Chhattisgarh: बस्तर के जंगलों में टाइगर अभी जिंदा है, इंद्रावती टाइगर रिजर्व में दिखे 6 बाघ, ऐसे हुआ खुलासा 

Chhattisgarh : साल 1982 में बाघ समेत अन्य वन्य जीव के संरक्षण के लिए इंद्रावती टाइगर रिजर्व की स्थापना की गई थी. लेकिन, साल 2009 में टाइगर रिजर्व का दर्जा मिला था. इसके बाद यहां टाइगर के संरक्षण के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. तेंदुआ, नील गाय, वनभैंसा समेत अन्य वन्य प्राणी भी यहां भारी तादात में मौजूद हैं.

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Indravati Tiger Reserve: छत्तीसगढ़ के बस्तर (Bastar) के जंगलों में बाघ अब भी मौजूद हैं. बीजापुर जिले में स्थित इंद्रावती टाइगर रिजर्व (ITR) में पिछले 3 सालों में 6 बाघों के होने की पुष्टि हुई है. देहरादून के टाइगर सेल ने इसकी जानकारी दी है. इनमें एक नर बाघ भी शामिल है. ITR में लगे ट्रैप कैमरे में बाघों की तस्वीर कैद हुई है. इधर, वाइल्ड लाइफ के अफसरों का दावा है कि यहां बाघों की संख्या बढ़ भी सकती है. 

बाघों की पुष्टि के लिए लगे हैं कैमरे

दरअसल, इंद्रावती टाइगर रिजर्व बाघों के रहवास के लिए काफी अनुकूल माना जाता है. महाराष्ट्र-तेलंगाना से लगा इंद्रावती टाइगर रिजर्व करीब 2799.086 वर्ग किलोमीटर मीटर में फैला हुआ है. इसमें 1258 37 वर्ग किलोमीटर कोर जोन है, जबकि 1540.70 वर्ग किलोमीटर बफर जोन है. साल 2021 से अब तक यहां बाघों की पुष्टि के लिए कई कैमरे लगाए गए हैं. कैमरे में कैद हुई तस्वीरों का परीक्षण के लिए देहरादून के टाइगर सेल भेजा गया था. जहां से इंद्रावती टाइगर रिजर्व में 6 बाघ होने की पुष्टि हुई है. ITR के CCF राजेश पांडेय ने कहा कि बाघों के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. 

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ग्रामीणों को सुनाई देती है दहाड़

बीजापुर जिले के धुर नक्सल प्रभावित इलाके सोमनपल्ली के ग्रामीणों ने बताया कि जब वे जंगल जाते हैं, तो अक्सर उन्हें बाघ की दहाड़ सुनाई देती है. ग्रामीणों के अनुसार केवल सोमनपल्ली ही नहीं, इसके आसपास के क्षेत्रों में भी बाघ की दहाड़ सुनाई देती है. हालांकि, उन्होंने बाघों की सिर्फ दहाड़ सुनी है, बाघ देखा नहीं है. छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले से महाराष्ट्र की सीमा लगी है. दोनों राज्यों के बीच घनघोर जंगल और पहाड़ी इलाका है. इंद्रावती टाइगर रिजर्व के बाघ छत्तीसगढ़ से महाराष्ट्र के इलाकों में पहुंच जाते हैं. हालांकि, कुछ समय बाद वे छत्तीसगढ़ लौट आते हैं.

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नहीं रुक रहा शिकार

इंद्रावती टाइगर रिजर्व में बाघों का शिकार भी नहीं रुक रहा है. शिकारी जंगल और पहाड़ी इलाके में करंट का जाल बिछाकर बाघ को फंसाने की कोशिश करते हैं. करीब 2 साल पहले दंतेवाड़ा में बाघ की खाल समेत कुछ तस्कर पकड़े गए थे. जुलाई 2022 में भी बाघ की खाल और नाखून के साथ कोंडागांव में भी तस्करों को पकड़ा गया था. 

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