Direct Dil Se : घूंघट से ऐसे ले ली आजादी... CG महिला आयोग की अध्यक्ष ने बताए रोचक किस्से 

Exclusive Interview Shakhsiyat Direct Dil se: छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने NDTV के खास कार्यक्रम शख्सियत डायरेक्ट दिल से में सीनियर सब एडिटर अंबु शर्मा से खास बातचीत की.  

विज्ञापन
Read Time: 7 mins

Exclusive Interview Dr.Kiranmayi Nayak:  NDTV के खास कार्यक्रम 'शख्सियत डायरेक्ट दिल से' में छत्तीसगढ़ की एक ऐसी शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं जो राज्य में महिलाओं की प्रताड़ना से जुड़े हर बड़े मामलों पर सुनवाई करती हैं. वो राज्य छत्तीसगढ़ के टॉप लेवल की नेता भी हैं, वकील भी हैं, डॉक्ट्रेट की उपाधि से नवाजी भी गई हैं और अब राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष की भूमिका में हैं. वो हैं डॉ किरणमयी नायक...आइए जानते हैं उनके घूंघट से आजादी लेकर राजनीति और आयोग की अध्यक्ष तक का पूरा सफर NDTV के खास कार्यक्रम शख्सियत डायरेक्ट दिल से में... 

सवाल: आप अपने बचपन के बारे में बताएंगे, आपका बचपना कैसे बीता? क्या कुछ संघर्ष रहा? 

जवाब: मेरा जन्म ग्वालियर में हुआ था. पिताजी सरकारी नौकरी में थे. जहां उनका ट्रांसफर होता वहां स्कूल में हमारा एडमिशन होता. घूम-घूम कर पढ़ाई हुई. सीधे अंग्रेजी संस्कृत भी पढ़ी है .कब कौन सी स्कूल होगी वो पता नहीं होता था. नए टीचर नए माहौल में पढ़ाई. बचपन से ही कई सारी बातें सीखने को मिली.

Advertisement

सवाल: आपकी लव या अरेंज मैरिज है? आप लोगों की पहली मुलाकात कैसे हुई? 

जवाब: मेरी अरेंज मैरिज हुई. बचपन से निडर थी, लड़कों से भी दोस्ती और फाइटिंग भी होती थी.  जब घर वालों ने देखना शुरू किया तो मैंने कई रिश्तों को मैंने रिजेक्ट किया था. लेकिन लड़के ने कॉलेज में मुझे देखा हां कर दी थी. माता-पिता ने बताया ही नहीं कि देखने आया है. दादी 15 साल की उम्र से पीछे पड़ी थी. जब लड़का मुझे देखने आया तो वो इतनी एक्साइटेड थी कि अटैक आ गया.  उनकी गाड़ी में ही अस्पताल लेकर गए थे. लेकिन तब तक मुझे नहीं पता था कि ये लड़का मुझे देखने आया है. 3 महीनें के बाद मुझे पता चला कि शादी तय हो गई है वही लड़का है जो  दादी को अस्पताल लेकर गया था. मैं इस बात पर पापा से नाराज हो गई. पापा ने मुझसे कहा कि क्या पूछोगी कि खाना बनाना आता है या नहीं, मैनें कहा हां... मुझे सभी ने समझाया कि इस तरह से बात नहीं करते हैं. फिर मेरी शादी पक्की हुई. सगाई के एक महीने के बाद मुझसे मिलने आए थे. 1988 को मेरी शादी हुई और 1989 को बेटा हो गया. 

Advertisement

सवाल: फिर पढ़ाई का क्या हुआ? आपने शादी के बाद पढ़ाई छोड़ दी या जारी रखी? 

जवाब: शादी के बाद भी मैंने पढ़ाई जारी रखी. 1990 में LLB फाइनल, LLM, PHD और बाकी सारी पढ़ाई मैनें शादी और बच्चे होने के बाद ही की.

Advertisement

सवाल: पहली बार ससुराल आईं तो क्या चुनौतियां थीं?

जवाब: मैं बिल्कुल अलग माहौल में पली-बढ़ी थी. लेकिन शादी के बाद गांव में रहना हुआ था. मुझे छत्तीसगढ़ी नहीं आती थी.ससुरजी और पति ने मुझे छत्तीसगढ़ी बोलना सीखाया. वकालत करने लगी तो छत्तीसगढ़ में ही क्लाइंट से बात करती थी.गांव में ही मैंने सब कुछ सीखा कई बार हंसी का पात्र भी बनी हूं. घूंघट में और सिर पर पल्ला लेकर रहती थी. लेकिन रिकॉर्ड है जितनी बात मैंने ससुरजी से बात है उतनी किसी ने नहीं की. 

सवाल: राजनीति में आने का विचार कहां से आया? 

जवाब: सिंपल हाउस वाइफ थी. और यही चाहती थी कि घर पर रहूं और परिवार संभालूं. ऐसा नहीं था कि वकालत करूं, राजनीति में आऊं... क्योंकि मेरी मां ने भी अच्छी पढ़ाई की थी. लेकिन उन्होंने नौकरी नहीं की. पढ़ाई तो करना था लेकिन ऐसा नहीं कि मुझे कुछ करना ही है करियर बनाना है. पति भी वकील हैं. मेरे LLM के बाद हस्बैंड ने कहा कि तुम कर सकती हो. मम्मी के पास बच्चे को अडजस्ट किए और फिर वकालत करने  लगे. 1991 से वकालत शुरू की. समाज में एक्टिव लेकिन राजनीति पसंद नहीं थी. बिल्कुल भी रुचि नहीं थी. उस वक्त मध्य प्रदेश के सीएम दिग्विजय सिंह थे.उनकी तरफ से विधानसभा के टिकट के लिए  कॉल आया था. लेकिन मुझे निर्णय लेने में 7 दिन का वक्त लग गया. क्योंकि मेरी रुचि नहीं थी.जब तक मैं निर्णय लेती तब तक बहुत देर हो चुकी थी. इसके बाद 1998 से मैं सक्रिय  राजनीति में आ गई. साल 2009 को मैंने मेयर का चुनाव लड़ा और जीत भी दर्ज की थी. 

सवाल: आप डॉक्टर बनना चाहती थीं, फिर आपने इसके लिए कोशिश क्यों नहीं की? 

जवाब: मैं MBBS डॉक्टर बनना चाहती थी. मैंने PMT भी दी. लेकिन BMS मेरा सलेक्शन हो गया. लेकिन कुछ ऐसी परिस्थितिया आईं कि मैनें IDEA ड्रॉप कर दिया.  अंकल ने का कि वाइट कोट की जगह तुम काले कोट की पढ़ाई कर लो. तो मैंने काले कोट की पढ़ाई की. LLB के बाद LLM भी किया. इसके बाद लगा कि मैं PHD भी कर सकती हूं और वो कर दिखाया. मेयर रहते वक्त Exam दिया. अपने नाम के आगे डॉक्टर लिखने का सपना था वो हो गया.

इतना सब कुछ कर लिया इसके बाद ससुराल में भी सिर पर पल्ला ले कर चले तो उससे छुट्टी मिली. घर में भी बदलाव आया.सभी ने सहयोग किया. 

सवाल: आप मेयर भी रही हैं और आयोग की अध्यक्ष भी हैं,दोनों पदों में सबसे अच्छा अनुभव किसमें रहा? 

जवाब: हर पद को मैनें इंजॉय किया है.मैं पहली बार महापौर बनी तो छत्तीसगढ़ की राजधानी में पहला मौका था कि एक महिला मेयर बनी.तब विपक्ष की सरकार थी.इस समय भी बहुत सारे फैसले लिए.महिला आयोग में हूं तो ज्युडिशियल पद है. जज की तरह काम करना होता है. ख्वाब था कि जज बनूं, लेकिन वो तो नहीं हो पाया लेकिन हां आयोग के अध्यक्ष के पद पर रह कर पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाते हैं. 5 साल में 350 जिलों का दौरा हो गया है. हर जिले का कई बार दौरा किया. 5 सालों में 350 कोर्ट हीयरिंग की. 8000 से ज्यादा मामले सुन चुकी हूं. कई महिलाओं को न्याय दिलाया है तो मुझे अच्छा लगता है.वकालत का अनुभव काम आया है. 

सवाल: कार्यकाल की ऐसी कोई बात जिसने झकझोर दी हो या किसी निर्णय में अफसोस हुआ हो? 

जवाब: अफसोस वाला कोई केस नहीं हुआ. दंतेवाड़ा गई थी, 21 साल की लड़कियां मोबाइल गेम ऐप से गेम खेलने के लिए एक लड़की अपने घर की जमा पूंजी दूसरी लड़की के अकाउंट में ट्रांसफर कर दी और वो पैसे जुएं में हारते गए. पैसे को रिकवर करने के लिए फिर पैसे लेते गए.10 महीने में 15 लाख ट्रांसफर कर दिए. ये बहुत शॉकिंग था कि इतनी कम उम्र  में बच्चे कहां जा रहे हैं. 

सवाल: भूपेश सरकार में आप आयोग की अध्यक्ष थीं  और अब विष्णु सरकार में भी आप इस पद पर हैं, क्या अंतर महसूस कर रही हैं? 

जवाब: महिला आयोग के काम के लिए राजनीति से अलग होना पड़ता है.हमने जो सेटअप तैयार किया है.पूरा प्रेम वर्क कंपलीट हो गया है.कैसे काम होना है.जिलों में हीयरिंग होती है.प्रशासन पहले भी इंन्वाल्व था और अब भी है.अभी तक ऐसी कोई स्थिति नहीं आई है कि मैं कांग्रेस खेमे से हूं तो सुनवाई में मेरी कोई मदद नहीं कर रहे हैं, ऐसा नहीं हुआ है. इस पद पर रहकर महिलाओं को रिलीव देने के लिए  हम भी न्यूट्रल रहकर काम कर रहे हैं. जिस दिन ये कार्यकाल खत्म होगा राजनीति का झंडा-डंडा लेकर पार्टी के लिए काम करेंगे.  

सवाल: आप भी वकील हैं और पति भी वकील हैं तो दोनों एक ही प्रोफेशन में हैं तो कभी कोई कोंट्रोवर्सी रही?

जवाब: किस हस्बैंड वाइफ के बीच कोंट्रोवर्सी नहीं होती है. दोनों एक ही प्रोफेशन से हैं तो कई सारी सीख मिलती है. उनका हमेशा सपोर्ट मिला है.  

सवाल: जब बहुत ज्यादी स्ट्रेस में होती हैं तो आप क्या करती हैं ? 

जवाब: 25 सालों से मेडिटेशन से जुड़ी हूं.स्ट्रेस नहीं लेती हूं. लाइफ स्टाइल को बदल लिया है. 

ये भी पढ़ें नक्सलियों के 'काल' IG सुंदरराज को अब भी पसंद है खेती करना! NDTV से बताया- किस चीज का है मलाल?