Suicide Case : एक पल में माता, पिता और अपने व दोस्तों के सबके सपने बिखर गए. जैसे ही डॉक्टर भानुप्रिया सिंह की सुसाइड की खबर रविवार को सामने आई. अभी तो करियर शुरू ही हुआ था कि उससे पहले ही एक घर की बेटी जिंदगी से हार गई. वजह क्या थी ? क्यों ऐसा कदम भानुप्रिया को उठाना पड़ा. ये सब अब जांच के बाद ही पता चल पाएगा.. बिलासपुर, सिम्स (छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) मेडिकल कॉलेज में रविवार दोपहर हड़कंप मच गया. सिम्स परिसर में स्थित गर्ल्स हॉस्टल में एक महिला डॉक्टर भानुप्रिया सिंह ने आत्महत्या कर ली.
क्या निगरानी तंत्र रहा असफल ?
गर्ल्स हॉस्टल जैसी जगहों पर जहां छात्राएं और महिलाएं रहती हैं, वहां पर्याप्त निगरानी और सुरक्षा इंतजाम होना चाहिए. घटना के दिन, सुबह से लेकर दोपहर तक किसी ने यह ध्यान नहीं दिया कि डॉक्टर भानुप्रिया की स्थिति कैसी है? यह सिम्स प्रशासन की लापरवाही और निगरानी तंत्र की विफलता को दर्शाता है. इस घटना ने सिम्स प्रबंधन के कामकाज पर सवाल खड़े कर दिए हैं. एक प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान में मानसिक स्वास्थ्य सहायता और सुरक्षा उपायों की कमी, व्यवस्थागत लापरवाही को दर्शाती है.
जानें क्या बोले सिम्स के डीन डॉ. रमेश मूर्ति
इस मामले में डॉ.रमणेश मूर्ति (डीन, सिम्स हॉस्पिटल) ने NDTV से कहा- "छात्रा ने जो कदम उठाया है, वह हृदय विदारक है. साल 2018 बैच की छात्रा, जिसकी इंटर्नशिप अभी एक माह पहले खत्म हुई थी. अभी वर्तमान में अंबिकापुर के पास सुखरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पोस्टिंग थी. अपने किसी पारिवारिक आयोजन में माता-पिता की जानकारी में यहां आई थी, और पुराने मित्रों साथियों से मिलने आयी थी. अज्ञात कारणों से आवेश में या किसी कारणों से फांसी लगाकर अपने जीवन लीला समाप्त कर ली है. एक होनहार डॉक्टर का यूं ही चला जाना हम सब के लिए दुःख की बात है. अब औपचारिकता बची हुई है, इनके माता-पिता को सूचना दिया गया. सभी छात्र-छात्राएं व डॉक्टर मौजूद हैं. छात्रा ने इतना बड़ा कदम क्यों उठा लिया, इसकी कोई जानकारी नहीं है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही कुछ कहा जा सकता है. पुलिस को भी इसकी सूचना दे दी गई थी वो भी इसमें जांच पड़ताल कर रही है".
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मानसिक स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी
डॉक्टर भानुप्रिया की आत्महत्या ने यह भी उजागर किया है कि सिम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में मानसिक स्वास्थ्य सहायता और काउंसलिंग सेवाओं का अभाव है. चिकित्सा क्षेत्र में काम करने वाले डॉक्टरों पर अत्यधिक काम का दबाव और मानसिक तनाव आम हैं, लेकिन सिम्स प्रशासन की ओर से ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जो डॉक्टरों और कर्मचारियों को मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान कर सके.
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