Chhattisgarh: ‘प्रेशर’ बम की चपेट में आया 10 वर्षीय लड़का, बाढ़ की वजह से समय पर नहीं पहुंच पाया अस्पताल, हुई मौत

Bijapur IED Blast: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर में ‘प्रेशर' बम की चपेट में आने से 10 वर्षीय लड़के की मौत हो गई. मृतक लड़का बकरी चराने जंगल गया था. इसी दौरान बम के चपेट में आ गया.

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बीजापुर:

Chhattisgarh IED Blast: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले (Bijapur) में ‘प्रेशर' बम (Pressure Bomb) की चपेट में आने से 10 वर्षीय लड़के की मौत हो गई. मृतक लड़का बकरी चराने जंगल में गया था. इसी दौरान ‘प्रेशर' बम की चपेट में आने से मौत हो गई. यह घटना बीजापुर जिले के गंगालूर थानाक्षेत्र के पीड़िया गांव की है. 

 प्रेशर बम की चपेट में आने 10 वर्षीय लड़के की मौत

दरअसल, बीजापुर जिले के गंगालूर थानाक्षेत्र के पीड़िया गांव के रहने वाला 10 वर्षीय हिड़मा कवासी अपनी मां के साथ बकरी चराने जंगल गया था. इसी दौरान उसका पैर ‘प्रेशर' बम पर चला गया, जिसमें वो घायल हो गया. बता दें कि चेरपाल नाले में बाढ़ के पानी की वजह से समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका. जिसके कारण घायल लड़का का अधिक रक्तस्राव हो गया. वहीं 6 घंटे तक तड़पने के बाद आखिरकार बच्चे की  मौत हो गई. 

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जिले के गंगालूर थानाक्षेत्र में पीड़िया गांव के करीब ‘प्रेशर' बम की चपेट में आने से हिड़मा कवासी की मौत हो गई. उन्होंने बताया कि मुतवेंडी गांव निवासी हिड़मा बकरी चराने के लिए जंगल गया था. आज दोपहर 2.30 बजे जब वह पीड़िया गांव के पास था तब उसका पैर प्रेशर बम के ऊपर पड़ गया, इससे बम में विस्फोट हो गया और बालक गंभीर रूप से घायल हो गया.

बाढ़ की वजह से समय पर नहीं पहुंच पाया अस्पताल

उन्होंने बताया कि विस्फोट के दौरान बालक की मां कुछ दूरी पर मौजूद थी. जिसके कारण वह विस्फोट की चपेट में आने से सुरक्षित बच गई. अधिकारियों ने बताया कि महिला ने ग्रामीणों को घटना की जानकारी दी, इसके बाद वे बच्चे को पैदल ही केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के मुतवेंडी शिविर ले गए. अधिकारियों ने बताया कि बालक को शिविर में प्रारंभिक उपचार दिया गया और फिर सीआरपीएफ के जवानों ने उसे बीजापुर जिला अस्पताल में भर्ती कराया.

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6 घंटे तक तड़पता रहा लड़का 

उन्होंने बताया कि गंगालूर और बीजापुर के बीच चेरपाल में नदी पर बने पुल के ऊपर पानी बह रहा था, इसलिए इसे पार करने में समय लगा और बालक को शाम लगभग छह बजे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. अधिकारियों ने बताया कि चिकित्सकों के अनुसार अत्यधिक खून बहने के कारण बालक की मौत हो गई.

प्रेशर बम की वजह से अबतक छह लोगों की हुई मौत 

बस्तर क्षेत्र के अंदरूनी इलाकों में गश्त कर रहे सुरक्षाकर्मियों को निशाना बनाने के लिए नक्सली अक्सर सड़कों और निर्माणाधीन सड़कों के किनारे तथा जंगल के कच्चे रास्तों पर ‘प्रेशर' बम या बारूदी सुरंग लगा देते हैं. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बीजापुर समेत सात जिलों वाले इस क्षेत्र में पहले भी ऐसे विस्फोट में नागरिक हताहत हुए हैं. पुलिस के अनुसार, पिछले साढ़े तीन महीनों में बीजापुर जिले में अलग-अलग जगहों पर बारूदी सुरंग विस्फोट की घटनाओं में छह लोगों की मौत हो चुकी है.

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