Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के नक्सल इलाके में भ्रष्टाचार के एक बड़े प्रकरण में दंतेवाड़ा विशेष न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाया है. करीब 15 साल पुराने मामले में दो लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को दोषी पाया गया है. प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश विजय कुमार होता, विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) दंतेवाड़ा ने इस महत्वपूर्ण फैसले में दो अभियुक्तों चोवाराम पिस्दा और ज्ञानेश कुमार तारम दोषी करार दिया है. यह प्रकरण 2010-11 का है.
लोक निर्माण विभाग सुकमा में पदस्थ कार्यपालक अभियंता चोवाराम पिस्दा और कोन्टा के उप अभियंता और प्रभारी एसडीओ ज्ञानेश कुमार तारम ने एक सडक़ निर्माण योजना में भारी अनियमितता की थी. न्यायालय ने यह फैसला 16 जुलाई 2025 को सुनाया है. कोर्ट ने भारतीय दंड साहिता के तहत अलग-अलग धाराओं में सजा सुनाई है.
LWE योजना के तहत बनाई जा रही थी सड़क
उस दौरान एलडब्ल्यूई योजना के तहत चिंतलनार से मरईगुड़ा तक सडक़ बनाई जा रही थी. निर्माण का ठेका नीरज सीमेंट स्ट्रक्चर लिमिटेड मुंबई को दिया गया था. निर्माण कार्य की माप पुस्तिका (एम बी) फर्जी तरीके से करोड़ो रुपए ज्यादा दर्शाए गए थे. कार्य से कहीं अधिक मूल्य का बिल बनवाया गया और करीब 2 करोड़ 84 लाख की राशि का अतिरिक्त आहरण कर ठेकेदार को भुगतान करवा दिया गया था. माप पुस्तिका में कूट रचना और आर्थिक आपराधिक षड्यंत्र के प्रमाण मिले हैं.
5 सितंबर 2012 को हुई थी रिपोर्ट दर्ज
इस मामले में 5 सितंबर 2012 को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई थी. इसके बाद 29 जुलाई 2019 को न्यायालय में अंतिम प्रतिवेदन (चार्जशीट) प्रस्तुत किया गया. मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष द्वारा कुल 19 गवाहों के बयान न्यायालय में हुआ. बयान और सक्ष्यों ने अभियुक्तों की संलिप्तता एवं षड्यंत्र को स्पष्ट कर दिया. विशेष न्यायालय ने साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर दोनों अभियुक्तों को दोषी पाया है. न्यायालय ने धारा 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 2 वर्ष का सश्रम कारावास धारा 120-भा.द.सं. के तहत 1 वर्ष का सश्रम कारावास धारा 420 भा.द.स 3 वर्ष की सजा ,धारा 467 भा.द.स के तहत 3 वर्ष,, धारा 468 के तहत 3 वर्ष और धारा 471 के तहत 3 वर्ष की सजा सुनाई है.
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