Organic Farming in Chhattisgarh : आज का दिन किसान दिवस (Kisan Diwas) के रूप में मनाया जाता है. इस मौके पर आज हम छत्तीसगढ़ के बालोद के ऐसे किसान के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जो पिछले करीब 27 वर्षों से रसायनिक खेती को छोड़कर ऑर्गेनिक खेती (Organic Farming) में अपनी अलग पहचान हो बना चुके हैं. ये किसान बालोद जिले के एक छोटे से गांव अरकार के संजय चौधरी हैं. संजय पिछले 27 वर्षों से ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं, वे करीब 10 से 12 किस्म के सुगंधित चावल की पैदावार करते हैं. इन किस्मों में दुबराज (Dubraj Rice), बासमती (Basmati Rice), जीराकुंज (Jeerakunj Rice), बादशाह भोग (Badshah Bhog Rice), विष्णुभोग (Vishnu Bhog Rice), श्याम भोग (Shyam Bhog Rice), एचएमटी, जयश्रीराम और कालीमूंछ (Kalimunch Rice) प्रमुख हैं. संजय कृषि रत्न अवॉर्डी किसान हैं. वे बताते हैं कि आजकल चाहे फल हों, अनाज हों या सब्जियां सभी फसलों में ज्यादा पैदावार के लालच में किसान भारी मात्रा में रसायनिक खाद और कीटनाशक (Chemical Fertilizers and Pesticides) का उपयोग करते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. वे कहते हैं कि ऑर्गेनिक खेती से शुरुआत में उन्हें काफी नुकसान हुआ, लेकिन उन्होंने धैर्य नहीं खोया और आज बड़े-बड़े लोग उनका उगाया चावल पसंद करते हैं.
135 एकड़ में करते हैं आर्गेनिक खेती
संजय बताते हैं कि पुलिस या प्रशासनिक अफसर उनके घर पर खाना खाते थे. इस तरह यहां से इसकी तारीफ मुंबई तक पहुंची. इस तरह फिल्मी नगरी के दर्जनों परिवारों में उनके खेतों का चावल पहुंच रहा है. संजय के खेत में ऑर्गेनिक तरीके से उगाया जाने वाला खुशबूदार चावल बॉलीवुड के 40 से अधिक घरों में पकाया जाता है. पिछले 20 सालों से बॉलीवुड एक्टर्स, पॉलिटीशियन्स, रिसर्चर्स, वैज्ञानिक और डॉक्टर्स उनकी फसल को नियमित खरीदते आ रहे हैं. मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद, चंडीगढ़ और तमिलनाडु में कई नामी लोगों के यहां उनके खेत का चावल सप्लाई किया जाता है.
मिल चुका है राष्ट्रीय सम्मान
संजय बताते है कि उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर 7 और राज्य एवं विभिन्न संगठनों से सैंकड़ों अवॉर्ड, पुरस्कार व सम्मान से नवाजा जा चुका है. जिसमें प्रमुख रूप से 2005 में डॉ. खूबचंद बघेल सम्मान, कृषक सम्राट सम्मान, 2006 में फार्मर ऑफ ईयर अवॉर्ड, 2012 में जल दूत सम्मान, राष्ट्रीय खाद्यान्न सुरक्षा पुरस्कार हैं. संजय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मान मिल चुका है.
खाद-पानी का ऐसे रखते हैं ध्यान
फसल को कीटाणुओं से बचाने के लिए संजय खुद ऑर्गेनिक खाद तैयार करते हैं. इसके लिए वे गोमूत्र, गोबर की खाद, गुड़, बेसन और मक्खन का उपयोग करते हैं. बीज के लिए भी उन्होंने खुद का भंडारगृह तैयार कर रखा है जहां वे चावल, गेंहू और तिलहन के बीज संभालकर रखते हैं. वे बाजार से बीज नहीं खरीदते. आज जहां एक ओर पूरे प्रदेश में किसान सूखे से परेशान हैं वहीं संजय के खेत लहलहा रहे हैं. वे कहते हैं कि इसकी प्रमुख वजह वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम (Water Harvesting System) है. जिसकी मदद से वे बारिश के पानी (Rain Water) को स्टोर करके रख लेते हैं. इसके लिए उन्होंने 100 फीट गहरा बोर भी कराया है. वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का एक फायदा ये भी है कि ये मिट्टी की नमी को बनाए रखता है.
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