फर्जी डॉक्टर यादव और अपोलो प्रबंधन की बढ़ी मुश्किलें, 19 साल बाद FIR दर्ज, जानें कैसे मिली थी ज्वॉइनिंग ?

Action On Fake Doctor And Apollo Hospital  : छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव और अपोलो प्रबंधन की मुश्किलें अब और भी बढ़ती हुई दिख रही है. मामला सामने आने के बाद जांच की गई तो हैरान करने वाले खुलासे हुए. हालांकि, 19 साल बाद दोनों पर FIR दर्ज की गई है.

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(फाइल फोटो)

FIR Registered On Fake Doctor And Apollo Hospital  Bilaspur : छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव पर सरकंडा थाने में एफआईआर दर्ज की गई है. वहीं, जिस अस्पताल में फर्जी डॉक्टर 19 साल पहले काम करता था, उस अपोलो निजी अस्पताल पर भी अपराध दर्ज किया गया. 19 साल पहले 2006 में हुई छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष पं. राजेन्द्र शुक्ल की मौत हुई, उनके बेटे प्रदीप शुक्ला का कहना है कि, फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य उर्फ जान केम के इलाज से उनकी जान गई, जिसके बाद एफआईआर दर्ज की गई.

बता दें, फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ डॉ.जान केम के इलाज से मध्यप्रदेश के दमोह में भी 7 हार्ट पेशेंट की मौत हुई है. फर्जी डॉक्टर जॉन केम की गिरफ्तारी पहले ही दमोह से हो चुकी है. अब अपोलो हॉस्पिटल पर भी डॉक्टर की नियुक्ति में लापरवाही को लेकर केस हुआ है.

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अस्पताल की गंभीर लापरवाही सामने आई

आरोप है कि आरोपी डॉक्टर ने फर्जी डिग्री के आधार पर इलाज किया और लापरवाही से मौत का कारण बना. स्व. राजेन्द्र शुक्ल के बेटे डॉक्टर प्रदीप शुक्ला की शिकायत के बाद IPC की धारा 420, 465, 466, 468, 471, 304, 34 के तहत 19 अप्रैल को मामला दर्ज किया गया. FIR में अपोलो प्रबंधन को भी आरोपी बनाया गया. आरोप है कि बिना दस्तावेज सत्यापन के अस्पताल प्रबंधन ने फर्जी डॉक्टर को भर्ती कर इलाज का मौका दिया. अस्पताल प्रबंधन के पास ना ही कोई डॉक्टर से संबंधित उपयोगिता और विशेषज्ञ का दस्तावेज है केवल बायोडाटा लेकर ही आरोपी डॉक्टर की पदस्थापना कर दी गई। इसी से गंभीर लापरवाही हुई और मरीज की जान चली गई.

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 CMHO कार्यालय को अब तक नहीं दी जानकारी

19 साल बाद दिवंगत राजेंद्र शुक्ल के बेटे प्रदीप का बयान सामने आने के बाद CMHO डॉ. प्रमोद तिवारी ने गंभीरता से लिया था. उन्होंने अपोलो अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया कि किस आधार पर डॉक्टर की नियुक्ति की गई थी..? वहीं प्रबंधन ने अब तक दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए. जिसके कारण  विभागीय जांच में देरी हो रही है। उसकी शैक्षणिक योग्यता से संबंधित दस्तावेज पेश करने को कहा गया था. साथ ही पूर्व विधानसभा अध्यक्ष समेत कई लोगों की मौत के मामले में डॉक्टर के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई थी. इस मामले में स्वास्थ्य विभाग की भी जांच जारी है.

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ढाई महीने में 15 ऑपरेशन, 7 की मौत

दमोह के मिशन अस्पताल में लंदन के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एन जोन केम के नाम पर फर्जी डॉक्टर ने ढाई महीने में 15 हार्ट ऑपरेशन कर डाले. आरोप है कि दिसंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच हुए इन ऑपरेशन में 7 मरीजों की मौत हो गई. इसका खुलासा तब हुआ जब एक मरीज के परिजन ने संदेह होने पर डॉक्टर की शिकायत की. इसके बाद मामला मानवाधिकार आयोग तक पहुंच गया.

मामला 4 अप्रैल को सुर्खियों में आया, जब राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की. इसमें मिशन अस्पताल में 7 हार्ट पेशेंट्स की मौत और फर्जी डॉक्टर का जिक्र किया. 7 मरीजों की मौत के बाद जांच हुई तो आरोपी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव का बिलासपुर कनेक्शन सामने आया. बिलासपुर में भी ये कई लोगों की जान ले चुका है. इनमें सबसे बड़ा नाम छत्तीसगढ़ विधानसभा के पहले अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल का भी है.

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बायोडाटा लेकर ही नौकरी दे दी गई थी

राजेंद्र प्रसाद अविभाजित मध्यप्रदेश में भी विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं. दमोह में मौत के बाद उनके बेटे प्रदीप शुक्ल ने ये आरोप लगाए. तब 2006 में डॉ. नरेंद्र बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में पदस्थ था. उनको नियुक्ति कैसे दी गई? इस पर अब सवाल उठे, जिसके बाद मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय की तरफ से अस्पताल से जवाब मांगा गया. जिसके बाद खुलासा हुआ.ऐसे फर्जी डॉक्टर को केवल बायोडाटा लेकर ही नौकरी दे दी गई. तत्कालीन रमन सिंह सरकार के द्वारा उनके अच्छे इलाज के लिए चुने गए, इस अपोलो हॉस्पिटल में बड़ी लापरवाही हुई.उसके साथ ही सरकार से बाकायदा लाखों रुपये फीस भी ले ली गई.

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