इनके लिए फीका रहा दिवाली का त्योहार, जानें क्यों अपनों से बिछड़ गए ये बुजुर्ग?

Diwali 2024: देशभर में 31 अक्टूबर को दिवाली का त्योहार मनाया गया. घर को सजाने के लिए बाजारों में एक से बढ़कर एक रंग बिरंगे झालर के साथ साथ सोने चांदी, नए- नए कई तरह से सामानों की खरीददारी हुई. लोग फटाखे फोड़े, मिठाईयां बांटी गई, लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जो घर और अपनों से बिछड़ गए हैं और उनके लिए दिवाली का त्योहार फीका रहा.

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Diwali festival 2024: दीपावली (Diwali 2024) में दिए की रौशनी और चकाचौंध करने वाली वो सजावट भी फीकी पड़ जाती है, जब परिवार का कोई सदस्य घर से बाहर हो या उसका परिवार ही बिखर गया हो. ऐसे में उस परिवार को संजो कर रखने वाले बड़े बुजुर्गों की पीड़ा का आंकलन कर पाना बड़ा ही मुश्किल है. देशभर में 31 अक्टूबर को दिवाली का त्योहार मनाया गया. घर को सजाने के लिए बाजारों में एक से बढ़कर एक रंग बिरंगे झालर के साथ साथ सोने चांदी, नए- नए कई तरह से सामानों की खरीददारी की गई. घरों में दिए जलाकर मां लक्ष्मी जी की पूजा अर्चना हुई. लोग फटाखे फोड़े, मिठाईयां बांटी गई. गांव हो या शहर सभी जगह दीपावली है किसी के लिए खाश रौनक देखने को मिला, लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जो इस खास मौके पर भी घर और अपनों से बिछड़ गए हैं.

यूं अपनों से बिछड़ गए ये बुजुर्ग

दरअसल, बिलासपुर के सरकण्डा क्षेत्र  सुवाणी वृद्धाश्रम संचालित किया जा रहा है, जहां 22 महिला और पुरुषों को आश्रय दिया गया है. इनमें से कई लोग सक्षम परिवार से हैं, लेकिन उन्हें घर से बाहर निकाल दिया गया है. ये वो लोग हैं, जिन्होंने अपने खून पसीने की कमाई से घर बनाया और परिवार को संजो कर रखा, घर परिवार में सुख शांति के दिए जलाने वाले इन बड़े बुजुर्गों की हालत बहुत ही पीड़ादायक है. ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज ये अपने घर से दूर एक अनाथ की तरह वृद्धाश्रम में आश्रय लिए हुए हैं.

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अपनों के घर से निकाले अब गुजार रहे आश्रय में जिंदगी

यह जान कर आपकी आंखें नम हो जाएगी, जिन्होंने अपने संतानों की अच्छी परवरिश और अपने पैर पर खड़ा होना सिखाया आज उनके अपने बेटे-बेटियों ने उन्हें घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया. उन्हीं कई तहर से प्रताड़ित किया. जोरापारा में संचालित वृद्धाश्रम में कई ऐसे बुजुर्ग हैं, जिन्होंने अपनी आप बीती NDTV टीम को सुनाई, जिसे सुन कर आपकी आंखें नम हो जाएंगी और आप हैरान हो जाएंगे.  

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अपनों को याद कर नम हो गई बुजुर्गों की आंखें

साल में कई ऐसे उत्सव और त्योहार मनाए जाते हैं, जिसे याद करके इन बड़े बुजुर्गों की आंखें नम हो जाती है. ये सभी अपने परिवार के सदस्यों को याद करते हैं. कई लोग ऐसे हैं जो अपने परिवार वालों से मिलना चाहते हैं और वापस घर जाना चाहते हैं, लेकिन यह घर जाएं भी तो कैसे लाठी डंडे से मारपीट करने वाले इनके बच्चों के प्रताड़ना से खौफ खाकर घर से भागने वाले इन बुजुर्ग माता-पिता के दुख को आखिर कौन समझेगा?

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फीका रहा इन बुजुर्गों के लिए दिवाली का त्योहार

गुरुवार को पूरे देश भर में दीपावली का त्योहार बड़े ही उत्साह के साथ मनाया गया, लेकिन देश विभिन्न स्थानों में न जाने कितने  वृद्धाश्रम हैं जहां पर घर से बेघर हुए लोग आश्रय में रहते हैं. ऐसे में ये खुशियों की दीपावली उनके लिए फीकी पड़ जाती है. क्या आपने कभी सोचा है, उन लोगों पर क्या बीत रही होगी जिनके पास घर ,परिवार होते हुए भी किसी कारण से अपने परिवार से अलग एक वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर हैं.

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