Navratri 2023 : इस मंदिर में 400 सालों से जल रही अखंड ज्योति, दूर-दूर से पहुंचते हैं लोग

मध्य प्रदेश के ऐसे ही अनोखे मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं जो हज़ारों साल से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है. हम बात कर  रहे हैं, मध्य प्रदेश के सीहोर ज़िले के रहटी के विंध्य की मनोहारी पहाड़ी पर मशहूर विजयासन देवी के मंदिर की.

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Navratri 2023 : नवरात्रि के त्योहार को पूरा देश बड़ी धूमधाम से मनाया मनाता है. इन नौ दिनों में माता को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु देवी मां की पूजा-अर्चना करते हैं. इन दिनों में मंदिरों के अलावा जगह-जगह माता की झांकियां भी लगाई जाती है. मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. माता रानी को ख़ुश करने के लिए भक्त तरह-तरह के जतन करते हैं. देश में बहुत सारे मंदिर ऐसे हैं जहां माता का अनोखा रूप देखने को मिलता है. मध्य प्रदेश के ऐसे ही अनोखे मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं. यह मंदिर हज़ारों साल से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है. 

हम मध्य प्रदेश के मशहूर विजयासन देवी (Vijyasan Devi) के मंदिर की बात कर रहे हैं. यह मंदिर सीहोर जिले के रहटी के विंध्य की मनोहारी पहाड़ी पर बना हुआ है. विजयासन देवी (Vijyasan Devi) का मंदिर बहुत प्रचलित है. इस मंदिर को सलकनपुर कहा जाता है. सलकनपुर नाम से विख्यात इस मंदिर में नवरात्रि के समय अलग ही माहौल देखने को मिलता है. यह मंदिर आस्था और श्रद्धा का शक्तिपीठ है.

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400 साल पुराना है मंदिर का इतिहास 

सलकनपुर मंदिर श्रद्धा और आस्था का 52वां शक्तिपीठ कहा जाता है. मंदिर पहुंचने के लिए भक्तों को पत्थर से बनी 1451 सीढ़ियां चढ़नी होती है उसके बाद ही माता के दर्शन प्राप्त होते हैं यहाँ लोग टोलियां बनाकर माता की भक्ति में लीन होकर गाते-बजाते मां के दर्शन करने पहुंचते हैं. 400 साल पुराने इस मंदिर में स्थापित देवी की मूर्ति सैकड़ों वर्ष पुरानी है. कहा जाता है कि महिषासुरमर्दिनि के रूप में मां दुर्गा ने "रक्तबीज" नाम के राक्षस का वध करके इसी स्थान पर विजयी मुद्रा में तपस्या की थी. इसलिए ये देवी विजयासन देवी (Vijyasan Devi) कहलाई.

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4000 फीट की ऊंचाई पर बना हैं मंदिर

मंदिर के गर्भगृह में लगभग 400 साल से दो अखंड ज्योति प्रज्वलित हो रहे हैं जो इस मंदिर को बाकी मंदिरों से अलग बनाती है. कहा जाता है कि एक नारियल के तेल और दूसरी घी से साक्षात जोत को जलाया जाता है. इसी जोत को साक्षात देवी के रूप में पूजा जाता है. माता का मंदिर लगभग 4000 फीट की ऊंचाई पर है. यहां से नज़ारा देखते ही बनता है. विजयासन देवी की यह प्रतिमा लगभग चार सौ साल पुरानी है और भक्त यहां अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए मां के सामने अर्ज़ी लगाते है. मान्यता है कि दुर्गा के महिषासुरमर्दिनि अवतार के रूप में देवी ने इसी स्थान पर रक्तबीज नाम के राक्षस का वध करके विजय प्राप्त की थी फिर जगत कल्याण के लिए इसी स्थान पर बैठकर उन्होंने तपस्या की थी, तब से दूर-दूर से भक्त यहां माता के दर्शन करने आते है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष व लोक मान्यताओं पर आधारित है. इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए एनडीटीवी किसी भी प्रकार की पुष्टि या दावा नहीं करता है.)

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