नक्सल प्रभावित इलाके में भालू का हमला! ग्रामीणों ने सूझबूझ से बचाई जान, लाठी-डंडे के डर से भागा भालू

छत्तीसगढ़ के Narayanpur जिले के Abujhmad इलाके में एक खतरनाक Bear Attack का मामला सामने आया, जहां जंगल में काम कर रहे ग्रामीण पर Wildlife Attack हुआ. साथियों की सूझबूझ, ITBP Rescue और Sanjeevani 108 Ambulance की तत्परता से उसकी जान बचाई गई.

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Bear Attack: छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में एक बार फिर वन्यजीवों का खतरा सामने आया है. अबूझमाड़ के ओरछा ब्लॉक में जंगल में काम कर रहे एक ग्रामीण पर भालू ने अचानक हमला कर दिया. गंभीर रूप से घायल ग्रामीण को साथी लोगों की सूझबूझ और समय रहते पहुंची संजीवनी 108 की मदद से बचाया जा सका. इस घटना के बाद इलाके में दहशत का माहौल है.

जंगल में कोदो काटते समय हुआ हमला

शनिवार सुबह हरबेल गांव के 40 वर्षीय गोगा राम रोज़ की तरह जंगल में कोदो (कोसरा) काटने गए थे. काम चल ही रहा था कि अचानक पीछे से एक भालू ने उन पर धावा बोल दिया. भालू ने गोगा राम को ज़मीन पर गिरा लिया और सिर तथा जांघ पर गंभीर चोटें पहुंचाईं.

ग्रामीणों ने लाठी-डंडों से भालू को खदेड़ा

गोगा राम की चीख सुनकर आसपास के ग्रामीण दौड़ पड़े. बिना समय गंवाए लोगों ने लाठी-डंडे और पत्थरों की मदद से भालू को डराकर भगाया. यदि ग्रामीण थोड़ी देर भी करते, तो स्थिति और भयावह हो सकती थी. ग्रामीणों की तत्परता ने गोगा राम की जान बचाने में बड़ी भूमिका निभाई.

आईटीबीपी और ग्रामीणों ने मिलकर घायल को पहुंचाया नीचे

घटना की सूचना तुरंत संजीवनी 108 और ओरछा थाना को दे दी गई. लेकिन इलाके का रास्ता बेहद दुर्गम होने के कारण आईटीबीपी के जवान भी मौके पर पहुंचे. जवानों और ग्रामीणों ने मिलकर घायल गोगा राम को आदेर गांव तक पहुंचाया, जहां एंबुलेंस पहले से तैयार खड़ी थी.

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मौके पर ही शुरू हुआ प्राथमिक उपचार

संजीवनी 108 की टीम ईएमटी कमला और पायलट बुधराम ने बिना देर किए घायल को एंबुलेंस में शिफ्ट किया. गोगा राम के शरीर से काफी खून बह रहा था, इसलिए मौके पर ही रक्तस्राव को रोकने की कोशिश शुरू की गई. प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ओरछा ले जाया गया.

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हालत गंभीर, जिला अस्पताल रेफर

ओरछा अस्पताल में जांच के बाद डॉक्टरों ने गोगा राम की गंभीर स्थिति देखते हुए उन्हें जिला अस्पताल नारायणपुर रेफर कर दिया. फिलहाल उनका इलाज जारी है. डॉक्टरों का कहना है कि समय पर उपचार मिल जाने से उनकी जान बच गई. घटना के बाद हरबेल और आसपास के गांवों में भय का माहौल है. पिछले कुछ महीनों से अबूझमाड़ इलाके में वन्यजीवों की गतिविधि बढ़ी है, जिससे लोग लगातार दहशत में हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जंगलों में काम करना अब पहले जितना सुरक्षित नहीं रहा.

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