Medical College : छत्तीसगढ़ के इस मेडिकल कॉलेज की दुर्गति,क्यों लगानी पड़ी तिरपाल; जर्जर भवन होने से बढ़ा खतरा

Medical College : मेडिकल कॉलेज की सुविधाओं का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बचाव के लिए तिरपाल लगानी पड़ी है. ताकि किसी प्रकार पानी से बचाव किया जा सके. मामला राजमाता देवेन्द्र कुमारी सिंह देव चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल का है. 

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Medical College : मेडिकल कॉलेज की घोर लापरवाही हुई उजागर, छत में लगानी पड़ी तिरपाल

Medical College News : छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में पिछले एक सप्ताह से रुक- रुककर लगातार बारिश होने से जहां एक ओर जनजीवन प्रभावित हुआ है. वहीं, बारिश के कारण (मेडिकल कॉलेज) राजमाता देवेन्द्र कुमारी सिंह देव चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल की व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है. वार्डों के छत से लगातार टपक रहा है.मरीजों को परेशानी हो रही है.

वहीं, अस्पताल के कर्मचारियों और चिकित्सक भी इसे लेकर परेशान नजर आ रहे हैं. चिकित्सकों की मानें तो अस्पताल के वार्डों में बारिश का पानी टपकने से भारी नमी बनी हुई है जिससे मरीजों को इंफेक्शन का भी खतरा बना रहता है. वहीं, अस्पताल प्रबंधन बरसात के पानी से बचने के लिए अधिकांश भवन को तिरपाल से ढंक दिया गया.                   

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पानी के कारण नमी और बदबू का आलम

दरअसल, जिला चिकित्सालय पिछले 10 वर्षों से मेडिकल कॉलेज अस्पताल के रूप में संचालित हो रहा है. भवन काफी पुराना होने के कारण जर्जर हो चुका है. इसके बावजूद भवन की देखभाल के लिए प्रतिवर्ष विभाग मेंटेनेंस के नाम पर लाखों रुपये खर्च करती है. बरसात शुरू होते ही अधिकांश वार्डों के छत से पानी टपक रहा है. फाल्स सीलिंग भी गिरने लगें हैं. अस्पताल में  टपकते पानी के कारण नमी और बदबू का आलम बना हुआ है. हालांकि, टपकते पानी को निकालने के लिए अस्पताल कर्मचारी लगें हुए हैं. क्योंकि टाइल्स में पानी के कारण काफी लोग फिसल रहें हैं.

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बरसात के पानी से बचने के लिए तिरपाल लगाया प्रबंधन ने

बरसात की पानी से भवन और दवाइयों को बचाने के लिए अस्पताल प्रबंधन अब लाखों रुपये खर्च कर अस्पताल के अधिकांश भवनों को रंग बिरंगे तिरपाल से ढका भी गया. कुछ हद तक तिरपाल बरसात के पानी से भवनों को राहत भी दिया है. लेकिन फिर भी पानी का टपकना और नमी अस्पताल में काफी ज्यादा है. इस संबंध में अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. शैलेंद्र गुप्ता का कहा है अस्पताल भवन काफी पुराना है और इसके रखरखाव का जिम्मा लोक निर्माण विभाग का है.

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लेकिन छत का रिपेयरिंग होने से छत की मोटाई ज्यादा हो गई है. ऐसे में अब छत का मेंटेनेंस नहीं किया जा सकता है. इस लिए अब अस्पताल के पुरे भवन में शेड निर्माण कराने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया. वहीं, वर्तमान में काम भी चल रहा है.

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