छत्तीसगढ़ के 54 गांवों में इस खतरनाक बीमारी का खतरा ! दांतों में आ गए पीले, भूरे रंग के धब्बे

Fluorescence Disease : छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में इन दिनों ग्रामीण फ्लोराइड युक्त पानी पी रहे हैं, जिसकी वजह से ग्रामीण फ्लोरोसिस नामक बीमारी के शिकार हो रहे हैं. गांव में बच्चे, बूढ़े और नौजवान सबके दांत पीले और भूरे रंग के हो चुके हैं. पीड़ितों का उपचार जारी है.

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छत्तीसगढ़ के 54 गांवों में इस खतरनाक बीमारी का खतरा ! दांतों में आ गए पीले, भूरे रंग के धब्बे.

Fluorescence Disease In Kanker 54 villages : छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में इन दिनों एक अजीब तरह की बीमारी फैल रही है. इस बीमारी से एक दो नहीं, बल्कि पूरे 54 गांव प्रभावित हैं. ये बीमारी है फ्लोरोसिस. दांतों के लिए ये खतरनाक है. बता दें, कांकेर जिला फ्लोराइड प्रभावित जिलों में से एक है. यहां के तकरीबन 54 गांव फ्लोराइड से प्रभावित हैं. यहां के बच्चे-बूढ़े फ्लोरोसिस नामक बीमारी की चपेट में है. फ्लोराइड युक्त पानी के इस्तेमाल से डेंटल फ्लोरोसिस होता जा रहा है. जहां के बच्चे बुजुर्ग महिलाएं इस बीमारी से ग्रसित है. इनके दांतो में पीले, भूरे रंग के धब्बे हो चुके हैं.

इस पानी के ज़्यादा इस्तेमाल से इन्हें कंकालीय फ़्लोरोसिस (हड्डियों से जुड़ा रोग) हो सकता है. जो इनके लिए ज्यादा खतरनाक है. जिसके रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशेष शिविर लगाकर उपचार किया जा रहा है.

प्रभावित लोगों का उपचार जारी

स्वास्थ्य अधिकारी महेश शांडिया ने बताया कि इससे बचने के लिए समय-समय पर कार्य किए जा रहे है. कांकेर जिला अस्पताल सहित गांव में शिविर लगाकर फ्लोरोसिस से प्रभावित लोगों का उपचार भी किया जा रहा है. स्कूली बच्चों से लेकर ग्रामीणों को भी जागरूक करने और पानी के रूप में इस्तेमाल नहीं करने की जानकारी भी दी जा रही है. फ्लोराइड युक्त सभी गांवों को चिन्हांकित कर यह कार्य किये जा रहे है.

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क्यों बंद हैं फ्लोराइड रिमूवल प्लांट ?

कांकेर कलेक्टर नीलेश कुमार महादेव क्षीरसागर का कहना है कि कांकेर जिले में पानी में फ्लोराइड और आयरन मात्रा अधिक है. जिले के अंदरूनी इलाके सहित नरहरपुर, सरोना के के इलाके इनसे ज्यादा प्रभावित है. शासन के विभिन्न कार्यक्रम चलाया जा रहा है. ताकि यहां तक पहुंच कर समुचित सुविधाएं दी जा सके. समय-समय पर स्वास्थ्य शिविर भी लगाए जा रहे है. जिन जगहों पर फ्लोराइड रिमूवल प्लांट बंद पड़े हैं, उन्हें पुनः चालू कराया जाएगा. सप्ताह में होने वाली बैठक में भी इस संबंध में चर्चा की जा रही है.

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स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की लापरवाही !

हालांकि, स्वास्थ्य विभाग जागरूकता और इलाज की बात तो कह रहा है. लेकिन उन ग्रामीणों का क्या जो लंबे समय से फ्लोराइड युक्त पानी पीकर बीमार होते जा रहे हैं. लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की लापरवाही भी सवालों के घेरे में है कि आखिर विभाग द्वारा इन इलाकों के भू-जल स्रोतों की जांच में लापरवाही आखिर क्यों बरत रही है. ग्रामीण कब तक इस पानी का इस्तेमाल कर बीमार पड़ते रहेंगे. फ्लोराइड इन गांवों के लिए अभिशाप बन चुका है.

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