिक गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की बैठक हो चुकी है. इस गांव को विकास के लिए दिल्ली सहित अन्य बड़े केंद्रों के प्रमुखों का आना जाना यहां चलता रहता है.

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