CG: प्रशासन का एक्शन! छत्तीसगढ़ के इस BEO पर गिरी निलंबन की गाज, जानें क्यों हुई ये कार्रवाई

CG News: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के जिला शिक्षा अधिकारी को कमिश्नर ने सस्पेंड कर दिया है. ये कार्रवाई भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद की गई है. 

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बीईओ के खिलाफ कार्रवाई की शिक्षक संघ ने की थी मांग

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में  लंबे समय से चल रहे भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण गरियाबंद के ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (बीईओ) आर.पी. दास को आखिरकार 29 अक्टूबर को निलंबित कर दिया गया. शिक्षक संघ ने बीईओ कार्यालय में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को लेकर 25 सितंबर को गरियाबंद कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था. NDTV ने शिक्षको के इस मुद्दे को प्रमुखता से प्रकाशित किया था. जिसके बाद इस मामले में जांच शुरू हुई. शिक्षकों के लगातार दबाव के चलते प्रशासन को यह सख्त कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा.

शिक्षक संघ के संघर्ष का परिणाम

शिक्षक संघ ने न केवल आर.पी. दास बल्कि दो अन्य कर्मचारियों उदय राम साहू और दीपक साहू के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की मांग की थी. इस मुद्दे पर शिक्षक संघ का कहना है कि यह कार्रवाई दिखाती है कि अगर कर्मचारी एकजुट होकर अपनी समस्याओं के खिलाफ आवाज उठाएं तो प्रशासन को मजबूरन कार्रवाई करनी पड़ती है.

लंबी चली जांच के बाद हुई कार्रवाई 

कलेक्टर दीपक अग्रवाल के आदेश पर अपर कलेक्टर अरविंद पांडेय की देखरेख में इस मामले की जांच की गई. प्रशासन ने इस मामले को पहले नजरअंदाज करने की कोशिश की, लेकिन शिक्षक संघ के लगातार विरोध के बाद ही इस मामले को गंभीरता से लिया गया. रायपुर संभाग आयुक्त ने निलंबन का आदेश जारी किया. इसके बाद अब शिक्षकों को थोड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन सवाल है कि ऐसे मामलों में प्रशासन कब तेजी दिखाएगा?

2019 का अनुभव और विभाग की निष्क्रियता

आर.पी. दास का विवादित इतिहास 2019 में नगरी में भी सामने आया था, जहां भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उन्हें निलंबित किया गया था. इसके बावजूद, गरियाबंद में उन्हें जिम्मेदारी देने पर भी सवाल उठ रहे हैं. शिक्षकों का कहना है कि यदि प्रशासन ने पहले सख्त कदम उठाए होते, तो शायद आज गरियाबंद के शिक्षा विभाग की ऐसी हालत नहीं होती.

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आगे की राह और शिक्षकों की उम्मीदें

हालांकि दास को छूरा कार्यालय में निलंबन के दौरान स्थानांतरित किया गया है और उन्हें जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा, लेकिन शिक्षक संघ का कहना है कि यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का पहला कदम है. दो अन्य कर्मचारियों पर भी जल्द फैसले की उम्मीद जताई जा रही है. शिक्षक संघ का मानना है कि प्रशासन को भ्रष्टाचार के मामलों में त्वरित और कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि शिक्षा विभाग में पारदर्शिता और विश्वास कायम हो सके.

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