बड़ी नक्सल कमांडर मीना का ऐसा हाल! परिजनों ने किया शव तक लेने से इंकार, कहा- उसे माफ नहीं करेंगे

CG Naxal Encounter- मुठभेड़ में मारी गई मीना नेताम  (उम्र 44 वर्ष) के परिजनों ने उनके शव को अपने गृहग्राम ले जाने से इनकार कर दिया. जानें क्या है वजह...

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

CG Naxal Encounter- छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा-नारायणपुर जिले में 4 अक्टूबर को  हुई मुठभेड़ में 31  नक्सली मारे गए थे. इस एनकाउंटर में मारे गये नक्सलियों के शव अब दंतेवाड़ा से परिजन अपने-अपने गांव ले जा रहे हैं, लेकिन इस मुठभेड़ में मारी गई मीना नेताम  (उम्र 44 वर्ष) के परिजनों ने उनके शव को अपने गृहग्राम ले जाने से इनकार कर दिया. ऐसे में 8 लाख की इनामी मीना का अंतिम संस्कार पुलिस प्रशासन ने दंतेवाड़ा श्मशान घाट में परिजनों की मौजूदगी में करवाया. 

मीना नेताम के दो बड़े भाई अगनुराम और रामप्रसाद मीना के शव को अंतिम संस्कार के लिये घर ले जाने से मना कर दिए. अगनुराम पेशे से शिक्षक हैं. उन्होंने कहा कि मीना नेताम को हम नहीं जानते, क्योंकि नक्सलियों के संगठन की मीना नेताम तो हमारे लिये छोटी सी श्यामबती थी. वह हमें छोड़कर 25 साल पहले छोड़कर चली गई थी. साल 1999 में वह नारायणपुर जिले के कोहकामेटा कन्या छात्रावास में कक्षा 8 वीं पढ़ती थी. अचानक श्यामबती दादा लोगों (नक्सलियों) के संगठन में शामिल हो गयी.इसके बाद श्यामबती ने कभी पलटकर घर की तरफ नही देखा. उसे लोकतंत्र पर भरोसा नहीं था, इसलिए हम उसे माफ नहीं करेंगे. 

Advertisement

नक्सल संगठन में जुड़ने की वजह से गांव भी छूट गया

मीना नेताम के नक्सल संगठन में चले जाने से परिजनों पर सामाजिक और पुलिसिया दोनो तरह के मानसिक दबाव आ रहे थे. इस वजह से परिजनों ने मोहंदी गांव को छोड़ दिया. उन्होंने कहा, “हम तो यहां आते भी नहीं, लेकिन नारायणपुर पुलिस द्वारा बार बार शव सुपुर्दगी के लिये सूचना दी गई, इसलिए यहां आ गए. जब मीना घर समाज और सब कुछ छोड़ जंगलों में बंदूक थाम ली, तो अब किस आधार पर उसे ले जाकर ससम्मान अंतिम संस्कार कर सकते हैं.”

Advertisement

AK47 चलाती थी मीना…

 माओवादियो के संगठन में शामिल 14 साल की मीना नेताम जिसे परिजन श्यामबती कहते थे, वह मीना  25 साल के नक्सलवाद के सफर में लाल लड़ाकों के संगठन में एक खूंखार  महिला नक्सली बनकर DVCM रैंक पर आ गईं. मीना नेताम AK47 स्वचलित हथियार रखकर संगठन में इस समय काम कर रही थी, लेकिन इस बार हुई भीषण मुठभेड़ में मीना नेताम भी नीति जैसी लीडरों के साथ मारी गई.


‘वहां सिर्फ बदनामी है…'

मीना नेताम के एक और बड़े भाई ने बताया कि नक्सली संगठन में जुड़ने से सिर्फ बदनामी है.  उन्होंने कहा,  “मीना न तो समाज के साथ चली, न ही मुख्यधारा में. उससे रिश्ता बहन का है इसलिए यहां पहुंचे हैं, नहीं तो आता भी नहीं. मैं तो कहता हूं कि ऐसी जगह क्या रहना, जहां जिंदगी का ही कोई ठिकाना नहीं. समाज घर के साथ जुड़कर रहना चाहिए.”

Advertisement

ये भी पढ़ें- Naxal Encounter: नदी-नालों को पार कर जांबाजों ने पूरा किया सबसे बड़ा मिशन, जानिए नक्सलियों के खात्मे की कहानी