NDTV Interview : ऊर्जा मंत्री तोमर ने कहा- कांग्रेस में कोई संगठनात्मक ढांचा नहीं, BJP में है लोकतांत्रिक प्रक्रिया

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नजदीकी माने जाने वाले मध्यप्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Pradhuman Singh Tomar) ने NDTV के कई सवालों के जवाब बेबाकी से दिए हैं. साथ ही कांग्रेस और बीजेपी के अंतर को भी बताया.

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ग्वालियर:

Gwalior News : कांग्रेस (Congress) का दामन छोड़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हुए मध्यप्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Pradhuman Singh Tomar) केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia Minister of Civil Aviation of India) के नजदीकी माने जाते हैं. उन्होंने सिंधिया के साथ जाने का फैसला करते हुए विधायक (Congress MLA) पद से इस्तीफा दिया था, वहीं जब ग्वालियर जिले में तीन सीटों पर उप चुनाव (By-Election) हुआ तो वे अकेले ऐसे प्रत्याशी थे जो बीजेपी की तरफ से जो जीते थे. अपनी कार्यशैली के लिए हमेशा चर्चा में रहने वाले प्रद्युम्न सिंह तोमर कभी खराब सडकों के कारण चप्पल छोड़ देते हैं तो कभी गंदा नाला देखकर खुद सफाई के लिए उतर जाते हैं. हाल ही में कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) के सामने फर्श पर लेटकर दण्डवत प्रणाम करने का उनका फोटो काफी वायरल हुआ था. जब वे कांग्रेस में थे तब बीजेपी उनका मजाक उड़ाती थी, अब कांग्रेस उनको नौटंकीबाज बताती है. NDTV ने ऊर्जा मंत्री तोमर से खास बातचीत की, जिसमे उन्होंने कई मुद्दों पर चर्चा की. 

सवाल : करोड़ों रुपये मेंटीनेंस के नाम पर खर्च होते हें इसके बाद भी भारी बिजली कटौती क्यों? 

ऊर्जा मंत्री - ग्वालियर समेत राज्य में हमारी जो विद्युत सप्लाई लाइने थीं वे जर्जर हालत में थीं. हमने उनको बदलने और उनके आधुनिकीकरण की योजना बनाई. हमने जर्जर लाइनों को बदलने का काम शुरू किया. सड़क चौड़ीकरण का काम कर रहे हैं. हमने ग्वालियर सहित अनेक शहरों में मोनो पोल लगाने की शुरुआत की है. ग्वालियर में हम यह नया प्रयोग कर रहे हैं. 15 करोड़ रुपये की लागत से हम मोनोपोल पर लाइन ले जा रहे हैं. यह काम तेजी के साथ चल रहा है.

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इससे यह फायदा होगा कि अगर फॉल्ट भी आएगा तो बिजली सप्लाई अवरुद्ध नहीं होगी. एक लाइन पर फॉल्ट आएगा तो बिजली का करंट ऑटोमेटिकली दूसरी लाइन पर शिफ्ट हो जाएगा.

इन कामो के कारण निश्चित रूप से बिजली कुछ घंटों के कारण अवरुद्ध हो रही है, कष्ट हो रहा है. लेकिन देखिए अगर बड़ी समस्या को दूर करना है तो सर्जरी करनी ही पड़ती है. इससे अभी लोगों को दिक्कते हैं लेकिन 10 अक्टूबर तक मोनोपोल का काम पूरा हो जाएगा.

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सवाल : मध्यप्रदेश दूसरे राज्यों को बिजली बेचता है फिर एमपी में सबसे मंहगी बिजली क्यों? 

ऊर्जा मंत्री - हम 100 यूनिट बिजली 70 लाख लोगों को सिर्फ 100 रुपये में दे रहे है. अब इनका आंकड़ा लगभग एक करोड़ होने जा रहा है. किसानों को सस्ती बिजली दे रहे हैं. एक रुपये का बिल आता है जिसमें से 92 पैसे हमारी सरकार देती है, किसान सिर्फ 8 पैसे देता है. इतनी सस्ती बिजली हमारे यहां मिल रही है अन्य प्रदेशों में नहीं. अन्य लोगों के मामले में देखें तो हो सकता है कि कुछ राज्यों में बिजली सस्ती हो लेकिन कई राज्यों से हमारे यहां बिजली सस्ती है. 

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सवाल - कांग्रेस और बीजेपी में क्या अंतर दिखा? 

ऊर्जा मंत्री - दोनो पार्टियों में बड़ा डिफरेंस है. यहां लोकतांत्रिक प्रक्रिया है, यहां यानी भाजपा में बूथ का कार्यकर्ता प्रधानमंत्री बन सकता है, पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकता है, उसके उदाहरण भी हैं. लेकिन कांग्रेस के अंदर पावर कुछ निश्चित लोगों के पास होती है.

वहां (कांग्रेस में) संगठनात्मक रूप से कोई ढांचा नहीं है. आप देखेंगे कि वहां टिकट का फैसला एक व्यक्ति विशेष ऊपर से करता है. लेकिन भाजपा में ऐसा नहीं है. यहां नीचे से नाम जाता है. कार्यकर्ताओं के समन्वय और लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चयन करके टिकट दिया जाता है. यहां ऐसा नहीं है कि बेटों को टिकट दिया जाए, जो लोग पार्टी में मेहनत करेंगे उन्हीं का सम्मान होता है, यह अंतर है कांग्रेस और बीजेपी में. 

प्रद्युम्न सिंह तोमर

ऊर्जा मंत्री मध्यप्रदेश शासन

सवाल - कहा जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों के जाने के बाद भाजपा में गुटबाजी हो गई है. नाराज भाजपा, शिवराज भाजपा और महाराज भाजपा इसको लेकर क्या कहेंगे? 

ऊर्जा मंत्री - यह बात सिर्फ राजनैतिक विरोधी दल करते हैं. भाजपा में कोई गुटबाजी नहीं है. यहां एक कमल निशान के लिए लोग काम करते है और संगठन का निर्णय अंतिम निर्णय होता है. उसका पालन करते हुए ही सब काम करते हैं. भाजपा में व्यक्ति विशेष का कोई स्थान नहीं है संगठन का ही निर्णय होता है जो सर्वोपरि है. 

सवाल - प्रद्युम्न तोमर कभी सड़कें खराब होने पर चप्पल त्याग देते हैं, तो कभी गंदगी देख सफाई करने नाले में उतर जाते है. आपको लोग नौटंकीबाज नेता कहते हैं? 
ऊर्जा मंत्री - मैं विपक्ष में था तो मेरी 30 बार जेल यात्रा हुई. किसलिए हुई? सिविल हॉस्पिटल के लिए, बिरला नगर प्रसूतिगृह के लिए हुई, किसके लिए हुई? पटेल स्कूल के लिए, गंदे पानी की समस्या ने निजात दिलाने के लिए हुई. तो इन चीजों के लिए मैने संघर्ष किया तो आज उसके परिणाम आ रहे हैं. लोगों की समस्याएं हल करने के लिए उनके साथ खड़ा होना नौटंकी है तो वे ये कहने के लिए स्वतंत्र हैं. मैं सेवक हूं और सेवक ही रहना चाहता हूं. 

सवाल - क्या आप फिर मैदान में होंगे?

ऊर्जा मंत्री- ये निर्णय पार्टी को करना है. पार्टी जिसे भी प्रत्याशी बनाएगी वो चुनाव लड़ेगा और जीतेगा. अगर पार्टी ने मुझे ही मौका दिया तो चुनावी मैदान में उतरूंगा.

सवाल - आप जनता को अपने क्या काम बताएंगे?

ऊर्जा मंत्री- ग्वालियर विधानसभा में एलिवेटेट रोड का सपना पूरा किया जो 1400 करोड़ की लागत से स्वर्णरेखा नाले के ऊपर बन रहा है। ग्वालियर में अन्तर्राजीय बस अड्डा बन रहा है सबके सामने है , 500 करोड़ की लागत से ग्वालियर रेलवे स्टेशन की तस्वीर बदल रही है। ,सीएम राइज और स्मार्ट स्कूल सबके सामने है ,सड़को का चौड़ीकरण हुआ ,पीएमश्री स्कूल सबके सामने है । इनसे पूरे ग्वालियर की तस्वीर ही बदल गयी है ।

सवाल : किसान मित्र योजना पर क्या राय है?

ऊर्जा मंत्री - मध्यप्रदेश में हमने कृषि मित्र योजना लागू की है. इसके तहत 3 किलोवाट से ऊपर के जितने भी किसान उपभोक्ता हैं जिन्हें स्थायी कनेक्शन चाहिए उनमे 50 फीसदी राशि का अनुदान मध्यप्रदेश शासन और हमारीं कंपनियां देंगी और किसानों को सिर्फ 50% ही लगाना होगा. जो भी ट्रांसफार्मर लगेंगे, तीनों ऊर्जा कंपनियां उनका रखरखाव करेंगी. यह स्कीम दो वर्ष के लिए लागू की गई है. 2018 में ये योजना कांग्रेस सरकार में बन्द कर दी गई थी लेकिन हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बार इसे फिर लागू करने का निर्णय लिया. 

सवाल : स्मार्ट मीटर का क्या मामला है? 

ऊर्जा मंत्री  - प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने की योजना पर क्रियान्वयन जारी है. इसमें उपभोक्ता को बहुत लाभ होगा. उसे मालूम पड़ सकेगा कि घर पर उसकी कितनी बिजली जल रही है यह वह अपने मोबाईल पर देख सकेगा. वह बिजली का सदुपयोग कर सकेगा. बिजली बचा पायेगा. अगर मीटर में कोई खराबी है तो उसे तुरंत मालूम पड़ेगी. इससे उस पर लंबा बिल नहीं आएगा. इनको लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. इंदौर और जबलपुर जैसे कई शहरों में काम शुरू हो गया है. धीरे-धीरे यह प्रक्रिया पूरे प्रदेश में लागू होगी. 

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