Bilaspur News: बिलासपुर जिले से मात्र 16 किलोमीटर दूर बोदरी नगर पालिका परिषद के वार्ड क्रमांक 10 के गांव दडहा के लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. गांव में न सड़क है, न नियमित पानी और न ही बिजली की स्थाई व्यवस्था. अब अस बदहाली से नाराज लोगों को लोकतंत्र की दुहाई देने वालों को “सड़क नहीं तो वोट नहीं” का नारा देकर चिढ़ाना शुरू कर दिया है.
चुनाव बहिष्कार बना विकास में रोड़ा?
विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान ग्रामीणों ने खराब सड़कों से परेशान होकर मतदान का बहिष्कार किया था. बूथ नंबर 210 दोपहर 3 बजे तक सूना रहा. ग्रामीणों का आरोप है कि पटवारी पराग महलांग ने कुछ लोगों को जबरन कार में बैठाकर मतदान कराने की कोशिश की, जिसके विरोध में जमकर नारेबाजी हुई.
विकास से वंचित क्यों?
गांव के दो मुख्य मार्ग हैं, लेकिन दोनों कच्चे और बेहद जर्जर हालत में हैं. बारिश में रास्ते बह जाते हैं, संपर्क टूट जाता है. बच्चों को स्कूल जाने के लिए जान जोखिम में डालकर तीन रेलवे ट्रैक पार कर स्कूल जाना पड़ता है. वहीं, बच्चियों को शराब दुकान के सामने से गुजरना मजबूरी बन चुकी है. आपात स्थिति में न एम्बुलेंस आती है, न पुलिस, मानो प्रशासन के नक्शे से ही यह गांव गायब हो चुका हो.
विधायक की नाराज़गी या प्रशासन की लापरवाही?
लगभग 2000 की आबादी वाले इस गांव का विलय नगर पालिका बोदरी में 20 साल पहले हो चुका है. ग्रामीणों का सीधा आरोप है कि क्षेत्रीय विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक चुनाव बहिष्कार से नाराज़ हैं और शायद यही वजह है कि विकास कार्य जानबूझकर टाले जा रहे हैं. दो बार भूमि पूजन हो चुका है, लेकिन सड़क निर्माण आज तक शुरू नहीं हुआ.
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क्या लोकतंत्र में सवाल पूछना अपराध है?
दडहा गांव की बदहाली सिर्फ एक गांव की कहानी नहीं, बल्कि एक चेतावनी है, जहां जनता की आवाज दबाई जाती है और बुनियादी सुविधाओं के लिए सवाल उठाने पर ‘सजा' मिलती है. क्या अब सरकार और प्रशासन इस अनदेखी पर ध्यान देंगे? या फिर विकास का मतलब केवल वोट मिलने तक ही रहेगा?
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