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 जब JRD ने उत्तराधिकारी के तौर पर रतन टाटा को चुना... 


हम आपको रतन टाटा के जीवन से जुड़ा एक ऐसा किस्सा बताने जा रहे हैं,जो उन्हें जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा के करीब ले आया था. 


रतन टाटा अमेरिका में अपने भविष्य की प्लानिंग कर रहे थे.लेकिन उनकी दादी ने रतन को हिंदुस्तान लौटने को कहा. 


दादी से बेशुमार प्यार करते थे.ऐसे में तुरंत हिंदुस्तान लौटे और टाटा ग्रुप में नौकरी करने लगे. 


टाटा की जमशेदपुर स्थित दो सबसे बड़ी कंपनियों टाटा स्टील और टैल्को (अब टाटा मोटर्स) से जुड़ गए. 


यही रतन टाटा की जिंदगी का टर्निंग प्वॉंइट साबित हुआ. 


उन्होंने जमशेदपुर में एक फ्लाइंग स्कूल खोलने का प्रस्ताव रखा और यही बात उन्हें जेआरडी टाटा के करीब ले आई. 


साल 1991 को  जेआरडी टाटा ग्रुप को अलविदा कहने का मन बना चुके थे. 


जब अपना उत्तराधिकारी चुनने का समय आया तो उन्होंने रतन टाटा को इसके लिए चुना. 

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