SECL अमेरा खदान विवाद की असली वजह क्या? अंबिकापुर में मुआवज़ा, नौकरी व कोयला चोरी ने बढ़ाया घमासान

SECL Amhera Coal Mine Dispute: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में Amhera Open Cast Mine Expansion को लेकर ग्रामीणों और पुलिस के बीच हिंसक टकराव हो गया. ग्रामीण Compensation और Job Promise पूरा न होने का आरोप लगा रहे हैं, जबकि SECL का दावा है कि कुछ स्थानीय तत्व खदान कार्य रोकने की कोशिश कर रहे हैं.

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SECL coal mine Dispute Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के अंबिकापुर में लखनपुर विकासखंड अंतर्गत आने वाले SECL के अमेरा ओपेन कास्ट कोयला खदान विस्तार को लेकर 3 दिसंबर 2025 को ग्रामीणों और पुलिस प्रशासन के बीच जोरदार झड़प हो गई. देखते ही देखते स्थिति इतनी बिगड़ गई कि दोनों ओर से जमकर पत्थरबाज़ी शुरू हो गई, जिससे दर्जनों पुलिस के जवान और ग्रामीण गंभीर रूप से घायल हो गए.

मामले को नियंत्रित करने के लिए मौके पर जिला प्रशासन के अतिरिक्त कलेक्टर, एसडीएम और तहसीलदार मौजूद रहे, वहीं पुलिस के सैकड़ों जवान भी तैनात किए गए. इसके बावजूद स्थल पर स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है.

दरअसल, 3 दिसंबर 2025 की सुबह लगभग 10:30 बजे खदान विस्तार को लेकर चर्चा के लिए ग्रामीणों के साथ प्रबंधक, पुलिस प्रशासन, अपर कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार सहित बड़ी संख्या में पुलिस बल मौके पर पहुँचा था. बातचीत के दौरान माहौल अचानक बिगड़ गया और ग्रामीणों तथा पुलिस के बीच पहले बहसबाज़ी हुई, जो धीरे-धीरे हिंसक रूप लेती चली गई.

मामला तब नियंत्रण से बाहर हो गया जब ग्रामीणों ने पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारियों पर पत्थर फेंकने शुरू कर दिए. इस दौरान पुलिस के जवान खुद को बचाने की कोशिश करते नज़र आए. पत्थरबाज़ी में लगभग 40 पुलिसकर्मी और 15–20 ग्रामीण घायल हुए.

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स्थिति नियंत्रण में

बताया जा रहा है कि लगभग तीन घंटे की मशक्कत के बाद स्थिति कुछ देर के लिए शांत हुई. लेकिन लगभग दोपहर 2 बजे हालात फिर से बेकाबू हो गए. प्रशासनिक समझाइश के दौरान एक स्कूली छात्रा की गिरफ्तारी ने ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश फैला दिया. छात्रा को छुड़ाने के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण जमा हो गए, और विवाद इतना बढ़ गया कि भीड़ ने पुलिस पर पत्थरों और डंडों से हमला कर दिया.

भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने आँसू गैस के गोले दागे और ग्रामीणों को खदेड़ने की कोशिश की, लेकिन ग्रामीण अपने स्थान पर डटे रहे. ग्रामीणों का कहना है कि वे किसी भी कीमत पर अपनी जमीन खदान को नहीं सौंपेंगे और संघर्ष जारी रखेंगे. बहरहाल, देखना होगा कि लंबे समय से जारी यह विवाद आखिर किस दिशा में जाता है—क्या अमेरा खदान का विस्तार हो पाएगा या यह मुद्दा यूँ ही विवादों में घिरा रहेगा.

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मुआवजा और नौकरी की मांग

NDTV से बात करते हुए ग्रामीणों ने बताया कि जब 20 वर्ष पहले SECL द्वारा कोयला खदान खोला जा रहा था तब उन्हें मुआवजा देने के साथ-साथ प्रभावित परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का वादा किया गया था. लेकिन अब SECL अपने वादे से पीछे हट रहा है, इसी कारण ग्रामीण खदान विस्तार का विरोध कर रहे हैं.

वहीं इस मामले में SECL के सुरक्षा अधिकारी अमरेंद्र नारायण का कहना है कि भारत सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण कर इसे कोयला खदान के लिए SECL को दिया गया है. लेकिन स्थानीय लोग ग्रामीणों को बहला-फुसलाकर खदान कार्य रुकवाने का प्रयास कर रहे हैं.

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कोयला चोरों की भी भूमिका

NDTV की पड़ताल में यह बात भी सामने आई है कि SECL की इस ओपेन कास्ट कोयला खदान से प्रतिदिन लाखों रुपए का कोयला चोरी होता है. यह चोरी स्थानीय ग्रामीणों द्वारा की जाती है, लेकिन इसका उपयोग यहां के ईंट भट्टों में किया जाता है. ऐसे में यदि खदान का विस्तार होता है तो आने वाले दिनों में कोयला चोरी लगभग बंद हो जाएगी, जिसका नुकसान कोयला चोरी करने वालों और उसे खरीदने वाले नेटवर्क को होगा.

पुलिस ने पूरे क्षेत्र को अपने नियंत्रण में लिया

अंबिकापुर पुलिस ने बुधवार शाम तक अमेरा ओपेन कास्ट कोयला खदान के पूरे क्षेत्र को अपने नियंत्रण में ले लिया है. बताया जा रहा है कि पिछले 6 माह से जिन स्थानों पर ग्रामीणों द्वारा कब्जा कर अवैध तरीके से कुछ निर्माण किया गया था, उन्हें भी पुलिस ने खाली करा दिया है.

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