छत्तीसगढ़ में इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस एक्सपर्ट की कमी, हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को दिए तत्काल नियुक्ति के निर्देश

Chhattisgarh High Court News: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को राज्य में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य विशेषज्ञ की तत्काल नियुक्ति करने का निर्देश दिया है. अदालत ने कहा कि डिजिटल अपराधों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य विशेषज्ञ की नियुक्ति जरूरी है.

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Chhattisgarh High Court News: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य विशेषज्ञ की अनुपस्थिति को गंभीर चिंता का विषय बताया है. हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को तत्काल विशेषज्ञ की नियुक्ति करने के निर्देश देते हुए कहा कि बढ़ते साइबर अपराधों को देखते हुए इस पद का खाली रहना न्यायिक प्रक्रिया के लिए बाधा बन सकता है.

यह मामला जनहित याचिका के माध्यम से अदालत के समक्ष लाया गया, जिसे याचिकाकर्ता शिरीन मालेवर ने अधिवक्ता रुद्र प्रताप दुबे और गौतम खेत्रपाल के माध्यम से दायर किया था. बुधवार को इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने की. सुनवाई के दौरान अदालत ने स्पष्ट किया कि देश में कई स्थानों पर इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य विशेषज्ञ नियुक्त किए गए हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में अब तक ऐसा कोई विशेषज्ञ नहीं है, जो एक गंभीर विषय है.

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अधिवक्ता ने दी ये दलील

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने दलील दी कि देशभर में 16 स्थानों पर विशेषज्ञों की नियुक्ति की गई है, जो केंद्र सरकार द्वारा की जाती है. हालांकि, छत्तीसगढ़ में अब तक कोई विशेषज्ञ नियुक्त नहीं किया गया है. राज्य के महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने भी अदालत को इस संबंध में जानकारी दी.

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कोर्ट ने इस मामले में आईटी अधिनियम की धारा 79 का हवाला देते हुए कहा कि प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य की जांच और प्रमाणिकता सुनिश्चित करने के लिए विशेषज्ञ की नियुक्ति अनिवार्य है. केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे अधिवक्ता रमाकांत मिश्रा को इस मामले में चार सप्ताह के भीतर शपथपत्र दायर कर जवाब देने का निर्देश दिया गया है.

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‘इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य विशेषज्ञ की नियुक्ति जरूरी'

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने टिप्पणी की कि डिजिटल अपराधों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य विशेषज्ञ की नियुक्ति जरूरी है और उम्मीद है कि केंद्र सरकार इस दिशा में शीघ्र आवश्यक कदम उठाएगी. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि अधिवक्ता रमाकांत मिश्रा आगामी चार सप्ताह में हलफनामा दाखिल कर यह सूचित करें कि किस व्यक्ति को नियुक्त किया जा रहा है.

10 मार्च को होगी अगली सुनवाई

इस मामले की अगली सुनवाई 10 मार्च को होगी, जहां यह स्पष्ट हो सकता है कि केंद्र सरकार ने विशेषज्ञ की नियुक्ति के लिए क्या कदम उठाए हैं. हाईकोर्ट के इस निर्देश से प्रदेश में साइबर अपराधों की जांच प्रक्रिया को मजबूती मिलने की उम्मीद है.

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