छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में भ्रष्टाचार! किसानों के सपनों पर ऐसे फिरा पानी...

PMKSY NEWS: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है. योजना के तहत बने चेक डैम्स की गुणवत्ता खराब होने से किसानों को नुकसान हो रहा है. जांच में पता चला कि निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग किया गया और नियमों की अनदेखी की गई. अधिकांश डैम्स का निर्माण एक ही व्यक्ति ने करवाया, जो कृषि विभाग का अधिकारी बताया जा रहा है. अधिकारियों ने जांच और कार्रवाई की बात कही है.

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CG NEWS: प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY), जिसका उद्देश्य "हर खेत को पानी" और "प्रति बूंद अधिक फसल" है, वह छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में भ्रष्टाचार और लापरवाही की भेंट चढ़ती नजर आ रही है. जल संरक्षण और सिंचाई के लिए बनाए गए चेक डैम्स की गुणवत्ता इतनी खराब है कि वे किसानों को लाभ देने की बजाय भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं. ग्राउंड रिपोर्ट में यह साफ हुआ है कि नियमों की अनदेखी, घटिया सामग्री का उपयोग और जवाबदेही की कमी ने इस योजना को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया है.

हमारी टीम ने पाटन ब्लॉक के ग्राम पाहंदा में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत बने चेक डैम का निरीक्षण किया. इन चेक डैम्स को बने महज एक साल ही हुआ है, लेकिन उनमें पहले से दरारें दिखाई देने लगी हैं. पिचिंग वर्क इतना कमजोर है कि उसे हाथ से ही उखाड़ा जा सकता है. ग्रामीणों के अनुसार इसमें घटिया क्वालिटी की सामग्री इस्तेमाल हुई है और निर्माण में निर्धारित तकनीकी मानकों की अनदेखी की गई है.

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यह स्थिति सिर्फ पाहंदा तक सीमित नहीं है. जामगांव, कुर्मीगुण्डरा, भरर, डांडेसरा, अंजोरा ढाबा और भेंडसर जैसे गांवों में भी चेक डैम्स की हालत खराब है. औसतन एक डैम पर 15 से 17 लाख रुपये खर्च हुए. हमने 12 डैम्स का निरीक्षण किया, जिनमें से 9 की हालत 1-2 साल में ही जर्जर हो चुकी है. यह केवल लापरवाही नहीं बल्कि सुनियोजित गड़बड़ी का संकेत देता है.

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जांच में कई गंभीर अनियमितताएं सामने आईं. निर्माण कार्य ग्राम स्तरीय जलग्रहण समिति के बजाय निजी ठेकेदारों को दे दिया गया. अधिकांश डैम्स पर नागरिक सूचना पटल तक नहीं लगाए गए. 45-50 डैम्स में से सिर्फ एक पर सूचना पटल मिला. पानी रोकने के लिए आवश्यक डैम गेट भी किसी डैम में नहीं लगाया गया.

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गांव अंजोरा ढाबा के तत्कालीन सरपंच गजेंद्र सिरसाज ने बताया कि पूरे निर्माण की प्रक्रिया में सरपंचों को शामिल नहीं किया गया. उन्होंने बार-बार सूचना पटल और गेट की मांग की, लेकिन अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया. डांडेसरा के तत्कालीन पंच संतोष यादव ने कहा कि निर्माण कार्य कृषि विभाग द्वारा किया गया और सामग्री की खरीद भी विभाग ने ही की. पांच सदस्यों की समिति सिर्फ औपचारिक थी. अधिकारियों से बात करने पर उन्हें बाद में गेट लगाने का आश्वासन दिया गया.

अधिकतर का निर्माण एक ही व्यक्ति ने करवाया

सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि जिले के 45-50 चेक डैम्स में से अधिकतर का निर्माण एक ही व्यक्ति ने करवाया है. ग्रामीण उसे कृषि विभाग का अधिकारी मानते हैं. जब हमने इस बारे में कृषि विभाग से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस व्यक्ति की कोई जानकारी नहीं है. जब विभाग के अधिकारी उसी व्यक्ति के साथ फील्ड विजिट कर रहे हों और फिर भी उसे न पहचानें, तो मामला गंभीर शक के घेरे में आता है.

क्या बोले अधिकारी? 

इस मामले पर जब उप-संचालक कृषि संदीप भोई से सवाल किए गए, तो उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ वीडियो प्राप्त हुए हैं और निर्माण किस विभाग ने किया है, इसकी जांच कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी. सूचना पटल की कमी पर उन्होंने कहा कि योजना के प्रावधानों के अनुसार ही कार्य किया जाना है और परियोजना अधिकारी निरीक्षण करते हैं. जब उनसे तात्विक वर्मा नामक अधिकारी के बारे में पूछा गया, जिसे ग्रामीण प्रमुख निर्माणकर्ता बता रहे हैं, तो उन्होंने जवाब दिया कि ऐसे किसी अधिकारी की जानकारी नहीं है.

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना किसानों के लिए एक उम्मीद थी, लेकिन दुर्ग जिले में इसके क्रियान्वयन ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. यह सिर्फ भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि किसानों के साथ विश्वासघात है.