यहां हर रोज दांव पर लगती हैं सैकड़ों जिंदगियां, 80 रुपये देकर डोंगी से नदी पार करते हैं ग्रामीण 

अबूझमाड़ इलाके की सैकड़ों जिंदगियां हर दिन दांव पर लगी होती है. इलाके के सैकड़ों ग्रामीणों को दैनिक जरुरतों का सामान लेने के लिए डोंगी में बैठकर नदी पार करना पड़ता है. पढ़िए NDTV की  ग्राउंड रिपोर्ट... 

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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बस्तर में अबूझमाड़ क्षेत्र में  30 सालों से नक्सलवाद के साम्राज्य का गढ़ बना हुआ था. इसी इलाके में नक्सलियों ने ग्रामीणों को मूलभूत समस्याओं से दूर रखकर सरकार के समान्तर अपनी जनताना  हुकूमत ग्रामीणों के बीच जमकर चलाई. यही वजह है कि आज भी इस माड़ इलाके में बीजापुर, नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिले की इन्द्रावती नदी पार की लगभग 15 ग्राम पंचायतों में रहने वाली लगभग 5000 हजार से ऊपर की आबादी सरकारी सुविधाओं से वंचित रह जाती है. 

इन इलाके में सरकार की योजनाओं को नक्सली पहुंचने नहीं देते तो कहीं ग्रामीण ऑपरेशन पर भी नक्सलियों का साथ देने के आरोप में पीसते नजर आते हैं. ऐसे में दो पाटों के बीच पीसती अबूझमाड़ की ज़िंदगी का हाल जानने NDTV की टीम उसपरी घाट पहुंची.  जहां इंद्रावती नदी में 5 से 6 डोंगी(लकड़ी की छोटी सी नाव) ग्रामीणों को बैठाकर आती-जाती नजर आई. 

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जहां इन डोंगियों के सहारे नदी के पार बसी ग्रामपंचायत ताकिलोड़, बोड़गा, दामपद, दाढ़ोकोट, बैल,उतला, रेकावाया, कुम्मम,डूँगा, पल्लेवाया, पीड़िया, पीड़ियाकोट, परलकोट, परलनार, इकुल, आलदण्ड, आदेर से ग्रामीण रोजमर्रा का सामान खरीदने भैरमगढ़ बाजार आ रहे हैं. 

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उसपरी बाजार शुरू करने की मांग कर रहे

उसपरी घाट में 6 से अधिक डोंगिया तैरती और उन डोंगियों पर अबूझमाड़ में रहने वाले आदिवासी अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर नदी के इस पार से उस पार 20-20 रुपये किराया देकर आना-जाना करते हैं. बहुत बार ऐसा हुआ है जब यह लकड़ी की डोंगी बीच मझधार में पलटी है तो ग्रामीणों को अपनी जान भी गवानी पड़ी है. इस घाट को पार करने के बाद जबसे उसपरी में बाज़ार बन्द हुआ है ग्रामीणों को भैरमगढ़ तक समान खरीदने जाना पड़ रहा है और भैरमगढ़ बाज़ार को करने में ग्रामीणों के 100 रुपये आने जाने में खर्च हो जाते हैं. इन इलाकों में ग्रामीणों के लिये 100 रुपये बहुत मायने रखने वाली पूंजी है. 

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उसपरी में बाजार शुरू करने की मांग 

जब हमने  पोतला के ग्रामीण भगत और बैल गांव निवासी बन्ना राम सेबात की तो उन्होंने बताया कि  उसपरी में  बाज़ार को शुरू करवाने के लिए हम लोग क्षेत्रीय विधायक से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक गुहार लगा चुके हैं.  लेकिन कोई हमारी सुध नहीं ले रहा है.  करीब छह माह पहले बाजार को शुरू करने के लिए एक रैली भी निकाली और ज्ञापन भी सौंपा इन सबके बावजूद  ना तो कोई नेता सामने आया और ना ही किसी अधिकारी ने संवेदना जताई. ग्रामीण इस बात को साफ कह रहे है यहां अब तो नक्सली नहीं है, इसके बाद भी अधिकारी इस बाज़ार को शुरू नहीं करवाना चाहते यदि यह बाज़ार शुरू होता है तो पूरे अबूझमाड़ में उत्सव सा माहौल होगा.

क्या बदलेंगे  माड़ के हालात?

अबूझमाड़ में इलाकें पहले सुरक्षाबलों का पहुंचना बेहद ही चुनौति और कठिन होता था. लेकिन अब इसी अबूझमाड़ को बूझकर जवानो ने नक्सलियों के महासचिव  बसवाराजू  गुंडेकोट में इनकाउंटर में मार गिराया, थुलथुली, रेकावाया, तक जवानो ने दस्तक देकर नक्सलियों की रणनीति विफल कर दी है. सरकार ने भी नक्सलवाद खात्मे को लेकर एक डेडलाइन मार्च 2026 तक खींच रखी है. अगर वाकई में नक्सलवाद जड़ से खत्म होता है तो अबूझमाड़ को सरकारी तंत्र विकास से बूझ सकता है और  ग्रामीणों की मुश्किलें खत्म होकर इन्द्रावती नदी में आसान सफर की उम्मीद ग्रामीण कर सकते हैं. 

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