सारंगढ़-बिलाईगढ़: इस जिले ने एमपी को दिया था 13 दिन का मुख्यमंत्री, बेहद प्राचीन है इतिहास

सारंगढ़ रियासत के गोंड़ राजा नरेशचंद्र सिंह 13 से 25 मार्च 1969 तक दिनों के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे. 

विज्ञापन
Read Time: 17 mins

सारंगढ़–बिलाईगढ़  जिला छत्तीसगढ़ का 30 वां जिला है. इसके गठन की घोषणा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 15 अगस्त, 2021 को की थी और इसकी स्‍थापना 3 सितंबर, 2022 को हुई. प्राकृतिक संपदा से भरपूर सारंगढ़–बिलाईगढ़ पहले रायगढ़ जिले का हिस्‍सा था. सारंगढ़ रियासत के गोंड़ राजा नरेशचंद्र सिंह 13 से 25 मार्च 1969 तक 12 दिनों के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे. 

सारंगढ़-बिलाईगढ़ जाने के लिए हवाई मार्ग, ट्रेन और सड़क मार्ग से यात्रा की जा सकती है. यहां का निकटतम एयरपोर्ट रायपुर का स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट है. साथ ही सबसे करीबी प्रमुख रेलवे स्टेशन भी रायगढ़ रेलवे स्टेशन है. राष्ट्रीय राजमार्ग 49, राष्ट्रीय राजमार्ग 130 बी और राष्ट्रीय राजमार्ग 153 यहां से गुजरता है.

Advertisement

दशहरे पर 'गढ़-विच्छेदन' की परंपरा है बेहद खास

बस्तर के दशहरे की ही तरह सारंगढ़ का दशहरा भी प्रसिद्ध है.गोंड राज परिवार ने विजयादशमी के दिन सारंगढ़ की प्रसिद्ध गढ़-विच्छेदन परम्परा की शुरुआत की थी. इसमें  खुले मैदान में मिट्टी का एक गढ़  यानी किला बनाया जाता है. स्थानीय युवा अपने शौर्य का प्रदर्शन करते हुए इस किले पर चढ़ कर गढ़ को तोड़ने की कोशिश करते हैं. यह काफी मुश्किल भरा काम होता है, क्‍योंकि गढ़ की ऊंची दीवार को चिकनी मिट्टी और गोबर के लेप से एकदम चिकना कर दिया जाता है. इसलिए प्रतिभागियों को कांटेनुमा लोहे के पंजे गाड़कर ऊपर तक पहुंचना होता है. गढ़ के ऊपर कुछ व्यक्ति पहले से मौजूद रहते थे जो किले के ऊपर चढ़ने की कोशिश करने वालों पर डंडे से प्रहार कर उन्हें नीचे गिराने की कोशिश करते हैं. इस सबके बीच फिसलते-सम्हलते जो युवक सबसे ऊपर चढ़कर मिटटी के बने गढ़ को तोड़ देता है उसे पुरस्‍कार दिया जाता है.  यह परंपरा गोंड राजाओं के समय से चली आ रही है. 

Advertisement

इस तरह पड़ा सारंगढ़ नाम 

प्राचीन काल में यह क्षेत्र सारंगपुर कहलाता था, जो कालांतर में सारंगढ़ हो गया. सारंग का एक अर्थ बांस भी होता है और गढ़ का मतलब किला. माना जाता है कि बांस के घने जंगलों (सारंग वृक्ष) के कारण इसे यह नाम मिला. हालांकि सारंग नामक पक्षी की बहुलता के कारण सारंगढ़ नाम पड़ने की बात भी कही जाती है. इसके अलावा एक मत यह भी है कि यहां हिरणों, ( जिन्‍हें सारंग भी कहा जाता है) की अधिकता के कारण इस स्‍थान का नाम सारंगढ़ पड़ा.

Advertisement

इतिहास : पुरापाषाण काल में यहां आदिमानव के निवास के प्रमाण

छत्तीसगढ़ के कांकेर और बीजापुर की तरह सारंगढ़ में भी पुरापाषाण कालीन मानव के अस्तित्‍व के प्रमाण मिले हैं. कुछ पुरातत्‍वविदों का यहां तक कहना है कि सारंगढ़ क्षेत्र ही मनुष्य जाति का जन्म-स्थल है और मानव जाति की आदिम सभ्यता यानी आदि मानव यहीं पले-बढ़े हैं. सारंगढ़ में कई शताब्दियों तक गोंड राजाओं का राज्‍य रहा. बाद में सारंगढ़ रियासत रतनपुर राज्य का हिस्सा रही. यह संबलपुर राज्‍य के अधीन भी रहा जो कि छत्तीसगढ़ से सटे ओडिशा प्रांत में था. सनृ 1736 से 1777 तक यहां के राजा रहे कल्याण साय को मराठा शासक ने राजा की पदवी दी, जबकि 1830 से 1872 तक राजा रहे संग्राम सिंह को अंग्रेजों ने फ्यूकटरी चीफ की उपाधि दी थी. भारत की आजादी से पहले राज्‍य के ज्‍यादातर जिलों की तरह ही आजादी से पहले यह भी छत्तीसगढ़ की 14 रियासतों में से एक था. आजादी के बाद 1 जनवरी, 1948 को इस क्षेत्र का मध्य प्रदेश में विलय हुआ था.  

महल, मंदिर से लेकर अभ्यारण्य तक हैं दर्शनीय स्थल 

सारंगढ़ के प्रमुख ऐतिहासिक स्‍थलों में यहां के राज परिवार के राज महल 'गिरि विलास पैलेस' का नाम सबसे पहले लिया जा सकता है. इस महल में में राज परिवार की कुलदेवी मां समलाई का मंदिर आज भी विद्यमान है, जिसकी स्थापना 1692 में की गई थी. प्रकृति प्रेमियों और वाइल्ड लाइफ में रुचि रखने वालों के लिए गोमर्डा या गोमर्डा अभ्यारण्य भी एक मनोरम स्थान है.

सारंगढ़-बिलाईगढ़ एक नज़र में

  • जनसंख्या 6,17,252 
  • तहसीलें - 4 (सारंगढ़, बरमकेला, बिलाईगढ़, सरिया)
  • ग्राम पंचायत - 349 
  • नगरीय निकाय : सारंगढ़, बरमकेला, सरिया, बिलाईगढ़, भटगांव।
  • विधानसभा क्षेत्र - 2 (सारंगढ़ और बिलाईगढ़)