Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के दुर्ग शहर की प्यास बुझाने वाली शिवनाथ नदी इन दिनों बदहाली का शिकार हो रही है. यह वही नदी है जो दुर्ग जिले के लाखों लोगों के साथ-साथ मैदानी क्षेत्र की लाखों आबादी को शुद्ध जल उपलब्ध कराती है. सर्दियों का यह समय है और कल-कल बहने वाली शिवनाथ आज स्थिर है, जलस्तर काफी कम हो गया है, ऐसे में मानव आबादी की प्यास बुझाने के लिए शिवनाथ नदी में जगह-जगह डैम बनाए गए हैं ताकि पानी को रोका जा सके. लेकिन शिवनाथ नदी में लगातार शहरों से निकलने वाले गंदे पानी से लेकर छोटे-मोटे उद्योगों का दूषित पानी भी बहा दिया जाता है.
शिवनाथ नदी को प्रदूषण से बचाने की मुहिम सिर्फ कागजों और चुनावी वादों तक ही सीमित रह जाती है.एक बार फिर शिवनाथ नदी में हजारों मछलियों और जलीय जीवों की रहस्यमयी मौत हुई है. NDTV की पड़ताल में जो जानकारियां सामने आई हैं वो बहुत ही चौंकाने वाली हैं...
मामला धमधा के पास स्थित मोतीपुर गांव का है. यह वही जगह है जहां एक बड़ा डैम बनाया गया है ताकि यहां बड़ी आबादी को पानी पिलाने के लिए जल को रोका जा सके, और इसी जगह पर दो इंटेक वेल भी बनाए गए हैं जहां से धमधा शहर को लगातार पानी की सप्लाई की जा रही है.NDTV को जब इसकी जानकारी मिली तो रियलिटी का पता लगाने NDTV के संवाददाता चंद्रकांत शर्मा ग्राउंड जीरो पहुंचे. यहां पाया कि सैकड़ों मछलियां पानी की सतह पर तैर रही थीं. देखने से ऐसा लग रहा था कि ये मछलियां दो-तीन दिन पहले ही दम तोड़ चुकी थीं. इसके अलावा आसपास के क्षेत्र में बदबू भी फैली हुई थी.
शिवनाथ नदी में मछली पकड़ने वाले मछुआरों से हमने मछलियों की मौत की वजह जानने की कोशिश की. उनका कहना है कि किसी ने शिवनाथ में केमिकल युक्त जहरीला पदार्थ छोड़ा है, जिसके कारण यहां के जलीय जीवों की मौत हुई है.
इसके अलावा आगे जाकर हमने और भी लोगों से बात की. उन्होंने बताया कि मरी हुई मछलियों की संख्या अभी कम दिखाई दे रही है, लेकिन तीन-चार दिन पहले स्थिति और भी भयावह थी. लाखों की संख्या में मछलियां मरी हुई पानी में तैर रही थीं. उन्होंने भी आशंका जताई कि आसपास स्थित किसी बड़े उद्योग ने अपना केमिकल युक्त जहरीला पानी शिवनाथ में छोड़ा है, जिसके कारण यह हालत हुई है.
चोरी-छिपे डैम के चार गेट खोल दिए
वहीं शिवनाथ नदी के किनारे खेती करने वाले किसान दिनेश पटेल ने बताया कि स्थिति चार दिन पहले और भी भयावह थी. पानी में एक अजीब सी बदबू थी, इसके अलावा मरी हुई मछलियों को बगुला या कुत्ता भी नहीं खा रहे हैं. उन्होंने यह भी बताया कि तीन दिन पहले यह डैम काफी भरा हुआ था, पानी यहां से ओवरफ्लो हो रहा था, लेकिन किसी ने चोरी-छिपे डैम के चार गेट खोल दिए. नतीजा यह हुआ कि भरा हुआ पानी पूरी तरह खाली हो गया.
इस तरह लाखों लीटर पानी जबरदस्ती बहा दिया गया. उन्होंने यह भी बताया कि इस डैम का गेट कभी नहीं खोला जाता था. ऐसे में उन्होंने आशंका जताई कि इस बात की भनक जिम्मेदारों को लग गई होगी और उन्होंने ही डैम के गेट खोले, क्योंकि डैम का गेट खोलना किसी ग्रामीण की बस की बात नहीं है इसके लिए एक विशेष तरह की चाबी की आवश्यकता होती है.
पूरे मामले की जानकारी के लिए हमने धमधा एसडीएम सोनल से सवाल पूछे. उन्होंने कहा कि आपके माध्यम से हमें यह जानकारी पता चली है, आगे जो भी होगा जांच करवाई जाएगी.अब ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि अपनी काली करतूत को छुपाने के लिए किसी ने डैम का गेट खोला होगा, लेकिन उसने जिला प्रशासन या जिम्मेदार अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं दी. ग्रामीणों की मानें तो संभावना यह भी है कि इसमें कई अधिकारियों की मिलीभगत है.
ग्रामीणों द्वारा जताई गई आशंका के आधार पर हमने कई किलोमीटर तक घूमकर यह जानने की कोशिश की कि आखिर शिवनाथ में कहां का जहर युक्त पानी मिलाया जा रहा है, लेकिन इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी.
वहीं हरदी गांव के ग्रामीणों ने बताया कि रात के अंधेरे में मछली मारने वाले शिवनाथ नदी के अंदर बड़ा ब्लास्ट करते हैं. ब्लास्ट इतना भयानक होता है कि 50 से 60 मीटर तक सभी जलीय जीवों की मौत हो जाती है. इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी बताया कि कुछ लोग हाई वोल्टेज करंट के जरिए भी मछली मारते हैं.. उनके द्वारा बताई गई ब्लास्ट करने वाली बात पर हमने उनसे पूछा कि उन्हें बारूद कहां से मिलता होगा? तो उन्होंने बताया कि आसपास बड़े-बड़े खदान हैं जहां से उन्हें आसानी से बारूद मिल जाता है. मछली मारने का यह तरीका कई वर्षों से चला आ रहा है. इस मामले की जानकारी हमने दुर्ग कलेक्टर अभिजीत सिंह को भी दी. उन्होंने कहा है कि पर्यावरण विभाग और संबंधित विभागों के अधिकारियों को मौके पर भेजा जा रहा है. वाटर सैंपल लिया जाएगा और पूरी तरह से जांच की जाएगी .आगे नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी.