Tribal Families Life of Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के सक्ति जिले (Sakti) में 85 आदिवासी परिवारों के खिलाफ अजीबोगरीब फरमान जारी हुआ है. जिसके चलते उनका जीवन मुख्यधारा से अलग हो गया है. यह पूरा मामला सक्ति जिले के आमादहरा गांव का है. जहां के 85 आदिवासी परिवारों का सामाजिक बहिष्कार (Social boycott of tribal families) का मामला सामने आया है. पिछले तीन वर्षों से बहिस्कार की पीड़ा झेल रहे इन परिवारों का जीवन सामाज के मुख्यधारा से अलग हो गया है. यही नहीं इन आदिवासियों (Tribals) पर समाज के ठेकेदारों ने 23 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
क्या है पूरा मामला?
छत्तीसगढ़ के जांजगीर जिले से अगल होकर हाल ही में बने नए जिले सक्ति में सकरेली पंचायत के अंतर्गत आने वाले गांव आमादहरा में तकरीबन 100 आदिवासी परिवार निवास करते हैं. इस गांव में सार्वजनिक कार्यक्रमों और पूजा पाठ के लिए गांव के बीचो बीच एक सार्वजनिक मंच है. ठीक वहीं पर गांव के ही एक दबंग आदिवासी द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर मकान निर्माण करवाया जा रहा था. जिसके बाद आदिवासी समाज के इन परिवारों ने इस बात का विरोध किया.
इन लोगों के विरोध करने पर विवाद बढ़ा और मामला तहसील तक जा पहुंचा. जहां सुनवाई होने पर राजस्व अमले ने अवैध कब्जे को रुकवा दिया. इस कार्रवाई से तिलमिलाए दबंग ने आदिवासी परिवारों को परेशान करना शुरू कर दिया. बौखलाए दबंग ने समाज के ठेकेदारों को बरगलाकर इन परिवारों का सामाजिक बहिष्कार करवा दिया और इन पर 23 लाख का जुर्माना भी लाद दिया. दरअसल, यह जुर्माना आदिवासी समाज की एक सामाजिक व्यवस्था के तहत लगाया गया है, और कहा गया है कि जब तक ये लोग यह जुर्माना नहीं देंगे उन्हें समाज से बहिष्कृत रखा जाएगा.
नहीं हो पा रही युवाओं की शादी
जुर्माने की रकम अदा न कर पाने की वजह से आज तक इन गरीब आदिवासी घरों में शादी, जन्म संस्कार और मृत्यु संस्कार जैसे कार्य भी नहीं हो पा रहे हैं. बताया जाता है कि अगर कोई भी व्यक्ति इन परिवारों का साथ देने या फिर संबंध जोड़ने की हिमाकत करता है तो उसका भी सामाजिक बहिस्कार किया जाता है और 3000 रुपये का जुर्माना भी थोपा जाता है. इस उत्पीड़न का नतीजा यह है कि चाहे जितनी भी बड़ी विपदा इन आदिवासियों पर आ जाए उनके रिस्तेदार चाहकर भी इन गरीबों का साथ नहीं दे सकते.
सीएम से भी की गई शिकायत
गांव के इन 80 परिवारों में 2 दर्जन से अधिक विवाह योग्य युवक-युवतियां हैं, जिनकी शादी नहीं हो पा रही है और इन युवाओं के परिजन आंसू बहाने को मजबूर हैं. पिछले 3 साल से ये मजबूर और बेबस आदिवासी परिवार न्याय की आस में दर-दर भटक रहे हैं. इन्होंने इस मामले की शिकायत सरपंच, कलेक्टर और सीएम तक किया, लेकिन न्याय इन्हें आज तक नहीं मिल सका है.
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