Chhattisgarh High Court- तबादले से जुड़े एक मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा है कि यदि बहुत जरुरी ना हो तो शैक्षणिक सत्र के बीच में ऐसे कर्मचारी और अधिकारी जिनके बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, उनका स्थानांतरण ना किया जाए.
कोर्ट ने स्टाफ नर्स सरस्वती साहू की उस याचिका पर फैसला सुनाया है जिसमें याचिकाकर्ता के दो बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. पढ़ाई के बीच में किए गए स्थानांतरण आदेश पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है.
मामले की सुनवाई जस्टिस पीपी साहू की सिंगल बेंच में हुई. कोर्ट ने फैसले में लिखा है कि यदि बहुत जरुरी ना हो तो शैक्षणिक सत्र के बीच में ऐसे कर्मचारी और अधिकारी जिनके बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, उनका स्थानांतरण ना किया जाए.
क्या है मामला?
सरस्वती साहू जिला-बालोद के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पीपरछेड़ी, में स्टाफ नर्स के रूप में कार्यरत है. उनका डॉ. भीमराव अंबेडकर मेमोरियल अस्पताल, रायपुर में तबादला कर दिया गया है. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया, कि याचिकाकर्ता स्टाफ नर्स के दो पदों में से वर्तमान पदस्थापना स्थान पर कार्यरत एकमात्र स्टाफ नर्स है. वहीं याचिकाकर्ता के दो बच्चे स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूल, बालोद, जिला-बालोद में कक्षा-10 वीं और 6 वीं में पढ़ रहे हैं. याचिकाकर्ता का स्थानांतरण शैक्षणिक सत्र के मध्य में हुआ है, इसलिए उन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
उन्होंने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता का एक बच्चा कक्षा-10वीं में पढ़ रहा है, जो कि बोर्ड परीक्षा है. कोर्ट में स्कूल शिक्षा निदेशक बनाम ओ. करुप्पा थेवन मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया, जिसकी रिपोर्ट 1994 एससीसी सप्लीमेंट (2) 666 में दी गई है.
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि स्थानांतरण करते समय, इस तथ्य को उचित महत्व दिया जाना चाहिए कि कर्मचारी के बच्चे पढ़ रहे हैं, यदि सेवा की अनिवार्यताएं तत्काल नहीं हैं. इस टिप्पणी के साथ स्थानांतरण आदेश पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सचिव स्वास्थ्य सेवाएं के समक्ष 10 दिनों की अवधि के भीतर नया अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. यदि याचिकाकर्ता अभ्यावेदन प्रस्तुत करता है, तब सचिव स्वास्थ्य सेवाएं को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को ध्यान में रखते हुए, कानून के अनुसार चार सप्ताह के भीतर निर्णय लेना होगा. अभ्यावेदन के निराकरण तक स्थानांतरण आदेश पर कोर्ट ने रोक लगा दी है.