MP Assembly Elections: छतरपुर जिले में डिप्टी कलेक्टर (Deputy Collector in Chhatarpur District)के पद पर पदस्थ निशा बांगरे (Nisha Bangre) को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. दरअसल निशा बैतूल की आमला सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ना चाहती हैं लेकिन प्रशासन ने उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया है. जिसके लेकर निशा कई दिनों से शिवराज सरकार पर निशाना साध रही हैं. वे अपने मामले को लेकर हाईकोर्ट भी गई तो अदालत ने इस पर सुनवाई एक हफ्ते के लिए टाल दिया. जिसके बाद निशा ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया.उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को तुरंत सुनवाई का आदेश दिया है. निशा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तंखा (Vivek Tankha) ने सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की.
सुप्रीम कोर्ट का हाईकोर्ट को निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को निशा बांगरे मामले में कहा कि चूंकि मामला उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच के समक्ष लंबित है इसलिए याचिकाकर्ता निशा बांगरे आज या कल एक उचित आवेदन के साथ उच्च न्यायालय जा सकती हैं, जिसमें तात्कालिकता बताई जाएगी. ऐसे किसी भी आवेदन पर उच्च न्यायालय द्वारा विधिवत विचार किया जाएगा. हमारे सामने यह दृढ़तापूर्वक प्रस्तुत किया गया है कि याचिकाकर्ता ने आरोपों को स्वीकार कर लिया है, लेकिन उचित आदेश पारित करने में देरी हो रही है.हमें आशा और विश्वास है कि आदेश होंगे.
29 जून को ही दिया था इस्तीफा
दरअसल छतरपुर जिले में डिप्टी कलेक्टर के पद पर पदस्थ निशा बांगरे ने इसी साल 29 जून को इस्तीफा दे दिया था.
पुलिस और निशा के बीच जमकर धक्का मुक्की हुई इस दौरान निशा के कपड़े भी फट गए थे.9 अक्टूबर को ही निशा को हिरासत में लेकर जेल भेजा गया और 10 अक्टुबर की शाम को उनको जमानत पर रिहा किया गया था. रिहा होने के बाद निशा ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. लेकिन उनकी सुनवाई को एक हफ्ते के लिए टाल दिया गया जिसके बाद वो सुप्रीम कोर्ट पहुंच गईं.
"विपक्ष का समर्थन किया इसलिए परेशान कर रहे"
इस मामले में निशा बांगरे की सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तंखा ने एनडीटीवी से फोन पर बात करते हुए बताया कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट मैं कहा कि निशा बांगरे को सरकार इस्तीफा देने से नहीं रोक सकती क्योंकि यह उसकी इच्छा है. वह कोर्ट के सामने स्वीकार कर चुकी है और कहा है कि सरकार जो भी दंड देगी वह उसे स्वीकार है. उसके बावजूद भी सरकार उसका इस्तीफा स्वीकार क्यों नहीं कर रही? मैंने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि चार लोगों ने त्यागपत्र दिया है जिनमें एक जज है, एक आईएएस ऑफिसर है, एक टीचर है और एक डॉक्टर है. इन चारों के त्यागपत्र 24 घंटे में स्वीकार हो गए. क्योंकि निशा विपक्षी दल का समर्थन करती हैं इसलिए उन्हें परेशान किया जा रहा है.इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि निशा बांगरे आजकल में हाईकोर्ट जाएं और हाईकोर्ट को भी आदेश दिया कि इनके मामले की तुरंत सुनवाई की जाए.