नक्सलियों ने गद्दार बताया तो सरेंडर नक्सली रूपेश ने दिया जवाब, बोला- सशस्त्र संघर्ष विराम बसवाराजू भी चाहते थे 

Naxalite Rupesh Surrender:नक्सलियो की सेंट्रल कमेटी ने सरेंडर करने वाले नक्सली रूपेश को गद्दार बताया है. इसके बाद रूपेश ने वीडियो जारी कर जवाब दिया है. 

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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ से एक बड़ी खबर है. यहां हालही में नक्सलियों के सीसी मेंबर रूपेश और भूपति के अपने साथियों के सरेंडर के बाद नक्सल संगठन में बौखलाहट है. इन्हें नक्सलियों ने गद्दार बताया है. इसके लिए नक्सलियों की केंद्रीय समिति के प्रवक्ता अभय ने एक पर्चा जारी किया है.

नक्सलियों के इस पर्चे का भी सरेंडर नक्सली रूपेश ने जवाब दिया है. इसके लिए रूपेश ने एक वीडियो जारी किया है. उसने कहा कि ये निर्णय सिर्फ मेरा ही नहीं बल्कि हमारे महासचिव बसवाराजू का भी था. आइए जानते हैं पूरा मामला ....

बस्तर में रूपेश और महाराष्ट्र में भूपति ने साथियों के साथ किया था सरेंडर 

दरअसल हालही में महाराष्ट्र सीएम के सामने नक्सल सोनू उर्फ भूपति ने 60 नक्सलियों के साथ हथियार डाले थे. इसके तुरंत बाद बस्तर में भी अपने 150 साथियों के साथ सीसी मेंबर रूपेश ने भी सरकार के सामने हथियार डाल दिया था. इस दिन कुल 210 नक्सलियों का सरेंडर हुआ था. नक्सल अभियान में पुलिस के लिए सबसे बड़ी सफलता थी. इससे नक्सलियों को बहुत बड़ा झटका लगा. इसके बाद अब नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी ने एक पर्चा जारी कर रूपेश और भूपति को गद्दार बताया है. नक्सलियों ने लिखा है कि रूपेश पिछले कुछ समय से सरकार और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के संपर्क में था. 

रूपेश ने इसके जवाब में एक वीडियो जारी किया है. रूपेश ने कहा कि सरकार के साथ शांति वार्ता को लेकर हमने प्रेस नोट जारी किया था. हमारे महासचिव बसवा राजू भी चाहते थे कि हम सशस्त्र संघर्ष को विराम दे दें. हमें हमारे आगे के भविष्य के बारे में भी सोचना था. सरकार लगातार कह रही थी कि आप लोग पहले हथियार छोड़ो. हम इसी विषय पर अपनी कोर कमेटी की बैठक में बातचीत करना चाह रहे थे. वहीं इसी बीच बसवा राजू का एनकाउंटर हो गया. सेंट्रल कमेटी के लोगों को हम इकट्ठा कर रहे थे. हमने लीडर देवजी को भी लेटर लिखा था. देवजी से मेरी मुलाकात भी हुई थी. 

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रूपेश ने कहा कि हमने ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे हमें गलत ठहराया जाए. हमने अपनी पार्टी को बचाने के लिए, लोगों के लिए लड़ने के लिए सरेंडर के अलावा हमें कोई और दूसरा रास्ता नहीं दिख रहा था. इसलिए हमने सरेंडर करने की पहल की. बसवा राजू ने एक लेटर भी लिखा था जिसमें साफ था कि उन्होंने भी सशस्त्र संघर्ष को विराम देने का निर्णय वापस नहीं लिया था. 

रूपेश ने ये भी कहा कि हमारे जितने साथी हथियार डाले हैं उनमें से एक भी साथी यह नहीं सोचता कि अंदर में भी जो हमारे साथी है उन्हें नुकसान हो.  हम सिर्फ यही सोचते हैं कि वह लोग भी सही रास्ते में आ जाएं. रूपेश का कहना है कि मैं अपने  किसी भी साथी को दबाव डालकर सरेंडर करवाने नहीं लाया हूं. हमारे ऊपर जो आरोप लगा रहे हैं वह आरोप गलत है.

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