Content Credit- Priya Sharma
Image Credit: NDTV/Dev Shrimali
माधवराव सिंधिया की कैसे हुई थी मौत? PM अटल समेत विपक्ष के ये नेता पहुंचे थे अंत्येष्ठि में
Image Credit:NDTV/Dev Shrimali
30 सितंबर, 2001 की सुबह माधव राव सिंधिया केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को सामाजिक जीवन में प्रवेश कराने की औपचारिक तैयारी करा रहे थे.
Image Credit: NDTV/Dev Shrimali
लेकिन उसी दिन अचानक उनका दिल्ली से कानपुर जाने का कार्यक्रम बन गया. दरअसल, 30 सितंबर, 2001 को कांग्रेस की कानपुर में बड़ी रैली थी.
Image Credit: NDTV/Dev Shrimali
इस रैली को सम्बोधित करने के लिए दिल्ली से मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का जाना था, लेकिन अचानक उनकी तबीयत ख़राब हो गई.
Image Credit: NDTV/Dev Shrimali
फिर उनके स्थाना पर गुलाम नवी आज़ाद का जाना तय हुआ, लेकिन वो भी नहीं जा पाए.जिसके बाद माधव राव सिंधिया से संपर्क किया गया.
Image Credit: NDTV/Dev Shrimali
इस रैली के संयोजक प्रकाश जायसवाल उनके मित्र थे, इसलिए उनके आग्रह को सिंधिया ने तत्काल स्वीकार कर लिया.
Image Credit: NDTV/Dev Shrimali
इसके बाद वो कानपुर के लिए प्लेन से रवाना हो गए. उनके साथ पत्रकार और कई नेता भी गए थे. इसी दौरान मैनपुरी के करहल में भयंकर बारिश के चलते प्लेन के ऊपर आग लग गयी है.
Image Credit: NDTV/Dev Shrimali
फिर प्लेन पूरी तरह क्रैश हो गया. हादसा इतना भयानक था कि उसमें कोई नहीं बचा.उस दौरान किसी का नाम-पता भी नहीं चल पा रहा था.
Image Credit: NDTV/Dev Shrimali
हालांकि तब तक ग्वालियर के विलास पैलेस में किसी तक इसकी जानकारी नहीं पहुंची थी, लेकिन सबसे पहले ये खबर NDTV के वरिष्ठ पत्रकार देव श्री माली तक पहुंच चुकी थी.
Image Credit:NDTV/Dev Shrimali
उन्होंने एनडीटीवी पर इस खबर की ब्रेकिंग चलवाया, तब NDTV पर आधा घंटे का हिंदी बुलेटिन आता था. इस ब्रेकिंग के साथ ही दिल्ली से लेकर देशभर में भूचाल आ गया.
Image Credit: NDTV/Dev Shrimali
ग्वालियर का सियासी सूर्य अस्त हो चुका था.खबर आ गई- 'माधव राव सिंधिया अब नहीं रहे.' ग्वालियर शहर के 90 फीसदी घरों में शाम को चूल्हा नहीं जला था. घर-घर में शोक था और लगभग हर आंख में आंसू.
Image Credit:NDTV/Dev Shrimali
शाम होते-होते मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ग्वालियर पहुंच चुके थे. ग्वालियर में इतने वीवीआईपी आ चुके थे कि सर्किट हाउस, रेस्ट हाउस ही नहीं सारे होटल पैक हो चुके थे.
Image Credit:NDTV/Dev Shrimali
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री अजित जोगी ग्वालियर पहुंचे तो उन्हें ठहरने तक की जगह नहीं मिली. बाद में उन्हें हाउसिंग बोर्ड के 2 कमरे के गेस्ट हाउस में भेजा गया.
Image Credit: NDTV/Dev Shrimali
देश में ये पहला मौका था जब इतना जन समूह किसी ऐसे नेता की अंतिम यात्रा में उमड़ा हो जो मौत के समय किसी संवैधानिक पद पर न हो.
Image Credit: NDTV/Dev Shrimali
तब दिल्ली में NDA की सरकार थी. तत्कालीन PM अटल विहारी समेत पूरी संसद एक साथ विमान से ग्वालियर पहुंचे.साथ ही सभी राज्यों के सीएम और कांग्रेस का हर छोटा-बड़ा नेता सिंधिया को श्रद्धांजलि देने ग्वालियर आए.
ये भी पढ़े:
देश का पहला होम स्टे वाला टूरिस्ट गांव सावरवानी क्यों है खास, एक दिन ठहरने का खर्च भी ज्यादा नहीं
Click Here