Chhattisgarh News : छत्तीसगढ़ के लोक कलाकार (Folk Artist) और प्रसिद्ध रंगकर्मी दीपक चंद्राकर (Deepak Chandrakar) का निधन हो गया. उनके निधन पर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह (Ex Chief Minister Dr Raman Singh) सहित कई बड़े नेताओं ने श्रद्धांजलि दी है. 69 वर्षीय दीपक चंद्राकर लोकरंग अर्जुंदा के संस्थापक व संचालक थे. उनके निधन से छत्तीसगढ़ के कला प्रेमियों में शोक की लहर है.
इन नेताओं ने जताया शोक
छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से पोस्ट करते हुए लिखा है कि "छत्तीसगढ़ की लोककला को देश विदेश में पहचान दिलाने वाले लोकरंग अर्जुन्दा के संचालक व संस्थापक श्री दीपक चन्द्राकर जी को विनम्र श्रद्धांजलि. मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करें और परिवार को इस कठिन समय में धैर्य व संबल प्रदान करें."
रमन सिंह के अलावा बीजेपी छत्तीसगढ़ (BJP Chhattisgarh), बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव (Arun Sao), विधायक नितिन नबीन (Nitin Nabin) जैसे कई नेताओं ने संवेदना व्यक्त की है.
ग्रामीण इलाकों से कलाकारों को सामने लाने का किया था काम
दीपक चंद्राकर ने कलाकारों को आगे लाने के लिए लगातार काम किया था. उन्होंने छत्तीसगढ़ की लोक कला, लोक पर्व और लोक संस्कृति को देश-दुनिया में पहुंचाया है. लोकरंग अर्जुंदा की नींव रखने में उनका महत्वपूर्ण योगदान था. छत्तीसगढ़ में लोकरंग अर्जुंदा एक प्रमुख रंगमंच की टीम थी, जो पूरे देश का भ्रमण कर चुकी है.
इस जगह पर कलाकारों को कला के क्षेत्र में निपुण बनाने का काम किया जाता था. यहां हर महीने 3- 4 कार्यशालाएं होती थीं. यहां नए कलाकारों को लोककला की सभी विधाओं की बारीकियां सिखाई जाती हैं. यहां नि:शुल्क अवासीय प्रशिक्षण दिया जाता था.
लोक कला को देश-विदेश में दिलाई पहचान
लोकरंग अर्जुंदा के संस्थापक दीपक चंद्राकार ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति, लोक कला, छत्तीसगढ़ी गीत-संगीत को छत्तीसगढ़ के अलावा समूचे देश के अलग-अलग राज्यों में यहां के कलाकारों के माध्यम से प्रस्तुति दे चुके है. अपनी प्रस्तुतियों से उन्होंने देशभर में छत्तीसगढ़ी कला को पहचान दिलाई है.
कला के इसी मंदिर से निकलकर कई हस्तियाों ने बनाई पहचान
दीपक चंद्राकर ने जिस कला मंदिर की नीव 1993 में रखी थी, उसी मंदिर से प्रदेश के सुप्रसिद्ध गायक सपन भट्टाचार्य, पुरानिक साहू, सतीश साहू निकले हैं. वहीं मंचीय कलाकार के रूप में प्रदेश में अपनी अलग पहचान बनाने वाले पप्पू चंद्राकर, घेवर यादव, चिमन साहू, शैलेष साहू, दिनेश वर्मा, लेखू दिल्लीवार, संजय वर्मा, विजय पाटिल, रानी निषाद और भूमिका जैसे कलाकार इसी जगह निकलकर लोक कला को समृद्ध कर रहे हैं.
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