भारतमाला परियोजना मुआवज़ा घोटाले में (EOW) ने कोर्ट में आरोपियों के खिलाफ 7,500 पृष्ठों का प्रथम चालान विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) रायपुर में पेश किया है. EOW की जांच में यह उजागर हुआ है कि सरकारी और निजी व्यक्तियों की मिलीभगत से राज्य सरकार को लगभग 32 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
ईओडब्ल्यू ने अपराध क्रमांक 30/2025 में लोकसेवक अभियुक्त गोपाल राम वर्मा, नरेन्द्र कुमार नायक तथा निजी व्यक्ति उमा तिवारी, केदार तिवारी, हरमीत सिंह खनूजा, विजय कुमार जैन, खेमराज कोशले, पुनुराम देशलहरे, भोजराम साहू और कुंदन बघेल के खिलाफ चालान पेश किया है.
भारतमाला परियोजना घोटाले में मुख्य बिंदु
1. ईओडब्ल्यू ने भारतमाला परियोजना घोटाले में 7,500 पन्नों का चालान पेश किया.
2. घोटाले से शासन के राजस्व को लगभग 32 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
3. दो सरकारी अधिकारी और सात निजी व्यक्ति समेत 9 खिलाफ चालान पेश
4. नायकबांधा, टोकरो और उरला गांवों में बैक डेट में फर्जी बंटवारा और नामांतरण किए गए.
5. राजस्व अधिकारियों और दलालों की मिलीभगत से किसानों के नाम पर करोड़ों का फर्जी मुआवज़ा जारी हुआ.
6. नायकबांधा जलाशय की पहले से अधिग्रहित भूमि पर दोबारा मुआवज़ा भुगतान कर 2 करोड़ की हानि.
7. उमा तिवारी के नाम पर फर्जी दस्तावेज़ों से 2 करोड़ से अधिक की रकम निकाली गई.
8. दलाल हरमीत सिंह खनूजा और सहयोगियों ने किसानों से कोरे चेक लेकर रकम अपने खातों में डलवाई.
9. राजस्व अधिकारी निर्भय साहू, दिनेश पटेल, शशिकांत कुर्रे सहित कई आरोपी अब भी फरार.
10. ईओडब्ल्यू की जांच जारी, अन्य गांवों में भूमि अधिग्रहण में हुई अनियमितताओं की भी पड़ताल.
Eow की जांच में यह भी सामने आया कि राजस्व विभाग के कुछ अधिकारियों ने निजी दलालों के साथ मिलकर किसानों को “अधिक मुआवज़ा दिलाने” का लालच दिया. फर्जी दस्तावेज़ों के माध्यम से नामांतरण कराए गए और बड़ी रकम का हिस्सा अधिकारियों एवं दलालों के खातों में ट्रांसफर किया गया. ईओडब्ल्यू ने बताया कि जिन मामलों की जांच पूरी हो चुकी है. उनका चालान प्रस्तुत कर दिया गया है, जबकि अन्य संबंधित ग्रामों और आरोपियों के खिलाफ अग्रिम विवेचना जारी है.
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