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मुखी का बचपन, 'घुमक्कड़' पवन की मौत... ऐसा रहा कूनो नेशनल पार्क में प्रोजेक्ट चीता के 2 साल
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चीता प्रोजेक्ट के तहत नामीबिया से 8 चीतों को विशेष विमान से MP के श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में लाया गया था.
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अब चीता प्रोजेक्ट का दो साल पूरा हो गया है. इस दो साल में यह प्रोजेक्ट काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है. कई चीतों की मौत हुई तो कई शावक जन्म लिए.
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17 सितंबर 2022 को नामीबिया से 8 चीते लाए गए, सभी को 70 दिनों तक क्वारंटीन में रखा गया था. इसके बाद अक्टूबर के महीने में सभी चीतों को बड़े बाड़ों में शिफ्ट किया गया.
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18 फरवरी, 2023 को 12 चीतों की दूसरी खेप दक्षिण अफ्रीका से भारत आई.
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इसके बाद 24 मार्च, 2023 को मादा चीता ज्वाला ने 4 शावकों को जन्म दिया.
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27 मार्च, 2023 को कूनो में चीतों की मौतों का सिलसिला शुरु हुआ और मादा चीता साशा की मौत हो गई.
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इसके बाद 23 अप्रैल को नर चीता उदय की मौत हुई. फिर 9 मई को मादा चीता दक्षा की मौत हो गई.
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25 मई को दो चीता शावकों की मौत हुई.
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11 जुलाई, 2023 को नर चीता तेजस, 14 जुलाई को नर चीता सूरज की जान चली गई.
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इसके बाद 15 जुलाई, 2023 को 11 चीते को खुले जंगल से बाड़ों में वापस शिफ्ट किया गया.
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कूनो नेशनल पार्क में 20 में से आठ बड़े चीतों की मौत बीते दो साल में हुई है.
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10 मार्च, 2024 को चीता गामिनी ने 6 शावकों को जन्म दिया. इस दौरान कूनो से शावकों की फुल मस्ती फोटो और वीडियो भी सामने आए.
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रिमझिम बारिश में 5 शावकों के साथ फुल मस्ती करतीचीता गामिनी दिखी.
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मादा चीता आशा भी अपने नन्हें शावकों को कूनो के जंगल से रूबरू कराती दिखी. इसके साथ ही शिकार करना और भोजन का प्रबंधन करना भी सिखा रही है.
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बता दें कि विदेशों से लायी हईं 3 मादा चीताओं के 14 शावक अब कूनो के जंगल में उछल-कूद कर रहे हैं.
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तीनों मादा चीताओं और उनके शावकों की अठखेलियां भी कूनो से सामने आई है.
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प्रोजेक्ट चीता की बड़ी सफलता-कूनो में भारत के 12 अपने चीता शावक हैं, जिनका जन्म यही हुआ है.
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अब इन शावकों की परवरिश भी कूनो जंगल में हो रही है. कूनो नेशनल पार्क में अभी बड़े और छोटे शावकों को मिलाकर कुल 24 चीते हैं.
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