छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ क्षेत्र के मंगनार और कौशलनार गांव के ग्रामीणों ने एक बार फिर अपनी मेहनत और जुगाड़ से गुडरा नदी पर 300 मीटर लंबा अस्थायी पुल तैयार कर दिया है. बांस के खंभों, पत्थरों और बिजली के पोलों की मदद से बनाया गया यह पुल गांवों की मजबूरी और विकास के दावों की हकीकत दोनों को साफ दिखाता है.
दरअसल, क्षेत्र में हर साल गुडरा नदी का जलस्तर बढ़ने पर संपर्क पूरी तरह टूट जाता है. बीजापुर जिला मुख्यालय करीब 150 किमी और दंतेवाड़ा 50 किमी दूर होने के कारण लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य और बाजार जैसी मूलभूत सुविधाओं तक के लिए भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कई वर्षों से मांगे जाने के बावजूद अभी तक स्थायी पुल का निर्माण नहीं हो सका है.
पैदल आने-जाने के लिए रास्ता तैयार
लिहाजा, ग्रामीणों ने इस वर्ष भी पानी कम होते ही श्रमदान की शुरुआत की. पहले बांस की मजबूत जालीनुमा संरचना तैयार की गई, फिर उसमें बड़े पत्थर डालकर नदी के भीतर खंभे खड़े किए गए. इन खंभों पर बिजली के पोल जोड़कर एक ऐसा पुल बना दिया, जिससे पैदल आवागमन संभव हो सके. पुल निर्माण का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद ग्रामीणों ने उम्मीद जताई थी कि शायद इस बार प्रशासन ध्यान देगा, लेकिन स्थिति जस की तस है.
ग्रामीणों ने बताई मजबूरी
मंगनार के ग्रामीण मयाराम ने कहा कि बरसात में नदी का पानी इतना बढ़ जाता है कि महीनों गांव में फंस जाते हैं. इस दौरान बीमारों को ले जाना तक मुश्किल हो जाता है. मजबूरी में हर साल खुद ही पुल बनाना पड़ता है. कौशलनार के नवलराम मंडावी का कहना है कि हम लोग कई बार स्थायी पुल की मांग कर चुके हैं, लेकिन अधिकारी आते हैं और आश्वासन देकर चले जाते हैं, पर काम शुरू नहीं होता. वहीं, दूसरे ग्रामीण तरुण ठाकुर ने बताया कि इस बार वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाला है. हमारी सिर्फ एक मांग है कि सरकार यहां एक पक्का पुल बनाए, ताकि गांवों की समस्या हमेशा के लिए खत्म हो.
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गुडरा नदी पर बना ये देशी जुगाड़ का पुल सिर्फ लोगों की कठिनाइयों को कम करने का माध्यम नहीं, बल्कि उन सैकड़ों परिवारों की आवाज भी है, जो वर्षों से स्थाई पुल की उम्मीद लगाए बैठे हैं. प्रशासनिक उदासीनता के बीच ग्रामीणों की यह कोशिश एक बार फिर सवाल खड़ा करती है, क्या इस क्षेत्र को बुनियादी सुविधा के रूप में एक स्थाई पुल कब मिलेगा?
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